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व्हाट्सएप जासूसी की वजह से रुसी साफ्टवेयर हुआ लोकप्रिय
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जासूसी कांड के खुलासा के बाद बदलाव नजर आया
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रुस के वैज्ञानिक ने विकसित किया है टेलीग्राम
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सिग्नल को दान और मदद के सहारे तैयार किया
संवाददाता
रांचीः भारत में अचानक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में लोगों की रूचि बदलने
लगी है। हाल के दिनों में भारत में तेजी से टेलीग्राम साफ्टवेयर का प्रयोग
बढ़ने लगा है। यह कई कारणों से पहले से ही इस्तेमाल करने वालों के बीच
लोकप्रिय है। दरअसल व्हाट्सएप साफ्टवेयर में इजरायल की खास कंपनी
द्वारा स्पाईवेयर का प्रयोग इसका एक कारण हो सकता है। पिगासूस नामक
कंपनी द्वारा बनायी गयी इस तकनीक को आखिर भारत में किसने खरीदा
था, यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।
सरकार की तरफ से सिर्फ व्हाट्सएप से इस बारे में कारण बताने को कहा
गया है। लेकिन गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि उसकी तरफ से न तो इस
स्पाईवेयर की खरीद की गयी है और न ही इस बारे में कोई ऐसी भावी योजना
भी है।
इस बीच रुस में विकसित साफ्टवेयर टेलीग्राम तेजी से लोकप्रिय होता चला
जा रहा है। इसकी गति हाल के दिनों में अचानक तेज हो गयी है। वैसे आंकड़ों
के मुताबिक व्हाट्सएप के मुकाबले टेलीग्राम के साथ साथ अब लोग सिग्नल
का भी इस्तेमाल करने लगे हैं। वर्तमान में फेसबुक के स्वामित्व वाली
व्हाट्सएप के भारत में करीब 40 करोड़ इस्तेमाल करने वाले हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक इनमें से कई नंबर एक ही व्यक्ति के भी हो सकते हैं।
लेकिन जासूसी तकनीक के होने की सूचना सार्वजनिक होने के बाद उसके
ग्राहकों का बाजार खिसकता नजर आ रहा है।
भारत में अचानक इस बदलाव की वजह जासूसी कांड
रुस के विशेषज्ञ पावेल डूरोभ ने इस टेलीग्राम को तैयार किया है। यह भी
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है और एक छोर से दूसरी छोर तक कूट संकेतों की
वजह से सुरक्षित माना गया है। यानी खास तकनीक की वजह से जिसे कोई
संदेश भेजा गया है, उसके अलावा इस संदेश को बीच में नहीं पढ़ा जा सकता
है। साथ ही व्हाट्सएप के मुकाबले इसमें अधिक लोगों को एक साथ संदेश
भेजे जा सकते हैं। शायद लोकप्रिय होने की एक वजह यह भी हो सकती है।
सामूहिक संदेश प्रसारित करने के लिए अब टेलीग्राम की तकनीक का भारत
में धड़ल्ले से इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है।
इसके अलावा सिग्नल भी इसी क्रम में लोकप्रिय होता हुआ नजर आ रहा है।
इस साफ्टवेयर की विशेषता यह है कि यह ओपन सोर्स तकनीक है, जिसे
डोनेशन और मदद के सहारे विकसित किया गया है। पूर्व में फेसबुक मैसेंजर
और व्हाट्सएप में भी इसका प्रयोग किया गया था। लेकिन इसे अमेरिकी
वैज्ञानिक मॉक्सी मार्लिन स्पाइक ने तैयार किया है।
इसे विकसित करने के पीछे कई ऐस विशेषज्ञों का भी हाथ रहा, जो किन्हीं
कारणों से फेसबुक और व्हाट्सएप से नाराज होकर अलग हो गये थे।
दोनों ही विधियों में मोबाइल फोन और डेस्कटॉप पर इस्तेमाल की
व्यवस्था किये जाने की वजह से भी भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म
में दोनों लोकप्रिय होते चले जा रहे हैं।
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