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रिकार्ड समय में दो सौ टैंक हटा लिये
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प्योगौंग झील से बख्तरबंद गाड़ी भी हटे
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चीनी सेना की तेजी से भारतीय सेना हैरान
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सैन्य वापसी के मामले में भारत को पछाड़ा
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः भारत में राजनीतिक दलों के नेताओं की बयानबाजी का दौर जारी रहा। इस
राजनीतिक विवाद का जन्म रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के उस बयान से हुआ था, जिसमें
बताया गया था कि लद्दाख के इलाके में दोनों देशों की सेना पीछे हटने पर सहमत हुई हैं।
जब श्री सिंह ऐसा बयान दे रहे थे, सीमा पर सैनिकों की वापसी का काम प्रारंभ हो चुका था।
आज के घटनाक्रम यह बताते हैं कि चीन की सेना इस मामले में भारत से आगे निकल
गयी है। दोनों पक्ष अपने भारी भरकम टैंक वहां से हटाने पर सहमत हुए हैं। इसके तहत
चीन के द्वारा टैंकों की वापसी प्रारंभ होने के तुरंत बाद भारतीय सेना ने भी सहमति के
अनुसार अपने टैंकों को पीछे लेना प्रारंभ कर दिया था। लेकिन आज के घटनाक्रम यह दर्शा
रहे हैं कि टैंकों को पीछे हटाने के मामले में भी चीन की सेना की गति भारतीय सेना से
अच्छी रही है। रक्षा सूत्रों ने बताया है कि पेंगोंग झील के दोनों तरफ जमी सेना पीछे हट
रही है। चीन ने पूर्वी लद्दाख के क्षेत्र में अपने दो सौ टैंक रिकार्ड समय में पीछे हटा लिये हैं।
भारतीय सेना की तरफ से भी ऐसी ही कार्रवाई हो रही है लेकिन भारतीय गति थोड़ी धीमी
होने की खबर है। अब इस बात की जानकारी मिली है कि परमाणु हथियार रखने वाले
दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच 16 घंटे की बैठक हुई थी। चीन की सीमा के भीतर पूर्वी
लद्दाख के इलाके में यह बैठक पिछले 24 जनवरी को हुई थी। चीन की तरफ से वहां के
दक्षिणी छोर पर तैनात दो सौ टैंक और एक सौ भारी बख्तरबंद गाड़ियों को हटा लिया गया
है। चीन की गति देखकर भारतीय सैन्य विशेषज्ञ भी हैरान हुए हैं।
भारत में राजनीतिक बयानबाजी राजनाथ के बयान के बाद
दोनों देशों के सैन्य कमांडरों की बीच होने वाली वार्ता को लेकर रक्षा सूत्रों ने पूरी तरह
गोपनीयता बरती थी ताकि मीडिया में बात आने के बाद नये सिरे से कोई बहस प्रारंभ नहीं
हो। अब जाकर दोनों देशों की सेना की तरफ से संयुक्त बयान जारी करने के तुरंत बाद
इसकी कार्रवाई प्रारंभ कर दी गयी है। सैन्य कमांडरों की बैठक में इस बात पर सहमति
बनी थी कि सेना की टुकड़ियों के इस तरह आमने सामने तने रहने की हालत दोनों ही देशों
के लिए अच्छी नहीं है। गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के मारे जाने के बाद से पहली
बार दोनों देशों के सैनिक हथियार लेकर मोर्चा पर तैनात हो गये थे। पेगौंग झील पर कब्जा
करने की कोशिश में लगे चीनी सेना को पीछे धकेल दिया गया था। इसके बाद से ही तनाव
कम करने के उपायों पर सैन्य कमांडर आपस में लगातार बात चीत कर रहे थे क्योंकि वे
मानते थे कि सेना के इस तरीके से तैनात होने के कभी भी खतरनाक नतीजे हो सकते हैं।
दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच इस बात को लेकर सहमति बनी है कि क्रमवार तरीके
से एक एक इलाके की पहचान कर वहां से सैन्य उपस्थिति को कम किया जाए। सेना की
इन गतिविधियों के बीच सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इस मुददे पर ट्विटर युद्ध जारी है।
दोनों पक्ष एक दूसरे पर आरोप और प्रत्यारोप लगा रहे हैं। लेकिन राजनीतिक बयानबाजी
से अप्रभावित सेना चीन के साथ हुए सैन्य समझौते के पालन में जुटी हुई है।
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