गांधीनगरः भारत के तीन वन्यप्राणी अब अनिवार्य संरक्षण सूची में शामिल किये गये हैं।
एशियाई हाथी, गोडावण और बंगाल फ्लोरिकन को विलुप्त होने कगार पर पहुंच चुके
प्रावसी जीवों की सूची में शामिल करने के भारत के प्रस्तावों को आज निर्विरोध मंजूरी
मिल गयी। प्रवासी जीवों पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन (सीएमएस) के सदस्य देशों की
यहां हो रही 13वीं बैठक में भारत की ओर से पेश इन प्रस्तावों को सर्वसम्मति से स्वीकार
किया गया। सीएमएस की पूर्ण समिति ने इन प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की। पूर्ण समिति
की अनुशंसा पर 22 फरवरी को औपचारिक रूप से ये प्रजातियां सीएमएस की सूची में
शामिल हो जायेंगी। भारत ने बैठक के पहले दिन 17 फरवरी को एशियाई हाथी को
सीएमएस के एपेंडिक्स—1 में शामिल करने का प्रस्ताव किया था। इस सूची में उन जीवों
को शामिल किया जाता है जिनके विलुप्त होने का खतरा होता है। इस सूची में शामिल
होने के बाद सभी सदस्य देशों के लिए उस प्रजाती के जीवों का संरक्षण अनिवार्य हो जाता
है। भारत की ओर से पेश प्रस्तावों में सबसे पहले एशियाई हाथी पर विचार किया गया।
श्रीलंका, बंगलादेश और यूरोपीय संघ के साथ ही कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी प्रस्ताव का
समर्थन किया। किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया। इस समय दुनिया के 13 देशों में
करीब 50 हजार हाथी हैं। इनमें 30 हजार भारत में हैं।
भारत के तीन वन्यप्राणी विलुप्ति के कगार पर
श्रीलंका ने कहा कि हालांकि उसके यहां एशियाई हाथियों की संख्या पर्याप्त है, इसके
बावजूद वह इसका समर्थन करता है। बंगलादेश ने कहा कि एकीकृत प्रयास के जरिये
इंसान और हाथियों के बीच संघर्ष कम करने का प्रयास करना चाहिये। गोडावण यानी ग्रेट
इंडियन बस्टर्ड को सूची में शामिल करने के प्रस्ताव का यूरोपीय संघ, सउदी अरब और
मॉरिशस समेत कई सदस्यों ने समर्थन किया। बंगाल फ्लोरिकन के प्रस्ताव का भी
यूरोपीय संघ, बंगलादेश और कोस्टारिका ने समर्थन किया। किसी भी सदस्य ने भारत के
प्रस्तावों का विरोध नहीं किया। ये पक्षी हिमालय की तराई वाले क्षेत्र में असम में ब्रह्मपुत्र
नदी के उत्तरी किनारे पर पाये जाते हैं और यहां से नेपाल तथा भूटान तक भी जाते हैं।
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