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कोर्ट की छवि को धूमिल करने की इजाजत नहीं
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इस कमेटी को कोई फैसला लेने का हक तो नहीं
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कमेटी ने विचार के लिए पोर्टल चालू कर दिया
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ट्रैक्टर परेड के पूर्वाभ्यास में सैकड़ों ट्रैक्टर
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः किसान आंदोलनकारियों को भी आज सुप्रीम कोर्ट ने खरी खरी सुना दी। कोर्ट
ने कहा कि अगर वे कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के सामने हाजिर नहीं होना चाहते हैं तो कोई
दिक्कत नहीं है। लेकिन इस कमेटी के बहाने बार बार सुप्रीम कोर्ट की छवि धूमिल करने
की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती है। इस क्रम में अदालत ने यह भी स्पष्ट कर
दिया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित इस कमेटी को कोई कानूनी सिफारिश करने की बात
भी नहीं कही गयी है।
अदालत में इस मामले की सुनवाई के दौरान आठ किसान यूनियनों की तरफ से दुष्यंत
दबे और प्रशांत भूषण बतौर वकील उपस्थित थे। दोनों ने बताया कि किसान इस कमेटी के
समक्ष हाजिर नहीं होना चाहते हैं। किसानों को कमेटी के सदस्यों की निष्पक्षता पर भरोसा
नहीं है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने किसानों के इस रवैये की कडी
आलोचना की। अदालत ने कहा कि अगर किसान इस कमेटी के सामने नहीं आना चाहते
हैं तो यह उनकी इच्छा है लेकिन इसके लिए किसान बार बार सुप्रीम कोर्ट की छवि को
धूमिल नहीं कर सकते हैं। अदालत ने कहा कि काफी सोच समझकर ही विशेषज्ञों की इस
कमेटी में डाला गया है इसलिए किसी को इनलोगों की क्षमता पर भी संदेह करने का
अधिकार नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा कि जब इस कमेटी के पास फैसला लेने का कोई
अधिकार ही नहीं है तो उनपर संदेह करने का कोई औचित्य भी नहीं है। यह कमेटी तो सभी
पक्षों से बात करने के बाद सिर्फ अपनी रिपोर्ट हमें सौंपेगा। वैसे इस कमेटी को खारिज
करने संबंधी दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस बारे में अपना उत्तर
दाखिल करने को कहा है।
किसान आंदोलनकारियों की आपत्ति पर केंद्र को नोटिस
इस बीच कमेटी ने लोगों से अपनी राय व्यक्त करने के लिए खास पोर्टल की भी स्थापना
कर दी है। सूचना तकनीक के माध्यम से तीनों कृषि कानूनों के बारे में राय देने को इच्छुक
संगठन और व्यक्ति अपनी राय इस पोर्टल के माध्यम से दें सकें। दूसरी तरफ किसान
आंदोलन से जुड़े लोगों ने अपनी 26 जनवरी के ट्रैक्टर परेड की तैयारियों को अंतिम रुप
देना जारी रखा है। पंजाब और हरियाणा के कई स्थानों पर सैकड़ों की संख्या में ट्रैक्टर पर
सवार हजारों लोगों ने इसका ट्रायल भी कर लिया है। नई बात यह है कि अनेक स्थानों पर
अब महिलाएं ट्रैक्टर चलाकर इस ट्रैक्टर परेड में भाग लेने आ रही हैं। भाजपा द्वारा
गणतंत्र दिवस पर इस परेड के आयोजन की आलोचना किये जाने पर किसान नेता राकेश
टिकैत ने कहा कि गणतंत्र दिवस के अवसर पर अगर किसान भी तिरंगा लेकर परेड
निकाल रहा है तो इसमें गलत बात क्या है। आम लोग भी इस दिन राष्ट्रीय ध्वज को
सम्मान देते हुए अपने अपने समारोह आयोजित किया करते हैं। किसान संगठन के लोगों
का कहना है कि अब धीरे धीरे दूसरे राज्यों से मिल रही सूचनाओं की वजह से भाजपा यह
चाहती है कि देश की राजधानी में किसानों का इतना बड़ा जमावड़ा नहीं हो सके।
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