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यूरोप और भारत में दोहरा मापदंड क्यों
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जनता को इस निजता बदलाव से परहेज
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विवाद के बीच बढ़ गये टेलीग्राम के ग्राहक
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खरबपति कंपनी है तो क्या कानून मानना होगा
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः सुप्रीम कोर्ट का व्हाट्सएप प्रकरण पर कड़ा रुख आज नजर आया है। सुप्रीम
कोर्ट ने निजता के सवाल पर दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शरद ए बोबड़े ने कहा कि जनता को निजता की हानि का
अंदेशा है तो कंपनी को अपनी बात स्पष्ट करनी होगी। उल्लेखनीय है कि व्हाट्सएप ने
अपनी निजता नीति में बदलाव का एलान करते ही भारत में इसका जबर्दस्त विरोध हुआ
था। इस विरोध को भांपते हुए कंपनी ने अपनी नई नीति को कुछ दिनों के लिए स्थगित
करने का एलान किया था। इसके बीच निजी जिंदगी में बहुराष्ट्रीय कंपनी की परोक्ष दखल
को भांपते हुए अनेक लोग व्हाट्सएप छोड़कर अब टेलीग्राम और सिग्नल जैसे सोशल
मीडिया प्लेटफॉर्मों की तरफ चले गये हैं। भारत में इस मामले में टेलीग्राम की सेवा अधिक
लोगों ने न सिर्फ ली है बल्कि उसका बेहतर इस्तेमाल भी प्रारंभ कर दिया है। हाल के दिनों
में इस टेलीग्राम को ही सबसे अधिक डाउनलोड किया गया है। लेकिन निजता के सवाल
पर उठ रहे सवालों का संतोषजनक उत्तर फेसबुक और व्हाट्सएप की तरफ से नहीं दिया
गया है। के सिंह सरीन और अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने
इस कंपनी को स्पष्ट कर दिया कि भले ही वह खरबपति कंपनी हो लेकिन भारत में उसे
भारत का कानून का पालन तो करना ही पड़ेगा। अदालत यहां कंपनी की वित्तीय स्थिति
को नहीं देखेगी बल्कि आम जनता के मन में निजता के उल्लंघन को लेकर जो संदेह हैं,
उसे स्पष्ट तौर पर समझना चाहेगी।
सुप्रीम कोर्ट का दोहरा मापदंड पर ध्यान आकृष्ट किया
इस मुद्दे पर याचिकादाताओं की ओर से वकील श्याम दीवान ने कहा कि यह कंपनी यूरोप
के लिए अलग नियम बना रही है और भारत में उसका दोहरा मापदंड स्पष्ट हो गया है।
इस बारे में व्हाट्सएप की तरफ से पेश होने वाले वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कंपनी
की नीति पूरी दुनिया के लिए एक है। सिर्फ यूरोप में खास कानून होने की वजह से वहां
उसका पालन किया जाता है। अगर भारत में भी कोई ऐसा कानून होता तो उसका भी
कंपनी अवश्य पालन करती।
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