- सर्वोच्च न्यायालय में कल सुबह होगी सुनवाई
- सरकार गठन पर सभी पक्षों को सुना गया
- विपक्ष का दावा तुरंत सदन में बहुमत सिद्ध हो
- भाजपा के तीन दिन के समय की मांग खारिज
- सोमवार को सुबह साढ़े दस बजे होगी सुनवाई
रासबिहारी
नईदिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के मुद्दे पर
कल सुबह सुनवाई की अगली तिथि तय कर दी है। देश के सबसे रोचक
राजनीतिक मामले में आज सर्वोच्च अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें
सुनी। इनमें विपक्ष के दलों की तर्क था कि गड़बड़ी करने की कोशिशों
को रोकने के लिए सदन के अंदर तुरंत ही बहुमत सिद्ध करने का आदेश
दिया जाना चाहिए। दूसरी तरफ भाजपा की दलील थी कि इतनी
जल्दबाजी में सभी पक्षों को तैयारी का समय नहीं मिलेगा। इसलिए
इसमें तीन दिन का समय दिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी दलीलों को सुनने के बाद अंततः सरकार
बनाने के लिए राज्यपाल के बुलावे की चिट्ठी कल सुबह पेश करने के
लिए कहा। कोर्ट ने कहा कि फडणवीस और अजित पवार को सरकार
बनाने के बुलावे और समर्थन की चिट्ठी कोर्ट में पेश की जाए। महाराष्ट्र
में शनिवार सुबह अचानक बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार को शपथ
दिलाए जाने के खिलाफ शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की याचिका
पर सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को सुनवाई की।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा
कि राज्यपाल के खत सोमवार सुबह कोर्ट में पेश करने के लिए कहा.
कोर्ट ने कहा कि फडणवीस और अजित पवार को सरकार बनाने के
बुलावे और समर्थन की चिट्ठी कोर्ट में पेश की जाए. कोर्ट अब इस
मामले पर सोमवार सुबह सुनवाई करेगी, वहीं कोर्ट ने अभी फ्लोर टेस्ट
पर कोई आदेश नहीं दिया है। सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस और शिवसेना ने
कहा कि कोर्ट तुरंत फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश पारित करे।
सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत सिद्ध कराने की मांग ठुकराई
महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक नाटक और विधायकों की खरीद-
फरोख्त की आशंका के बीच राकांपा, कांग्रेस और शिवसेना ने अपने-
अपने विधायकों को मुंबई के विभिन्न लग्जरी होटलों में भेजा है।
शिवसेना नेता संजय राउत ने रविवार को दावा किया कि शिवसेना
राकांपा-कांग्रेस गठबंधन के पास महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत
साबित करने के लिए 165 विधायकों का समर्थन है।
भाजपा की तरफ से मुकुल रोहतगी ने कल रात और आज रविवार के
अवकाश के दिन इतनी जल्दबाजी में इस मामले की सुनवाई को गलत
बताते हुए कहा कि सभी पक्षों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिया
जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र में सभी अंगों को एक
दूसरे का सम्मान करना चाहिए। वरना अगर कल कोई विधानसभा
यह प्रस्ताव पारित कर दे कि हर मामले का फैसला अदालत दो वर्ष के
भीतर करें तो क्या यह उचित होगा। लोकतंत्र मे सभी अंगों को एक
दूसरे का सम्मान करते हुए ही काम करना चाहिए। दूसरी तरफ कांग्रेस
की तरफ से कपिल सिब्बल ने कहा कि इस मामले में कोई नोटिस
जारी करने तक की जरूरत नहीं है। अदालत को सीधे बहुमत सिद्ध
करने का आदेश पारित करना चाहिए।
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