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जांच में पुष्टि राकेश अस्थाना को घूस दिया गया
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पॉलिग्राफ टेस्ट का निष्कर्ष सामने आया
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अदालत का निर्देश जल्द पूरी करें जांच
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आलोक वर्मा के फैसले से मची थी हलचल
विशेष प्रतिनिधि
नईदिल्लीः देश के बहुचर्चित सीबीआई मामले में नया खुलासा होने जा रहा है।
अपुष्ट जानकारी के मुताबिक इस मामले में पॉलिग्राफ टेस्ट का नतीजा यही
बताता है कि आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को घूस दिया गया था।
उल्लेखनीय है कि इसी मामले को लेकर तत्कालीन सीबीआई निदेशक
मआलोक वर्मा ने अपने खिलाफ रिपोर्ट को साजिश बताया और संयुक्त निदेशक राकेश अस्थाना के बीच घमासान की
स्थिति बनी थी। खुद आलोक वर्मा ने राकेश अस्थाना के खिलाफ घूसखोरी
का मामला दर्ज करने का आदेश देकर पूरी सरकार की जान सांसत में डाल
दिया था। आनन फानन में दोनों को वहां से हटाया गया था।
पूरी व्यवस्था को संकट में डाल गया था यह विवाद
अब पॉलिग्राफ टेस्ट में इस बात की पुष्टि हुई है कि हैदराबाद के कारोबारी
सतीश बाबू सना ने वाकई राकेश अस्थाना को घूस दिया था। इसकी
आधिकारिक पुष्टि तो अदालत में रिपोर्ट के दाखिल होने के बाद होगी लेकिन
इस पॉलिग्राफ टेस्ट की सूचना सार्वजनिक हो चुकी है। लिहाजा यह माना जा
सकता है कि इस खुलासे के बाद राकेश अस्थाना के समर्थन में खड़ी सरकार
फिर से देश के सभी इलाकों में विरोधियों के निशाने पर आने जा रही है। साथ
ही इससे राकेश अस्थाना की अपनी मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं।
सूचना के मुताबिक इसी साल मार्च में 12 और 13 तारीख को सतीश बाबू सना
की पॉलिग्राफी टेस्ट हुई थी। मालूम हो कि सना ने ही पिछले साल इसकी
शिकायत की थी। उस शिकायत के आधार पर सीबीआइ के तत्कालीन विशेष
निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।
देश के बहुचर्चित मामले पर पूरे देश की नजर
उस वक्त देश के इस बहुचर्चित मामले में सना ने दावा किया था कि उसने
मीट कारोबारी मोईन कुरैशी को बचाने के लिए एक बिजनेसमैन के जरिए
साल 2016 में राकेश अस्थाना को घूस दी थी। दिल्ली हाइकोर्ट ने इस मामले
में सीबीआइ को आठ दिसंबर तक जांच करने का आदेश दिया है। सूत्रों के
मुताबिक जांच एजेंसी ने मामले में अधिकांश हिस्से की जांच पूरी कर ली है
और अमेरिका और यूएई को भेजे गये पत्रों के उत्तर का इंतजार कर रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एजेंसी ने सना के अलावा कथित बिचौलिया मनोज
प्रसाद के ससुर सुनील मित्तल और भाई सोमेश्वर श्रीवास्तव का भी क्रमश: 8
और 13 मार्च को पॉलिग्राफ टेस्ट कराया है। एक और गवाह पुनीत खरबंदा
का भी दो बार पॉलिग्राफ टेस्ट करवाया है। अप्रैल के तीसरे सप्ताह में देश के
सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी की फोरेंसिक स्टेटमेंट एनालिसिस रिपोर्ट
और फोरेंसिक मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन के आधार पर निष्कर्ष निकाला गया
है कि सना और खरबंदा ने सीबीआइ अधिकारी से मनमाफिक जांच रिपोर्ट
लिखवाने के उद्देश्य से पैसे दिये हैं। मामले में मित्तल और श्रीवास्तव के
पॉलिग्राफ टेस्ट पर कोई निष्कर्षपरक राय नहीं बन सकी क्योंकि उनके बयान
अपर्याप्त थे और जांच के बारे में उनके पास इससे जुड़ी सूचना नहीं थी। इस
साल जनवरी में सीबीआई ने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में एक आवेदन
दिया था, जिसमें आरोपी और शिकायतकर्ता पर पॉलिग्राफ टेस्ट आयोजित
करने के लिए सहमति मांगी गयी थी। मामले में घूस देने के आरोपियों ने
पॉलिग्राफ टेस्ट की सहमति व्यक्त की जबकि मनोज प्रसाद, (जिसने रिश्वत
के पैसे को स्वीकार करने का आरोप लगाया) ने पॉलिग्राफ टेस्ट से इनकार कर
दिया था।
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