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दोनों राज्यों में अब महापंचायतों की जरूरत नहीः चडूनी
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अब यहां के किसान कृषि कानून को जान चुके हैं
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पूर्व घोषित रैलियों को स्थगित करने का फैसला नहीं
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दिल्ली पुलिस गांव आये तो उनका घेराव किया जाए
राष्ट्रीय खबर
चंडीगढ़ः पंजाब और हरियाणा के किसान अब बारी बारी से दिल्ली की सीमा पर आंदोलन
को जारी रखेंगे। इसके लिए गांवों को अलग अलग जिम्मेदारी दी जा रही है। किसान नेता
गुरनाम सिंह चडूनी ने यह बात कही है। उन्होंने कहा कि इन राज्यों में अब किसान
महापंचायतों की आवश्यकता नहीं रही है। किसान महापंचायतों का आयोजन तो सिर्फ
किसानों को इस समस्या और आंदोलन की आवश्यकताओं को बताने के लिए किया जा
रहा था। इन दोनों राज्यों के किसान बहुत अच्छी तरह इन बातों को समझ चुके हैं।
इसलिए अब गांव गांव से दिल्ली की सीमा पर जाने का कार्यक्रम तय किया जा रहा है।
खेती का काम चले और साथ में आंदोलन भी जारी रहे, इसके लिए ऐसा करना जरूरी हो
गयी है। श्री चडूनी ने कहा कि कुछ बड़े चैनल लगातार इस बात को प्रचारित करने में जुटे हैं
कि दरअसल किसानों का आंदोलन समाप्त हो रहा है। जबकि ऐसी कोई बात नहीं हैं और
सारे किसान पहले की तरह एकजुट ही हैं। समय आने पर फिर से किसान अपनी शक्ति
का अवश्य प्रदर्शन करेंगे। अब तो पंजाब और हरियाणा के किसानों के सिंघु और टिकरी
सीमा पर क्रमवार तरीके से धरना देने की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। इससे गांवों में खेती
का काम भी चलता रहेगा और दिल्ली की सीमा पर आंदोलन भी जारी रहेगा। उन्होंने फिर
से स्पष्ट कर दिया कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी तक यह आंदोलन समाप्त होने वाला
नहीं है। वैसे इस दौरान अन्य राज्यों के किसानों के बीच भी किसान यूनियनों के नेता
जाएंगे और उन्हें आंदोलन से जोड़ने का काम करेंगे। इसलिए अब किसान महापंचायत
अन्य राज्यों में होंगे, जहां जागरुकता फैलाने की अधिक आवश्यकता है।
पंजाब और हरियाणा में रबि फसल की खेती का समय है
रवि की फसल का समय करीब होने की वजह से किसानों को खेती पर भी ध्यान देना
होगा। इसी वजह से यह रणनीति बदली गयी है। इसका आंदोलन के कमजोर पड़ने से कोई
लेना देना नहीं है। किसान आंदोलन पहले की तरह ही पूरी मजबूती के साथ खड़ा है।
उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि पंजाब और हरियाणा के जिन स्थानों पर किसान महापंचायतों
की घोषणा कर दी गयी है, उनके आयोजक इस पर अंतिम फैसला लेंगे। पूर्व घोषित
महापंचायतों को भी रोकने का कोई फैसला किसान यूनियन की तरफ से नहीं लिया गया
है। किसान यूनियन सिर्फ यह चाहती हैं कि अब इन दो राज्यों में ऐसे बडे किसान
महापंचायतों का आयोजन नहीं किया जाए क्योंकि किसान जागरुक हो चुके हैं।
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रतन मान ने कहा कि महापंचायतों में किसानों
की उपस्थिति उत्साहजनक है। इसलिए जिन रैलियों की घोषणा हो चुकी है, उन्हें नहीं
रोका जाएगा। इनमें से 22 फरवरी को सोनिपत के महापंचायत में राकेश टिकैत और 28
फरवरी के यमुनानगर के किसान महापंचायत में गौरव टिकैत भाग लेंगे। बता दें कि गौरव
टिकैत दरअसल नरेश टिकैत के पुत्र हैं और बीकेयू की युवा विंग के अध्यक्ष हैं। दूसरी तरफ
किसान नेता चडूनी ने किसानों को दिल्ली पुलिस का गांव में घेराव करने का निर्देश दिया
है। उन्होंने कहा है कि अगर उसके गांव के किसी किसान को गिरफ्तार करने दिल्ली
पुलिस आये तो उनका विरोध अवश्य किया जाए। जिला प्रशासन की मौजूदगी के बिना
किसी भी किसान को गिरफ्तार करने की छूट दिल्ली पुलिस को नहीं दिया जाए।
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