रातू रोड स्पोर्टिंग की दुर्गा पूजा अपने आप में निष्ठा से किये गये सीमित प्रयास के फलने और फूलने का एक जीता जागता उदाहरण है।
किसी सार्वजनिक आयोजन के छोटे से प्रयास का एक विशाल बरगद के पेड़ के जैसा स्थापित होने का जीता जागता उदाहरण है रातू रोड स्पोर्टिंग क्लब की दुर्गा पूजा का आयोजन।
कभी अत्यंत सीमित संसाधनों में और छोटे से स्थान में इस पूजा का आयोजन प्रारंभ होने के बाद
क्रमवार तरीके यह पूजा सफलता और लोकप्रियता की सीढ़िया चलता चला गया।
आज रांची के अलावा भी बाहर के लोगों के लिए आर आर स्पोर्टिंग की दुर्गा पूजा का आयोजन
एक आकर्षण का विषय बन चुका है।
राष्ट्रीय खबर के स्टूडियो में पूजा पर क्या कहते हैं आयोजक वीडियो में देखिये
नन्हा सा पौधा बरगद का पेड़ बन गया धीरे धीरे
इस पूजा में अगर कुछ नहीं बदला है तो वह है उसका छोटा सा स्थान और उसकी पूजन विधि।
यह अपने आप में कुशल प्रबंधन का विषय है कि इतने कम स्थान में पूजा का आयोजन होने के बाद भी इसका सफलता पूर्वक संचालन होता आ रहा है।
ऐसा तब है कि खास तौर पर पूजा के दिनों में रात के वक्त पंडाल देखने निकले लोगों के लिए
इस पंडाल पर आना अनिवार्य होता है।
इस रातू रोड स्पोर्टिंग की पूजा की शुरूआत स्वर्गीय कृष्णा यादव के द्वारा की गयी थी। प्रारंभिक अवस्था में
अत्यंत सीमित संसाधनों और लोगों से मिले चंदे पर इस सार्वजनिक पूजा का आयोजन हुआ था।
निष्ठापूर्वक पूजन की वजह से भक्तों के बीच यह पूजा अपने प्रारंभिक काल से ही चर्चित हुआ।
धीरे धीरे इसमें विकास होते चले गये।
चंदन नगर की लाइटिंग रांची में यहीं से लोकप्रिय हुई
स्वर्गीय यादव ने इस पूजा को खास तौर पर लोकप्रिय तब बनाया जब इस पूजा के मौके पर
रातू रोड इलाके में खास तौर पर पश्चिम बंगाल के चंदन नगर से लाये गयी बिजली की सजावट की गयी।
पूरे देश में चंदन नगर की बिजली की सजावट का अलग नाम है।
इस लाइट में खास तौर पर बच्चों के आकर्षण के लायक काफी कुछ होने की वजह से बच्चों का मन इसकी तरफ आकृष्ट हुआ।
घर के बच्चों की जिद की वजह से घर के अभिभावक भी इस पूजा पंडाल पर आने को विवश हुए।
यहीं से आर आर स्पोर्टिंग दुर्गा पूजा अपनी लोकप्रियता पर तेजी से ऊपर चढ़ता चला गया।
दुर्गा पूजा के प्रति लोगों के बढ़ते आकर्षण को देखते हुए खुद मुख्य आयोजक कृष्णा यादव
को भी इसमें लगातार सुधार और विकास करना पड़ा।
ताकि लोगों को हर बार की पूजा में कुछ न कुछ नया नजर आये।
इसी नवीनता से इस आयोजन में चार चांद लगा दिये।
जिसका परिणाम यह हुआ कि यह रांची (अविभाजित बिहार) के सबसे लोकप्रिय पूजा के आयोजन में अपना स्थान बनाने में कामयाब रहा।
इसका नतीजा यह हुआ कि पूजा के मौके पर अन्य शहरों से भी रांची आने वाले इस पूजा पंडाल को देखने आने लगे।
इस पंडाल पर इसी अनुपात में भीड़ भी बढ़ती चली गयी।
धीरे धीरे यह आयोजन पूर्वी भारत के अन्यतम प्रमुख पूजा आयोजनों में से एक हो गया।
एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को मिली जिम्मेदारी
इस पूजा के आयोजन की जिम्मेदारी अब दूसरी पीढ़ी के कंधों पर आ चुकी है।
स्वर्गीय कृष्णा यादव के असामयिक निधन के बाद से उनके पुत्र तथा आयोजन से जुड़े
पुराने लोगों के मिले जुले प्रयास से ही यह काम आगे बढ़ रहा है।
इस बात की प्रशंसा करनी होगी कि अगली पीढ़ी ने पूजा के आयोजन को आगे भी बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभायी है।
सबसे बड़ी बात है कि इस नई पीढ़ी ने इस आयोजन को पहले के मुकाबले और बेहतर बनाया है।
इस बदलाव को पूजा पंडाल आने वाले भले ही नहीं जानते हों।
पंडाल आने वाले दर्शक सिर्फ इस पूजा के आयोजन में हर बार होने वाले बदलाव और सुधार को देखकर प्रसन्न होते हैं।
घर के बच्चे पहले से ही पता करते हैं कि आर आर स्पोर्टिंग में नया क्या है
अब तो पूजा के पहले से ही कुछ ऐसी स्थिति बन जाती है कि घर के बच्चे पहले से ही
यह जानकारी हासिल करने में जुटे रहते हैं कि इस बार आर आर स्पोर्टिंग के पूजा पंडाल में
नया क्या कुछ बिजली का करतब दिखाया जाने वाला है।
वर्तमान में इस पूजा की जिम्मेदारी संभाल रही कमेटी के प्रमुख और स्वर्गीय कृष्णा यादव के वरिष्ठ पुत्र
विक्की यादव खुद इस बात को स्वीकार करते हैं कि यह देवी की कृपा ही है कि इतना कुछ हो पा रहा है।
वह खुद स्वीकार करते हैं कि जब तक उनके पिता जिंदा थे तो पूजा के बारे में वह ज्यादा कुछ जानते ही नहीं थे।
दरअसल पूजा के साथ उनलोगों का जुड़ाव सिर्फ पंडाल देखने तक का था।
विक्की ने माना कि अचानक पिता की मौत के बाद ऐसी जिम्मेदारी संभालनी पड़ेगी, इसका उन्हें एहसास तक नहीं था।
वह तो अपने मैनेजमेंट की पढ़ाई के बाद दूसरी तैयारियों में जुटे हुए थे।
रातू रोड स्पोर्टिंग से जुड़े विक्की यादव मैनेजमेंट के छात्र रहे हैं
अचानक जीवन में बहुत कुछ बदलाव आ गया था। इसके बाद जब पूजा के आयोजन की बात आयी तो पुराने लोगों के सहयोग से कदम आगे बढ़ाने का फैसला लिया।
घर के छोटे भाइयों ने भी इसमें पूरी मदद की ।
विक्की यादव खुद मैनेजमेंट के छात्र रहे हैं।
इसलिए पूजा के आयोजन को भी नये तरीक से व्यवस्थित करने के लिए
उन्होंने सिर्फ पूजा और पंडाल के निर्माण को किसी सामाजिक संदेश के से जोड़ने की पहल की।
इस एक पहल ने उनके मैनेजमेंट के गुण से सामाजिक फायदे की नई सोच पैदा हुई।
वह खुद भी स्वीकार करते हैं कि पूजा की जिम्मेदारी आने के बाद एक
लोकप्रिय पूजा के आयोजन को और बेहतर बनाने की जिम्मेदारी कैसी होती है, इसका एहसास उन्हें हुआ।
जिम्मेदारी कंधे पर आयी तो बहुत कुछ समझ में आया
यह इस पूजा के स्थापना काल से किये गये प्रयासों का ही सार्थक परिणाम था कि
क्रमवार तरीके से पूजा के आयोजन की जिम्मेदारियों को एक एक कर नई पीढ़ी के लोग संभालते चले गये।
कभी इस आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले अब मार्गदर्शन का काम करते हैं।
पूजा के आयोजन की कठिनाइयों के बारे में आयोजन समिति के सदस्य यह मानते हैं कि
इतने कम स्थान पर पूजा का आयोजन अपने आप में एक कठिन चुनौती होती है।
खास तौर पर जब यह पूजा लोकप्रिय हो और लाखों की संख्या में लोग यहां दर्शन के लिए
हर दिन आते हों तो यह चुनौती और भी कठिन हो जाती है।
विक्की को अपने भाइयों का पूर्ण सहयोग भी इसमें प्राप्त होता है, जो अलग अलग कारोबार से जुड़े हुए हैं।
लेकिन पूजा के आयोजन में सभी एक मुट्ठी की तरह बंधकर काम करते है।
पूजा का आयोजन मानते हैं कि हाल के दिनों में इस आयोजन की सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती भीड़ है।
भीड़ को संभालना वाकई बड़ी चुनौती होती है
विक्की यादव ने प्रशासन को इस बात के लिए धन्यवाद दिया कि जिला प्रशासन और पुलिस ऐसे अवसरों पर बेहतर इंतजाम करती है।
फिर भी आयोजन समिति के सदस्यों को भी इस उत्साही भीड़ को नियंत्रित करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता है।
इस पूजा पंडाल के अलावा दूर तक सड़क पर लगी बिजली के करतब देखने के लिए भी
सड़कों पर लाखों की भीड़ और खास तौर पर बच्चे एकत्रित रहते हैं।
उनपर नजर रखना और खास तौर पर किसी बच्चे के अपने परिवार के बिछड़ जाने की स्थिति में
इस पर लगातार नजर रखना बड़ी जिम्मेदारी होती है।
लगातार 18 वर्ष के पूजा के आयोजन के मौके पर एक एक कर इसे सुधारना और निरंतर बेहतर करना अपने आप में बड़ी बात है।
वैसे इस दौरान की चुनौतियों और उसमें मिले जनसहयोग को भी पूजा के आयोजन बार बार याद करते हैं।
खुद विक्की यादव ने बताया कि कुछ वर्ष पहले अचानक बिजली के शर्ट सर्किट की वजह से पंडाल में आग लग गयी थी।
यह पंडाल पूरी तरह जलकर राख हो गया था देखिये वीडियो
उस दौरान जनता का प्यार कैसा होता है, यह समझ में आया।
पूजा के आयोजक खुले मन से इस बात को स्वीकार करते हैं कि आग में पंडाल पूरी तरह जलकर
राख हो जाने के बाद उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा था कि आखिर पूजा होगी कैसे।
पंडाल में आग लगी तो जनता का प्यार समझ में आया
ऐसे मौके पर आम जनता ने आगे आकर और दिल खोलकर मदद की।
आयोजन से जुड़े नहीं रहने वाले भी धार्मिक श्रद्धा की वजह से वहां काम करने आये।
सभी के दिन रात के प्रयास से पंडाल फिर से खड़ा किया गया और पूजा का सफल आयोजन किया।
वैसे आयोजक इसके लिए मां दुर्गा की कृपा का विशेष योगदान मानते हैं।
खुद आयोजकों को भी यह सही ढंग से याद नहीं कि उस दौर में किस व्यक्ति अथवा संगठन ने क्या कुछ मदद की।
सभी के सहयोग से ही यह काम हो पाया।
पूजा कमेटी अब भी उन तमाम लोगों का आभार मानती है
इसके लिए पूजा के आयोजक आज भी उन तमाम शुभार्थियों का आभार मानते हैं,
जिन्होंने पूजा के आयोजन में अपना अपना योगदान किया था।
पूजा और बिजली को रोशनी के लिए लोकप्रिय हो चुके इस पूजा पंडाल ने अब नई सोच के साथ इस बार काम करने की ठानी है।
श्री यादव ने इस बारे में बताया कि पहली बार कन्या भ्रूण हत्या को इस बार की पूजा का थिम बनाया गया है।
दरअसल जो काम पहले किये जा चुके हैं, उससे अलग हटकर कुछ करने की सोच की वजह से
इस थिम को अपनाया गया है।
कन्या भ्रूण हत्या का विरोध ही इस बार की थीम क्यों, के सवाल पर विक्की यादव कहते हैं कि
समाज को संदेश देने के सवाल पर काफी सोच समझकर इस थीम का चयन किया गया है।
वर्तमान दौर में देश की जो प्रमुख चुनौतियां हैं, उन्हीं में से किसी एक पर सामाजिक संदेश दिया जाना जरूरी है।
वर्तमान में देश की जो स्थिति और माहौल है, उसमें इसी थीम को आगे बढ़ाने को प्राथमिक समझा गया।
रातू रोड स्पोर्टिंग की इस बार की पूजा कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ
समाज में महिलाओं को उचित स्थान और सम्मान मिले, इसी सोच को विकसित करने के लिए कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ यह अभियान चलाया जा रहा है।
पूजा कमेटी के सदस्य मानते हैं कि अगर लोग अपने अपने घरों में कन्या भ्रूण हत्या का विरोध
करने की ठान लेंगे तो पूरे समाज में अपने आप ही नारी सशक्तिकरण का एक स्पष्ट निर्देश जाने लगेगा।
जब हर तरफ से इस किस्म के निर्देश सामाजिक गतिविधियों के केंद्र में पहुंचते हैं
तो सामाजिक सोच भी बदलने लगती है। इसी सोच को आगे बढ़ाने के लिए इस बार की पूजा की थीम यह रखी गयी है।
यह रातू रोड स्पोर्टिंग के लिए एक नया प्रयोग है और उसके माध्यम से यह संगठन खुद को
सामाजिक गतिविधियों से जोड़े रखना चाहता है।
श्री यादव मानते हैं कि पूजा पंडाल देखने आने वाले लाखों लोगों में से अगर कुछ हजार लोग भी
इस थीम से प्रभावित हुए तो समाज में एक बड़ा बदलाव महसूस किया जा सकेगा।
यही थीम को प्रदर्शित करने की असली सफलता भी होगी।
अब सदस्यों के सहयोग से होता आ रहा है आयोजन
पूजा के आयोजन के सवाल पर आयोजकों ने कहा कि अब माहौल काफी बदल चुका है।
इसलिए पूजा के आयोजन के लिए होने वाले खर्च का इंतजाम लोग अपने तय माध्यमों से ही करते हैं।
आम तौर पर पहले जो पूजा के लिए चंदा लेने की प्रथा थी, उसे छोड़ दिया गया है।
अनेक ऐसे अच्छे लोग हैं, जो पूजा के आयोजन से प्रसन्न रहते हैं।
उनकी मदद से इस विशाल पूजा का आयोजन हो जाता है।
हर वर्ष कुछ नये लोग भी इन सहयोगियों में जुड़ते चले जा रहे हैं।
इसी आधार पर यह कारवां लगातार आगे भी बढ़ता चला जा रहा है।
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