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आंदोलनकारियों ने ही वीडियो देखकर खोज निकाला
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पकड़े जाने पर सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी
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सन्नी देओल की सफाई आयी मैं नहीं जानता
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कहा गुस्से में निशान साहिब लेकर चढ़ा था
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः लाल किला पर निशान साहिब फहराने वाला शख्स एक कलाकार दीप सिद्धू
निकला। पंजाब का आंदोलनकारी किसानों ने उसे खोज निकाला और पकड़े जाने के बाद
उसने सफाई दी कि वह किसानों के प्रति सरकार के रवैये से नाराज होकर निशान साहिब
लेकर लाल किला पर चढ़ गया था। दूसरी तरफ आंदोलनकारियों ने यह भी खोज निकाला
वह दरअसल हिंदी फिल्मों के अभिनेता सन्नी देओल का करीबी है और वह सन्नी देओल
के साथ प्रधानमंत्री मोदी के साथ फोटो भी खिंचवा चुका है। वैसे सन्नी देओल ने इस बारे
में पूछे जाने के बाद सफाई भी दे दी है। किसानों के इस रास्ते लेकर आगे बढ़ने वालों में
दीप सिद्धू के साथ उसके कई सहयोगी भी थे। आंदोलनकारी किसानों के नेता एक एक कर
उनकी भी पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं।
अभिनेता दीप सिद्धू ने कहा कि उसने अपनी तरफ से तिरंगे का कोई अपमान नहीं किया है
सिर्फ सिक्खों के धार्मिक निशान को लाल किला पर फहराया है। जब इस घटना के वीडियो
सोशल मीडिया पर सार्वजिनक हुए तभी से आंदोलनकारी किसानों के नेता चौकन्ने हो गये
थे। उन्होंने इस पूरे समूह की पहचान करते हुए अंततः सबसे पहले दीप सिद्धू को खोज
निकाला। हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चडूनी ने इस पंजाबी कलाकार पर
आरोप लगाया है कि उसने ही किसानों को भड़काया था जबकि किसान वहां जाना भी नहीं
चाहते थे।
लाल किला पर पहुंचे किसानों ने वीडियो खींच लिया था
अब दीप सिद्धू का पता चल जाने के बाद यह सूचनाएं भी बाहर आ चुकी हैं कि वह कलाकार
सन्नी देओल के गुरदासपुर चुनाव के वक्त काफी सक्रिय था। वैसे अब सन्नी देओल इस
अभिनेता से संबंध होने की बात से इंकार कर रहे हैं। खुद को किसान आंदोलन से जुड़ा होने
का दावा करने वाले सिद्धू के बारे में भी स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि
वह कभी भी इस आंदोलन के हिस्सा नहीं रहे थे। श्री यादव ने कहा कि शंभु सीमा पर
आंदोलनकारियो के बीच जब वह पहुंचा था तो तभी उसके हाव भाव देखकर किसान
नेताओं को संदेह हो गया था और उससे दूरी बना लेने की सलाह आंदोलनकारियों को दी
गयी थी। वह भीड़ के अंदर से खालिस्तानी नारे लगाते हुए पकड़ा गया था। अब किसान
नेता सिद्धू के साथ मौजूद अन्य लोगों की भी पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं जो भीड़
में रहते हुए दिल्ली की सड़कों से अनजान किसानों को भड़काते हुए लाल किला तक ले गये
थे। बाद में नेताओँ से निर्देश मिलने पर किसान तुरंत वहां से लौट गये।
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