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कोरोना जांच की गति तेज होने से भी फायदा
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गैरजिम्मेदारी हमारे और बड़े संकट में डालेगी
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देश की स्वास्थ्य सेवा ने उल्लेखनीय काम किया
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देश में घट रहा है कोरोना संक्रमण के मरीजों की संख्या
रांची: सूनामी जैसी दूसरी लहर के लिए पूरे देश को मानसिक और शारीरिक तौर पर तैयार
रहना चाहिए। वैसे अगर हम सामाजिक तौर पर इस तैयारी को और दुरुस्त कर पाये तो
हम इस आने वाले खतरे को टाल सकते हैं। कोरोना महामारी के पिछले छह महीने यह
दशार्ते हैं कि सब कुछ समझाने के बाद भी एक बड़ा वर्ग कोरोना प्रावधानों के अनुशासन
का पालन नहीं करना चाहता है। ऐसे लोग भी संक्रमण के फैलाने के लिए सबसे अधिक
जिम्मेदार है। लेकिन अब हम यह कह सकते हैं कि कोरोना का संकट जो देश पर छाया
हुआ था वह धीरे धीरे कम होने लगा था। इस बारे में रांची के ही सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ
एचडी शरण ने पहले ही आकलन बताया था कि जब इस संक्रमण का ग्राफ नीचे की तरफ
आने लगे तो यह समझा जाना चाहिए कि स्थिति नियंत्रण में आ रही है। लेकिन इसकी
मुख्य वजह भी कोरोना संक्रमण की जांच की गति को बहुत तेज किया जाना है। अगर हम
इस जांच को तीन माह पहले तेज कर पाते तो शायद स्थिति इस हद तक नहीं बिगड़ती।
आंकड़े यही दर्शा रहे हैं कि देश में पिछले पांच दिनों से कोरोना संक्रमण के कुल मामले 90
हजार से नीचे चल रहे हैं। लेकिन यह सिर्फ अनुमान भर है क्योंकि देश के अनेक हिस्सों में
जांच अभी आम आदमी से दूर है। इसकी अलग परेशानियां भी हैं। लेकिन जिन राज्यों में
कोरोना का प्रकोप सबसे अधिक रहा है, वहां के आंकड़े निश्चित तौर पर नियंत्रण में है।
सूनामी जैसी दूसरी लहर के हालात दिल्ली में बने हैं
सिर्फ दिल्ली में ऐसे मामले फिर से बढ़ते हुए नजर आ रहे हैं, जो सूनामी की दूसरी लहर के
जैसी स्थिति है। वैसे हमें इस बात पर संतोष व्यक्त करना चाहिए कि तमाम खामियों के
बाद भी देश की स्वास्थ्य सेवा ने इस दिशा में उल्लेखनीय काम किया है। इसी वजह से
संक्रमण का आंकड़ा ऊपर होने के बाद भी मृत्युदर कम रहा है। वर्तमान आंकड़ों के
मुताबिक देश में अब तक 92,290 कोरोना की वजह से मारे गये हैं जबकि संक्रमितों का
आंकड़ा 58 लाख से ऊपर जा पहुंचा है। पिछले कुछ सप्ताह में जिस तेजी से यह स्थिति
बिगड़ी है, उसका अनुमान डॉ शरण जैसे जानकार चिकित्सक पहले से ही लगा रहे थे।
इसका मुख्य कारण लोगों का गैर जिम्मेदाराना रवैया ही रहा। जाने अनजाने में नये नये
इलाकों तक कोरोना वायरस फैलाने वालों की अब पहचान भी नहीं हो पा रही है। लेकिन
कोरोना से ठीक होने वालों का आंकड़ा अब 81.55 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गया है। फिर भी
यह तय माना जाना चाहिए कि आने वाले कुछ दिनों में अंतत: भारत कोरोना संक्रमण के
मामले में अमेरिका को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे अधिक कोरोना प्रभावित देश बन
सकता है।
खतरा तो वैक्सिन के सफल और उपलब्ध होने तक बना रहेगा
असली खतरा उसके बाद भी कायम रहेगा क्योंकि दुनिया के जिन अन्य देशों में कोरोना
संक्रमण नियंत्रण में आ गया था, वे फिर से कोरोना के मरीजों की संख्या को बढ़ते हुए देख
रहे हैं। इन देशों में हो सकता है कि सी.सी.एल. ने सिमर टोली में ‘कोविड-19 जागरूकता
प्रोग्राम’ का आयोजन किया जैसी दूसरी लहर में फिर से लॉक डाउन लगाने की नौबत आ
जाए। भारत की बात करें तो सूनामी की दूसरी लहर जैसा पूरे देश में मह सूस होने के पहले
ही हमारे यहां 47 लाख से अधिक लोग इस बीमारी से ठीक सलिए अज्ञात वायरस को
लेकर जो भय था वह काफी कम हुआ है। लेकिन इसी वजह से लोगों के अंदर लापरवाही भी
तेजी से बढ़ी है, जो संकट का बड़ा कारण बन रही है। अच्छी बात यह है कि इस बीच
कोरोना जांच की गति बढ़ाने में भी भारत ने उल्लेखनीय सफलता पायी है। प्रति दस लाख
अब तक देश में 49948 जांच हो चुके हैं। यह गति निश्चित तौर पर बेहतर जांच गति को
दशार्ती है। पिछले चौबीस घंटे की बात करें तो एक दिन में इस देश में 14,92,409 कोरोना
जांच हुए हैं। जिसे हम वाकई संतोषजनक स्थिति मान सकते हैं। उपलब्ध संसाधनों का
विस्तार करते हुए भारत ने जिस तेजी से इसे हासिल किया है, वह काबिले तारीफ है। 120
करोड़ से अधिक की आबादी वाले इस देश में अब तक सात करोड़ से अधिक लोगों की
कोरोना जांच हो चुकी है। यानी हम राष्ट्रीय स्तर पर जांच के औसत को 8.44 प्रतिशत को
हासिल कर चुके हैं। इससे स्थिति बेहतर होने के संकेत मिलते हैं। कुल मिलाकर स्थिति
बेहतर होने के बीच यह आम नागरिकों पर निर्भर है कि हम सूनामी जैसी कोरोना की
दूसरी लहर का सामना कैसे करते हैं। वायरस को लेकर भय घटा तो लापरवाही बढ़ी।
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