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मुंशीगंज के इलाके में पद्मा के तट पर आयोजन
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मनपसंद मछली की खबर पाकर जुटे थे हजारों लोग
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इस बार देश में इस प्रजाति का रिकार्ड उत्पादन हुआ है
सुभाष दास
अगरतलाः हिलसा मछली वैसे भी बंगालियों का प्रिय भोजन है। इसी हिलसा मछली के
लिए एक खास उत्सव के आयोजन की सूचना पर अनेक भोजन रसिक मुंसीगंज के
शिमुलिया फेरीघाट पर एकत्रित हुए थे।
वीडियो में देखिये पूरे कार्यक्रम की झलक
दरअसल यहां उन्हें हिलसा मछली के विभिन्न किस्म के स्वाद वाले भोजन का आनंद
मिलने की पूर्व सूचना मिली थी। बांग्लादेश के मुंसीगंज के लोहजंग इलाके में पद्मा नदी के
तट पर ही है शिमुलिया का फेरीघाट। यहां पर हजारों की संख्या में मछली प्रेमी अनेक
किस्म के स्वाद का आनंद लेकर प्रसन्न भी हुई। यह सभी को पता है कि पूरी दुनिया में
हिलसा मछली का अधिकांश उत्पादन बांग्लादेश में ही होता है। इस बार कोरोना
लॉकडाउन और खुद प्रधानमंत्री शेख हसीना के कड़े निर्देश की वजह से इस प्रजाति की
मछलियों की तादाद बहुत बढ़ी है। स्थानीय मछुआरे इस स्थिति से खुश है। दूसरी तरफ
अब तक का रिकार्ड मछली उत्पादन होने की वजह से उसका जोरदार निर्यात भी हो रहा है।
इन्हीं सब घटनाक्रमों के बीच ही हिलसा मछली के लिए यह खास उत्सव का आयोजन
लोगों को अतिरिक्त आनंद देने वाला साबित हुआ। यहां पर सरसों, भापा, पातुरी जैसे
अनेक किस्म के मछली के पकवान खाने की लालच भी अधिकांश लोगों को यहां खींच
लायी थी।
हिलसा मछली पर सिर्फ भोजन का कार्यक्रम ही नहीं था
लोगों को भरपेट और मनपसंद हिलसा मछली के विभिन्न किस्म के भोजन कराने के
अलावा यहां एक वीडियो प्रदर्शनी और कार्यशाला का भी आयोजन किया गया था। पता रहे
कि बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा आमदनी का एक बहुत बड़ा जरिया यह हिलसा मछली ही है।
पिछले कुछ वर्षों से उनकी आमद कम होने की वजह से प्रधानमंत्री शेख हसीना ने यह
साफ निर्देश दिया था कि इस प्रजाति की मछली के वंशवृद्धि के समय कोई भी उनके
इलाके में नहीं जाएगा। समुद्र और नदियों के मुहाने पर ही यह मछली अंडे और बच्चे देती
है। कोरोना लॉकडाउन और कड़ी निगरानी की वजह से चोर शिकारी भी वहां नहीं जा पाये
थे। नतीजा सबके सामने हैं कि हिलसा मछली की तादाद इस बार अब तक का रिकार्ड है।
यहां आयोजित कार्यशाला में भी इस मछली की प्रजाति को संरक्षण प्रदान करने तथा
उनकी आबादी बढ़ाने के लिए पर्याप्त अवसर देने पर भी चर्चा हुई। वहां एक नारा भी बार
बार लोगों की जेहर में डाला गया था। यह नारा बांग्ला में था नियम मेने इलिश धऱी
समृद्धिर पथे एगिये चली। यानी नियम के हिसाब से ही इलिश (हिलसा) मछली पकड़ते हैं
तो हम समृद्धि के पथ पर आगे बढ़ते हैं। इस समारोह का आयोजन ठीक पद्मा नदी के तट
पर ही विक्रमपुर नामक एक संगठन द्वारा किया गया था
। इस आयोजन को प्रायोजित
किया था बैंक एशिया ने। भरपेट मछली खाने और अन्य सारा आनंद उठाने के बाद
समारोह के अंत में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किये गये।
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