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सोलह अन्य छात्रों को भी पढ़ाकर दिलाई कामयाबी
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कराटे ब्लैक बेल्ट के साथ पर्वतारोहण का शौक
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घर-परिवार से मिली आगे बढ़ने की प्रेरणा
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सिक्के किये जमा, फ़िल्म में अभिनय भी
संवाददाता
रांचीः हिम्मत की सड़क पर गर हौसले के पग धरे जाएं तो मंज़िल हासिल करना क़तई
मुश्किल नहीं होता। इसे रांची के राहे प्रखंड के पूर्णनगर हजारीटोला गांव के प्रदीप प्रणव ने
साबित भी किया है। प्रदीप जेपीएससी सिविल सेवा के जारी रिजल्ट में पुलिस सेवा के
लिए चयनित हुए हैं। इन्हें यह सफलता पहली बार में ही मिल गई। वो जल्द ही किसी
जिले में DSP पद पर योगदान देंगे। यहां तक की कहानी उनके घर-गांव से शुरू होती है।
बचपन से ही उन्हें रोमांच करने में रुचि रही। वहीं मेहनत करने से कभी वो बिदके नहीं।
शुरुआती शिक्षा गांव के ही स्कूल से हुई। इसके बाद सेंट जॉन स्कूल रांची से 80 फीसद
अंकों के साथ 2002 में मैट्रिक पास किया। जबकि सेंट जेवियर्स कॉलेज से 75 फीसद
नम्बर उन्होंने इंटर में हासिल किया। गणित में एमएससी और एमफिल की सनद रांची
विश्व विद्यालय से ली। प्रदीप का चयन सबसे पहले वर्ष 2010 में यूनियन बैंक में पीओ के
पद पर हुआ था। नौकरी के 7 माह हुए ही थे कि उनका चयन आइबी में ऑफिसर पद पर हो
गया। अभी हजारीबाग में केंद्रीय सेवा के तहत सांख्याकी पदाधिकारी पद पर कार्यरत हैं।
पंजाबी कवि पाश के बक़ौल सपने देखना उन्होंने त्यागा नहीं है। बल्कि उसे साकार करने
के लिए सतत प्रयत्नशील भी हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो हिम्मत कभी नहीं हारी। एक तरफ
वो पत्राचार से कामराज विवि मदुरई से डीलिट कर रहे हैं, तो यूपीएससी की तैयारी भी कर
रहे हैं ताकि आइपीएस बनकर देश सेवा कर सकें। सबसे सुखद यह हैं कि जेपीएससी
उन्होंने न सिर्फ अकेले क्वालीफाई किया है बल्कि 16 स्टूडेंट्स को भी पढ़ाकर उन्हें
कामयाबी दिलाई है। इसमें प्रशासनिक सेवा की टॉपर सुमन गुप्ता समेत कोमल,
जयपाल, निधि आदि को शामिल हैं।
हिम्मत बढ़ाने में घरवालों का पूरा योगदान रहा
प्रदीप बताते हैं कि उन्हें यहां तक पहुंचने में उनके घर-परिवार का बड़ा योगदान रहा है।
सताकी अनगड़ा में हाई स्कूल शिक्षक रहे पिता सुरेशचंद्र महतो हर दिन नई बात बताते,
तो स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत माँ सविता देवी की ममता में प्रेरणा के पुंज होते। दोनों ने
लगातार हिम्मत बंधाई। हजारीबाग डीआइजी में क्राइम रीडर बड़े भाई, पुलिस एकेडमी में
भाभी से भी टिप्स मिलते रहे हैं। दो बहन और उनके पतियों से भी तैयारी में अपेक्षित
मदद मिली। सभी सरकारी सेवा में हैं। प्रदीप सिर्फ़ पढ़ते ही नहीं रहे। इतिहास संग्रहण और
कला में भी उनकी रुचि रही है। अब तक वो करीब 200 देशों के सिक्के औऱ नोट जमा कर
चुके हैं। वहीं झारखंड में बनी फिल्म काजल, बिखरे मोती, काले दिल के चुरा ले में भी
अपने अभिनय का जादू बिखेर चुके हैं। वो क़रीब 42 प्रकार के देशी-विदेशी और लोक
वाद्ययंत्र भी बजाते हैं। प्रदीप को कराटे में शौक़ है, तो माउंटेनिंग उनका जुनून। जब
मैट्रिक में थे तो शोतोकोन कराटे फेडरेशन ऑफ इंडिया के तहत कराटे ब्लैक बेल्ट द्वितीय
डॉन हासिल किया। हिमालयन माउंटेसरी दार्जिलिंग से बेसिक व एडवास कोर्स में गोल्ड
मेडल लिए। 2005 में लोहात्से, मकालू, अन्नपूर्णा आदि 10 चोटियों पर चढ़ भी चुके हैं।
हिंद महासागर में गोताखोरी कर चुके हैं, तो एयरविंग एनसीसी के तहत एयरक्राफ्ट से
आसमान में क़लाबाजी भी दिखा चुके हैं।
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[…] आगे बढ़ी तो इस व्यक्ति के हिम्मत को दाद देनी पड़ी। मुंगेर के निवासी […]