रांची के पूर्व कारोबारी यानी मुरारी लाल जालान की जेट विमान सेवा फिर से उड़ान भरेगी।
काफी अरसे से ठप पड़ी विमानन कंपनी को मुरारी लाल जालान ने खरीदने का साहस
किया है। उस जेट विमान सेवा के ठप पड़ने के बाद से ही उसके लिए नये खरीददार की
तलाश जोर शोर से हो रही थी। प्रस्तावित योजना के मुताबिक घरेलू बाजार तथा यूरोप
और पश्चिम एशियाई देशों के प्रमुख शहरों में फुल सर्विस विमानन कंपनी के तौर पर
इसका परिचालन करने की है। जेट एयरवेज सूचीबद्ध कंपनी बनी रहेगी और इसके नए
मालिक उज्बेकिस्तान के रियल एस्टेट कारोबारी मुरारी लाल जालान के पास कंपनी की
51 फीसदी हिस्सेदारी होगी। इसके साथ ही 14 फीसदी हिस्सेदारी कालरॉक कैपिटल के
पास और 10 फीसदी हिस्सेदारी ऋणदाताओं के पास होगी। रांची के पूर्व कारोबारी मुरारी
लाल जालान के रिश्तेदार अब भी रांची में हैं। रियल एस्टेट में बेहतर कमाई करने के बाद
मुरारी लाल जालान ने भारत के अलावा रूस और उज्बेकिस्तान में निवेश किया है।
कालरॉक कैपिटल लंदन की वित्तीय सलाहकार और वैकल्पिक परिसंपत्ति प्रबंधन इकाई
है। उज्बेकिस्तान के रियल एस्टेट दिग्गज के एक करीबी शख्स ने बताया कि जालान
नीति निर्माताओं, विमान कंपनियों और वेंडरों के साथ बातचीत कर रहे हैं और उन्होंने
भरोसा दिया है कि विमानन कंपनी को उबारने के लिए पैसे की कोई दिक्कत नहीं आएगी।
कंसोर्टियम ने जेट एयरवेज में करीब 1,000 करोड़ रुपये निवेश करने का प्रस्ताव किया है।
सूत्रों ने कहा कि नियामकीय मंजूरियां मिलने के बाद कंपनी के नए मालिक जेट में और
निवेश करने के लिए तैयार हैं। एक जानकार शख्स ने कहा, ‘दोनों प्रवर्तकों की अपनी
शख्सियत है और उनकी कारोबारी हैसियत भी अच्छी है।
रांची के पूर्व कारोबारी की अंतर्राष्ट्रीय साख मजबूत
अगर सभी नियामकीय मंजूरियां समय पर मिल जाती हैं तो अगले छह महीने में
परिचालन शुरू हो सकता है। हम जेट को बुरे दौर से बाहर निकालना चाहते हैं।’ कालरॉक
कैपिटल और मुरारी लाल जालान की प्रस्तावित समाधान योजना को जेट एयरवेज के
ऋणदाताओं ने अक्टूबर में मंजूरी दे दी थी और अब राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट
(एनसीएलटी) से मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है। कंपनी की समाधान योजना हवाई
अड्डा स्लॉट और द्विपक्षीय अधिकारों को वापस हासिल करने पर टिकी है। जेट का
परिचालन बंद होने के समय उसके पास करीब 700 जोड़े स्लॉट थे, जिनमें 116 दिल्ली में
और 214 मुंबई हवाई अड्डे पर आवंटित किए गए थे। उक्त शख्स ने बताया, ‘हमने इन
स्लॉटों और द्विपक्षीय अधिकारों को वापस पाने के लिए सरकार के साथ बातचीत शुरू
कर दी है। सरकार ने भरोसा दिया है कि दूसरी विमानन कंपनियों को इन स्लॉटों का
आवंटन अस्थायी तौर पर किया गया था और एनसीएलटी से योजना को मंजूरी मिलने के
बाद ये जेट को वापस कर दिए जाएंगे।’ फरवरी में जब सरकार ने प्रवासी भारतीयों को
विमानन कंपनी में 100 फीसदी हिस्सेदारी लेने की अनुमति दी थी तब जालान ने अपनी
टीम से पूछा था कि जेट के लिए बोली लगाना ठीक रहेगा या नहीं। उस समय मामला नहीं
जमा। जून में जालान ने कालरॉक कैपिटल के फ्रिट्च से संपर्क साधा। लेकिन जब उस
शख्स से पूछा गया कि महामारी के बीच कोई भी ठप पड़ी विमानन कंपनी क्यों खरीदेगा
तो उसने कहा कि नई विमानन कंपनी शुरू करने की लागत में काफी कमी आई है, जिसके
कारण जालान जेट के लिए बोली लगाने को प्रेरित हुए। जानकार शख्स ने कहा, ‘हमने
करीब एक महीने तक जेट एयरवेज की दिवालिया प्रक्रिया पर करीब से नजर रखी थी।
जेट के संचालन के लिए आवश्यक धन भी उपलब्ध
महामारी ने हमें कम खर्च में विमानन कंपनी खरीदने का अवसर दिया। वैसे इस विमान
सेवा को भारत में चालू करना इसलिए भी जनता के लिहाज से जरूरी है क्योंकि इससे फिर
से विमान सेवा में प्रतिस्पर्धा का बाजार उठ खड़ा होगा। वरना बीच के दौर में कई विमानन
कंपनियों के बंद हो जाने की वजह से टिकट की कीमतों में जो मनमानी चल निकली थी,
वह इससे बंद होगी। वैसे भी रांची के लोगों के लिए यह प्रसन्नता और हर्ष की बात है कि
हमारे बीच का कोई व्यक्ति अपने परिश्रम से सफलता के उस मुकाम तक पहुंच पाया है।
वैसे इस नये कारोबार को चालू करने में जो संभावित परेशानियां हैं, उसे श्री जालान ने
अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए पहले से ही दूर करने का भरसक प्रयास किया है।
इसी वजह से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि जेट उड़ान सेवा के
दोबारा चालू होने की स्थिति में उसके बेहतर संचालन हेतु नकदी की कमी नहीं होगी।
वरना नकदी की कमी की वजह से जब ऐसी सेवा के उड़ान संबंधी भुगतान में विलंब होता
है तो धीरे धीरे इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। हमारी शुभकामनाएं हैं कि रांची से जुड़ा यह
कारोबारी इस विमान सेवा में भी नई ऊंचाइयों को हासिल करने में सक्षम हो।
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