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सौर आंधी की गति दो लाख किलोमीटर प्रति घंटा
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तीन महिलाओं ने दल ने किया परीक्षण
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इतनी तेज गति दूर तक अपना असर छोड़ेगी
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क्या यह भी नये तारों के निर्माण का प्रारंभ है
प्रतिनिधि
नईदिल्लीः सौरमंडल में हाल के दिनों में काफी कुछ उथल पुथल की घटनाएं देखने-समझने
को मिल रही है। वैज्ञानिकों का एक वर्ग यह मानता है कि ऐसी घटनाएं पहले भी होती आयी है।
अब विज्ञान के विकसित होने की वजह से पृथ्वी को इसके बारे में अधिक जानकारी मिल रही है।
इसी क्रम में पहली बार इस बात का पता चला है कि सुदूर महाकाश में एक तेज सौर आंधी
जन्म ले चुकी है। इसकी गति का भी वैज्ञानिकों ने आकलन किया है।
उनके मुताबिक कई सौ प्रकाश वर्ष दूर चल रही इस आंधी की गति दो लाख किलोमीटर
प्रति घंटे की है। दुधिया क्षेत्र यानी मिल्की वे की गतिविधियों पर नजर रखने वालों ने
इसी क्रम में यह भी पाया है कि वहां अंतरिक्ष में उत्सर्जित गैस तेजी से अंदर जा रहे हैं
जबकि उनके बाहर निकलने का क्रम पहले के मुकाबले कम होता जा रहा है।
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सौरमंडल की इस अत्यंत तेज आंधी का असर क्रमशः पूरी सृष्टि तक फैलना तय है।
लेकिन हमारे सौर मंडल तक आते आते इसकी गति और दशा क्या होगी,
इसका आकलन अभी नहीं किया जा सकता।
खगोल वैज्ञानिक मानते हैं कि अगर वाकई इसकी गति बहुत कम नहीं हुई तो
यह आंधी अंततः पृथ्वी का भी काफी कुछ नुकसान कर सकती है।
वरना सामान्य किस्म की सौर आंधियों का पृथ्वी के वायुमंडल की वजह से
लौट जाना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।
सौरमंडल पर यह शोध कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में
इस दिशा में शोद का काम कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में चल रहा है।
इसी शोध दल ने इस अत्यंत तेज गति की सौर आंधी का पता लगाया है।
जिस जगह पर यह आंधी पैदा हुई है, वह एक ब्लैक होल का इलाका है।
इस ब्लैक होल द्वारा अपने आस पास के मृत तारा समूहों को अपने अंदर खींचने
की प्रक्रिया में यह उथल पुथल हो रही है।
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ब्लैक होल के अत्यंत तीव्र गुरुत्वाकर्षण की वजह से तेजी से विखंडित होने वाले तारों
के अंदर से जो कुछ टूटकर निकल रहा है, वह ब्लैक होल के ईर्दगिर्द तेजी से चक्कर काट रहा है।
जिस इलाके में यह घटना घटित हो रही है, वह एक मृत तारामंडल है।
इस तारामंडल में कई लाख अथवा करोडों तारों का समूह मौजूद है।
यह सिर्फ अनुमान है क्योंकि इस मृत सौरमंडल में मौजूद सभी तारों की गिनती नहीं हुई है।
इस नई खोज को करने वाली तीन महिलाओं की टीम ने अपनी शोध से वैज्ञानिकों का ध्यान
आकृष्ट किया है।
इस दल की प्रमुख इसी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की प्रोफसर ग्रैब्रियला कानालिजो हैं।
उनके साथ सहायक प्रोफसर लारा वी सेल्स और क्रिस्टियाना एम मानजानो किंग हैं।
इन तीनों ने इस सौर आंधी और उसकी तेज गति का पता लगाया है।
वैसे तो हर ब्लैक होल के ईर्दगिर्द ऐसी स्थिति हमेशा ही बनी रहती है।
लेकिन इस मामले में सौर आंधी की गति सामान्य से काफी अधिक आंकी गयी है,
जो वैज्ञानिक शोध का विषय बन गया है।
आंधी की जबरदस्त ताकत से हैरान हो गये हैं वैज्ञानिक
शोधकर्ता इस आंधी की शक्ति को नापकर हैरान हैं।
इतनी तेज गति की आंधी इससे पहले कभी दर्ज नहीं की गयी है।
इस वजह से इस आंधी का असर कहां तक और कितना होगा, इस पर नजर रखी जा रही है।
वैज्ञानिक यह भी समझना चाह रहे हैं कि क्या अंतरिक्ष में आगे बढ़ने के बाद इस आंधी की
गति में कोई कमी और वृद्धि हो रही है अथवा नहीं।
सामान्य वैज्ञानिक परिकल्पना के मुताबिक सौर मंडल में आगे बढ़ने पर इस किस्म की
आंधियों का असर धीरे धीरे कम होने लगता है।
लेकिन वर्तमान में सूर्य में भी अजीब किस्म की आंधी चल रही है।
इस वजह से हमारे सौर मंडल के करीब आने पर इस आंधी की दिशा और दशा में
बदलाव आना तय माना जा रहा है।
इस सौर आंधी और उसके खोज के निष्कर्षों के बारे में परसो ही औपचारिक जानकारी दी गयी है।
जिसमें बताया गया है कि ब्लैक होल द्वारा मृत तारों को अपने अंदर सोख लेने की प्रक्रिया
में जो विकिरण पैदा हो रहा है, उससे यह आंधी बन रही है।
तेज गति होने की वजह से यह अंतरिक्ष में फैलती जा रही है।
इस तरीके से गैसों को उत्सर्जन की वजह से कहीं सुदूर में तारों का निर्माण भी हो सकता है।
लेकिन अभी पक्के तौर पर इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है।
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