हजारीबाग : शार्प आई फाउंडेशन का उदघाटन स्थानीय मटवारी हाउस हॉस्पिटल कैम्पस
में गुरुवार को हुआ। यह उद्घाटन हजारीबाग सदर विधायक मनीष जायसवाल, निगम के
डिप्टी मेयर राजकुमार लाल, रांची के सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. बी. पी. कश्यप, डॉ. भारती
कश्यप और हजारीबाग के प्रख्यात आई स्पेशेलिस्ट डॉ. सुजोय सामंता ने संयुक्त रूप से
फीता काटकर किया। मौके पर सदर विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि अब
हजारीबाग और आसपास के क्षेत्र के लोगों कोरेटिना के ऑपरेशन के लिए महानगरों
मेंजानेकी जरूरत नहीं होगी। उन्होंने यह भी कहा कि जल्द हीं आयुष्मान भारत से शार्प
आई फाउंडेशन को जोड़ा जायेगा। ताकि आँखों की गंभीर बीमारियों से ग्रसित हजारीबाग
और उसके आस-पास के क्षेत्रों के गरीब मरीजों का मुफ्त इलाज हो सकेगा। डिप्टी मेयर
राजकुमार लाल ने कहा की भविष्य में यह क्लीनिक आँखों के रोगियों के लिए वरदान
साबित होगा। डॉ. सुजोय सामंता ने बताया कि पहले आँखों के पर्दे की गंभीर बीमारियों के
लिए मरीजों को कश्यप मेमोरियल आई हॉस्पिटल, राँची भेजा जाता था पर अब एम्स
प्रिशिक्षित डॉ. बिभूति कश्यप कश्यप मेमोरियल आई हॉस्पिटल, राँची से आ कर हर हफ्ता
शार्प आई फाउंडेशन में मरीजों को अपनी सेवा देंगें ।
शार्प आई फाउंडेशन में प्री मैच्योर बच्चों का भी ईलाज
अब हजारीबाग में हो सकेगा पहली बार प्री-मैच्योर बच्चों का सम्पूर्ण जाँच एवं ईलाज
संभव होगा। प्री-मैच्योर बर्थ के बाद 30 दिन के अंदर बच्चे की राओपी स्क्रीनिंग यानि
उसकी आंखों की जांच होनी चाहिए। बच्चे के जन्म के तुरंत बाद डॉक्टर्स की प्राथमिकता
उसकी जान बचाना होता है। जब बच्चा गर्भ में होता है तो रेटिना सैकंड से थ्रर्ड ट्राइमेस्टर
के बीच बनता है। करीब 15 से 20 साल पहले प्रीमेच्योर बच्चों को बचा पाना मुश्किल होता
था क्योंकि तकनीक इतनी विकसित नहीं थी। लेकिन आज प्रीमेच्योर बच्चे की जिंदगी
बचा लेना अधिक आसान है लेकिन ज्यादातर केसेज में उसकी आंखों की रोशनी नहीं बचा
पाते। इससे भी बच्चों में अंधेपन के केस बढ़ रहे हैं। अभिभावकों के लिए बहुत अधिक
जरूरी है कि अगर आपका बच्चा प्रीमेच्योर चाइल्ड है तो अपने बच्चे के डॉक्टर से जरूर
पूछें कि बच्चे की आर.ओ.पी. स्क्रीनिंग हुई है या नहीं हुई। खासतौर पर ऊपर बताए गए
टाइम के अंदर ही बच्चे की जांच कराएं। हमारी थोड़ी सी सतर्कता एक बच्चे के जीवन में
अंधकार आने से रोक सकती है।
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