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सितारों से आगे जहां और भी हैं सच साबित
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पुरानी कहावत अब वैज्ञानिक तौर पर सच
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तमाम अड़चनों को दूर कर इसकी जानकारी मिली
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शायद यह दूसरा सौर मंडल हमारी आंखों से ओझल है
प्रतिनिधि
नईदिल्लीः इस सौर जगत में जो कुछ घटित हो रहा है वह हमारे एक पुराने शेर को सही
साबित कर रहा है। सितारों से आगे जहां और भी हैं, एक चर्चित शेर है। अनेक कथाओं और
उपन्यासों के साथ साथ फिल्मी पर्दे पर एवं आज के दौर में टीवी सीरियलों में भी इसका
इस्तेमाल होता है। लेकिन अब पहली बार वैज्ञानिक तौर पर इसके बारे में बिल्कुल नई
जानकारी मिली है। जी हां सितारों से आगे यानी हम रात के अंधेरे में जिन टिमटिमाते
तारों को देख पाते हैं, उसके आगे भी एक अनोखी दुनिया है। जी नहीं इसे दुनिया कहेंगे तो
शायद यह गलत होगा दरअसल यह एक अन्य सौरमंडल ही है। इसकी खोज नासा के
वैज्ञानिकों ने लंबे समय के अनुसंधान के बाद की है। इस नये सौर जगत के बारे में नई नई
जानकारियों ने फिलहाल खगोल वैज्ञानिकों को ही हैरान करना जारी रखा है। सबसे
मजेदार बात यह है कि वहां का समय चक्र हमारे सौर मंडल के समय चक्र से उल्टा चलता
है। यानी आम भाषा में कहें तो वहां का समय उल्टा चलता है। कभी सोच सकते हैं कि
अगर हम अपनी दुनिया में यानी अपने जीवन में समय को उल्टा चला पाते तो क्या कुछ
होता। वैसे इस पर एक जादूई कहानी वाली फिल्म हैरी पॉर्टर की भी बनी है। जिसमें कुछ
समय के लिए समय को उल्टा चलाने की सीन को दर्शाया गया है।
इस सौर जगत की घटनाएं साइंस फिक्शन फिल्म जैसी
दरअसल एक विशाल बैलून को काफी ऊंचाई पर रखा गया था ताकि दूसरे संकेत इसमें
अड़चन न पैदा कर सकें। इसी माध्यम से इलाके की खोज हो पायी है । खोज का निष्कर्ष
यही है कि उच्च ऊर्जा के इन कणों की मौजूदगी पृथ्वी के मुकाबले बहुत अधिक है। पृथ्वी
पर इतनी अधिक क्षमता की ऊर्जा का सृजन संभव भी नहीं है। यह भी माना जा रहा है कि
अगर ऐसी उल्टी स्थिति पृथ्वी पर होती तो पृथ्वी की पूरी सतह भीषण उथल पुथल के बाद
किसी अन्य स्वरुप में चली जाती। लेकिन यह पृथ्वी से काफी दूर घटित हो रहा है, जिसके
प्रभाव भी शायद यहां तक नहीं पहुंच रहे हैं। सिर्फ उनके होने के संकेतों को वैज्ञानिक
उपकरणों की मदद से अब पकड़ा जा सका है।
खास प्रबंध किये थे ताकि कोई अवरोध ना आ सके
नासा के इस एनिटा शोध केंद्र के मुख्य शोधकर्ता पीटर गोरहैम ने कहा कि शायद यह ऊर्जा
संपन्न कण किसी दूसरे स्वरुप में तब्दील हो गये हैं और उसी वजह से उल्टा आचरण कर
रहे हैं या फिर वहां गुरुत्वाकर्षण के दूसरे नियम लागू होते हैं। वैज्ञानिक इस नई जानकारी
के आधार पर यह निष्कर्ष भी निकाल रहे हैं कि 13.8 मिलियन वर्ष पहले जो महाप्रलय
सौर मंडल में घटित हुआ था उससे शायद दो अलग अलग सौर जगतों की सृष्टि हुई है।
पहले सौर जगत की कुछ सृष्टि को हम देख पाते हैं। लेकिन यह दूसरा सौर जगत पूरी
तरह हमारी आंखों और वैज्ञानिक उपकरणों से भी छिपा हुआ है।
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[…] क्योंकि फिलहाल मास्क पहनकर ही बाहर निकलने का नियम लागू है। […]
[…] कई अंतरिक्ष अभियानों की बदौलत भी सौर जगत की अनोखी गतिविधियों […]
[…] राजद के साथ उनका जुड़ाव काफी लंबे समय से रहा है। उन्हें उम्मीद थी […]
[…] साइंस फिक्शन फिल्में भी बन चुकी है। वैज्ञानिक पहले से ही इस बात को जान गये थे कि […]
[…] इसके अनुसंधान से इस सौर जगत की संरचना के बारे में अधिक जानकारी […]