नयी दिल्लीः शीर्ष न्यायालय के प्रमुख पंच रंजन गोगोई की अगुवाई में
शनिवार को पंच परमेश्वर ने 206 साल पुराने अयोध्या-बाबरी मस्जिद
विवाद का फैसला सुनाया। अयोध्या में राम जन्मभूमि को लेकर पहली बार
इस विवादित स्थल को लेकर 1853 में पहली बार सांप्रदायिक दंगे हुए थे
और इसके बाद यह मामला अदालतों के विवाद में झूलता रहा। इलाहाबाद
उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने 30 सितंबर 2010 को इस विवाद पर
ऐतिहासिक निर्णय दिया था और विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांटा
गया। इस फैसले को नौ वर्ष से अधिक का समय बीत जाने के बाद पंच
परमेश्वर ने आज यह फैसला सुनाया।
श्री गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं और 206 साल पुराने इस
फैसले की रोजाना सुनवाई राम जन्मभूमि की पांच सदस्यीय पीठ ने
40 दिन में पूरी की। यह फैसला देने वाले पंच परमेशवर में देश के अगले
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे भी शामिल हैं।
शीर्ष न्यायालय की संवैधानिक पीठ में तीन अन्य न्यायमूर्ति अशोक भूषण,
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर हैं।
फैसले से जुड़े पंच परमेशवर की संवैधानिक पीठ के न्यायाधीशों का परिचय
इस प्रकार है। असम के डिब्रूगढ़ में 18 नवंबर 1954 को जनमें मुख्य
न्यायाधीश गोगोई ने तीन अक्टूबर 2018 को देश के 46 वें मुख्य न्यायाधीश
का पदभार संभाला। वह 2012 से ही उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश हैं।
न्यायाधीश गोगोई उच्चतम न्यायालय में आने से पहले गुवाहाटी उच्च
न्यायालय के जज रहे। वह पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य
न्यायाधीश भी रहे। श्री गोगोई ने उच्च शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट
स्टीफंस कालेज से हासिल की ।
शीर्ष न्यायालय के प्रमुख असम के निवासी हैं
श्री गोगोई ने कार्यकाल के दौरान अपने गृहनगर असम से जुड़े राष्ट्रीय
नागरिकता रजिस्टर ( एनआरसी) का फैसला भी सुनाया। महाराष्ट्र के
नागपुर में 24 अप्रैल 1956 को जन्में देश के 47 वें मुख्य न्यायाधीश का
18 नवंबर को पद संभालने जा रहे न्यायमूर्ति बोबड़े वर्तमान में उच्चतम
न्यायालय के न्यायाधीश हैं । उन्होंने उच्च शिक्षा नागपुर विश्वविद्यालय से
प्राप्त की । वह मध्यप्रदेश के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और मुंबई
उच्च न्यायालय में न्यायाधीश भी रह चुके हैं। वह अप्रैल 2021 तक इस पद
पर रहेंगे। संवैधानिक पीठ में शामिल तीसरे न्यायाधीश अशोक भूषण 13 मई
2016 से उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश हैं। उत्तर प्रदेश के जौनपुर में
पांच जुलाई 1956 को जन्मे न्यायाधीश भूषण की उच्च शिक्षा इलाहाबाद
विश्वविद्यालय में हुई। वह 26 मार्च 2015 से 12 मई 2016 तक केरल उच्च
न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी रहे हैं। इससे पहले एक अगस्त 2014 से
25 मार्च 2015 तक केरल उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश
रहे। संवैधानिक पीठ में शामिल चौथे न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़।
न्यायाधीश चंद्रचूड़ को 13 मई 2016 को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश
नियुक्त किया गया और उनका कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक रहेगा। वह
बाम्बे उच्च न्यायालय और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में भी न्यायाधीश रहे।
उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किए जाने से पहले वह
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद पर भी रहे। पांचवें
न्यायाधीश एस अब्दुल नजीर को 17 फरवरी 2017 को उच्चतम न्यायालय
का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया और उनका कार्यकाल चार जनवरी
2023 तक रहेगा। उनका जन्म पांच जनवरी 1958 को मूडबीडरी के निकट
बेलूवेई में हुआ। वह मई 2003 से फरवरी 2017 तक कर्नाटक उच्च न्यायालय
में न्यायाधीश रहे।
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