- मुख्यमंत्री बने रहेंगे एन बीरेन सिंह
- कोनरॉड सांग्मा के प्रयास से मिली सफलता
- अमित शाह और नड्डा से मिले चार विधायक
- राज्यपाल को फिर से सौंपा अपना समर्थन पत्र
भूपेन गोस्वामी
गुवाहाटी : मणिपुर में बागी विधायकों को मनाने में भाजपा कामयाब हो गयी है। पिछले
दिनों मणिपुर में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार में मचे घमासान के बाद अब तस्वीर फिर
पलटती नजर आ रही है। मणिपुर में बीजेपी की सहयोगी नैशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी)
के जिन 4 मंत्रियों ने एन बीरेन सिंह सरकार से इस्तीफा दिया था, वह अब वापस लेंगे।
मेघालय सीएम और एनपीपी चीफ कोनराड संगमा ने बताया कि चारों मंत्री इस्तीफा
वापस लेकर बीजेपी की एन बीरेन सिंह सरकार को समर्थन देंगे। मेघालय के मुख्यमंत्री
कोनराड संगमा ने बागी विधायकों ने बदला मन। पूर्वोत्तर में बीजेपी के संकटमोचक
हेमंत बिस्वा सरमा के साथ मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा आज एनपीपी नेताओं
के प्रतिनिधिमंडल ने गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात
की। जिन विधायकों ने इस महीने की शुरुआत में पूर्वोत्तर राज्य में बीजेपी के नेतृत्व वाली
गठबंधन सरकार को छोड़ दिया और इसे पतन के कगार पर ला दिया अचानक से उनका
हृदय परिवर्तन हो गया। दिल्ली में भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित
शाह के साथ बैठक के बाद वे वापस आ गए हैं। मणिपुर में नेशनल पीपुल्स पार्टी एक
सहयोगी के रूप में बने रहने को लेकर सहमत होने के साथ भाजपा के नेतृत्व वाली एन
बीरेन सिंह सरकार के लिए राजनीतिक संकट अब खत्म होता लग रहा है। नेशनल पीपुल्स
पार्टी (एनपीपी) के अध्यक्ष और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने बुधवार को गृह
मंत्री अमित शाह से मुलाकात की जिसके बाद मणिपुर में अपनी सरकार को स्थिर रखने
के लिये भाजपा ने एक बार फिर क्षेत्रीय दल का समर्थन हासिल कर लिया। मणिपुर में
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार एनपीपी के चार, भाजपा के तीन बागी
विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद मुश्किल में घिर गई थी।
मणिपुर के भाजपा संकट को हेमंत बिस्व शर्मा ने सुलझाया
भाजपा के संकट मोचक और नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) के संयोजक हेमंत
बिस्व सरमा एनपीपी के प्रतिनिधिमंडल को शाह से मिलवाने लेकर गए। एनईडीए में
भाजपा और पूर्वोत्तर के उसके सहयोगी दल शामिल हैं। एनपीपी प्रमुख कॉनराड संगमा,
पड़ोसी मेघालय के मुख्यमंत्री और मणिपुर के डिप्टी सीएम वाई जॉय कुमार सिंह के
नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी
नड्डा से मुलाकात की। जॉयकुमार सिंह का इस साल अप्रैल में उनका पोर्टफोलियो छीन
लिया गया था। असम के कैबिनेट मंत्री और भाजपा नेता हिमंत बिस्वा सरमा, जो भाजपा
के नेतृत्व वाले पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन के संयोजक हैं, ने बैठक के बारे में ट्वीट
किया है। भाजपा के संकट मोचक और नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) के
संयोजक हेमंत बिस्व सरमा एनपीपी के प्रतिनिधिमंडल को शाह से मिलवाने लेकर गए.
एनईडीए में भाजपा और पूर्वोत्तर के उसके सहयोगी दल शामिल हैं। बैठक के बाद सरमा
ट्वीट किया, ‘कोनराड संगमा और मणिपुर के उप मुख्यमंत्री वाई जॉय कुमार सिंह के
नेतृत्व में एनपीपी के प्रतिनिधिमंडल ने आज नयी दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से
मुलाकात की। मणिपुर के विकास के लिये भाजपा और एनपीपी मिलकर काम करते
रहेंगे। एनपीपी और अन्य असंतुष्ट विधायक बीरेन सिंह को हटाने की मांग कर रहे हैं।
पार्टी के पूर्वोत्तर मामलों के प्रभारी और महासचिव राम माधव ने इम्फाल में जोर देकर
कहा कि राज्य सरकार स्थिर रहेगी।
राम माधव ने इम्फाल हवाईअड्डे पर संवाददाताओं से कहा, ‘यह मुझसे जान लीजिए, हम
2022 तक स्थिर हैं (जब राज्य में अगले विधानसभा चुनाव होने हैं)। इसके अलावा बीजेपी
के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने कहा, ‘मणिपुर की सरकार स्थिर है।
भाजपा नेतृत्व का दावा पर्याप्त समर्थन हासिल है
हमारे पास विधायकों का पर्याप्त समर्थन है और सरकार किसी भी समय असेंबली फ्लोर
पर बहुमत साबित करने के लिए तैयार है।’ उन्होंने कहा कि मणिपुर में कोई अस्थिरता
नहीं है। बीरेन सिंह ने भी इस मामले को ज्यादा तवज्जो नहीं देने की बात कहते हुए कहा
कि यह एक ‘पारिवारिक मामला’ है, और उम्मीद जताई कि राजनीतिक संकट जल्द
सुलझ जाएगा। विधायकों के इस्तीफे और समर्थन वापस लेने से बिगड़ी स्थिति देख
बीजेपी ने बीजेपी के संकटमोचक कहे जाने वाले हिमंत बिस्वा शर्मा को अचानक मणिपुर
भेजा था। हिमंत शर्मा रविवार रात इंफाल पहुंचे और कई राउंड में बैठक की। उनके साथ
मेघालय के सीएम और एनपीपी नेता कोनराड संगमा भी थे। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की
सरकार ने 9 विधायकों की वजह से इस महीने उथल-पुथल मचाई थी। जिनमें मुख्य
सहयोगी एनपीपी के चार, भाजपा के तीन, अकेले तृणमूल कांग्रेस के विधायक और
निर्दलीय विधायक शामिल थे ।एनपीपी विधायकों – जिसमें राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री
वाई जॉयकुमार सिंह और कैबिनेट मंत्री एन कायसी, एल जयंत कुमार सिंह और लेटपा
हाओकिप शामिल थे, इन्हे आज सुबह दिल्ली लाया गया। एनपीपी विधायकों ने कट्टर
प्रतिद्वंदी कांग्रेस के साथ हाथ मिलकर सेक्युलर प्रोग्रेसिव फ्रंट के गठन किया था. दरार के
लिए भाजपा के उच्च-व्यवहार को दोषी ठहराते हुए, उन्होंने कभी भी अपना मन नहीं
बदलने की कसम खाई थी। भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद क्षेत्रीय संगठन
एनपीपी और अन्य के साथ मिलकर राज्य में गठबंधन सरकार बनाई थी।
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