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अज्ञात कारणों से उसके पेट में बन रहा था अल्कोहल
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डाक्टरों ने भी प्रारंभिक जांच में शराबी ही समझा था
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पुलिस ने जांच में कई बार शराबी होने का चालान काटा
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अब मामले की पहचान के बाद जांच कर रहे हैं वैज्ञानिक
प्रतिनिधि
नईदिल्लीः लोग उसे शराबी समझकर कभी भी दुत्कार दिया करते थे। वह कई बार
डाक्टरों के पास भी अपनी परेशानी लेकर गये थे। लेकिन शरीर में शराब की अत्यधिक
मात्रा होने की वजह से डाक्टरों ने भी उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया था। यहां तक कि
कोई भी यह मानने तक को तैयार नहीं था कि वह वाकई शराब नहीं पीता है।
46 वर्षीय इस व्यक्ति की परेशानी इसी वजह से बढ़ी हुई थी। वह कभी भी कानून की
गिरफ्त में आ जाता था और पुलिस वाले उसे अधिक शराब का सेवन करने की वजह
से चालान काट दिया करते थे। हर जगह वह यही सफाई देता फिरता था कि उसने
शराब की एक बूंद भी नहीं पी है। बाद में जब वैज्ञानिकों का ध्यान उसकी शिकायतों
की तरफ गया। कुछ वैज्ञानिकों ने मिलकर उसकी गहन जांच की तो पता चला कि
बेचारा अब तक सच ही बोलता आया था। वह शराब पीता ही नहीं था। उसके शरीर
के अंदर में एक जटिल प्रक्रिया की वजह से अपने आप ही शराब बनती रहती थी।
इसी वजह से उसे लोग शराबी समझ लिया करते थे। इस वैज्ञानिक शोध के पहले
जब कभी उसके खून की जांच की गयी तो खून में औसत से अधिक शराब की मात्रा
पायी गयी थी। इस वजह से ही पहले डाक्टर उससे नाराज रहा करते थे। उसकी जांच
करने वालों को ऐसा लगता था कि यह आदतन पियक्कड़ है और डाक्टरों के
लोग उसे शराबी मानते रहे पर वैज्ञानिकों ने जांच की
अब वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि उसके शरीर में एक स्वचालित शराब
कारखाना जैसी प्रक्रिया होती रहती है। इसी वजह से यह सारा अल्कोहल उसके
अपने शरीर के अंदर बनता रहता है। इंसान के शरीर के अंदर आंतरिक कारणों
से अल्कोहल बनने की यह प्रक्रिया का पहली बार पता चला है। अब समझा जा
रहा है कि शायद पहले भी लोगों ने इस बीमारी की शिकायत की होगी लेकिन
सही जांच नहीं होने की वजह से ऐसे बीमार लोगों को भी शराबी समझ लिया
गया होगा। अब बीमारी का पता चलने के बाद वैज्ञानिक इसके तथ्यों को बारिकी
से दर्ज कर रहे हैं ताकि पूरी दुनिया में इस बीमारी के बारे में लोगों को बेहतर
जानकारी दी जा सके। इस नई जानकारी से इंसान के पेट यानी अंत्रालय में
शराब बनने की प्रक्रिया की पहली बार जानकारी दर्ज की गयी है।
बीमारी पकड़ में आने के बाद जब उसका ईलाज प्रारंभ हुआ तब भी मरीज को
कई प्रकार की परेशानियों से गुजरना पड़ा। उसे तीन सप्ताह तक कड़े डोज के
एंटीबॉयोटिक दवाई दी गयी थी। इस दवा का असर प्रारंभ होने के बाद उसके
शरीर में ठीक वैसी ही प्रतिक्रिया प्रारंभ हुई जैसी किसी शराबी के अत्यधिक
शराब पीने की वजह से होती है । इस दौरान कई बार उसका दिमाग भी सही
तरीके से काम करना बंद कर देता था।
एक बार ठीक होने के बाद फिर से बनने लगी शराब
वैज्ञानिकों ने जांच करने के बाद उसे कार्बोहाइड्रेट खाने से परहेज करने को कहा।
इसी कार्बोहाइड्रेट की वजह से वह शरीर के अंदर अल्कोहल पैदा करने लगता था।
इस किस्म के खाने से परहेज करने की वजह से उसके शरीर के अंदर अल्कोहल
बनने की प्रक्रिया धीमी पड़ी तो उसे दूसरी परेशानियां होने लगी। इससे कुछ दिनों
तक ठीक रहने के बाद मरीज फिर से पूर्व स्थिति में चला गया। इस दौरान खुद को
ठीक समझकर चलने फिरने के दौरान अचानक वह गिर पड़ा और उसके सर
में गंभीर चोट भी आयी थी।
जब दोबारा उसकी जांच की गयी तो पता चला कि उसके पेट में नये किस्म का फंगस
उग आया है। यही फंगस रासायनिक प्रतिक्रिया कर भोजन की एक खास मात्रा
को अल्कोहल में बदल रहा था। इसका पता चलने के बाद उसके पेट से यह फंगस
हटाने का काम किया गया। इस फंगस से मुक्त होने के बाद मरीज अब पूरी तरह
सामान्य है। इस शोध से जुड़े वैज्ञानिक मानते हैं कि इस विषय पर अभी और
शोध करने की जरूरत है क्योंकि इसके बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं मिल
पायी है। जैसे जैसे इसके बारे में अधिक जानकारी हासिल होगी, विज्ञान के लिहाज
से इस रोग की पहचान और लोग में व्याप्त इस रोग का उपचार करना और आसान
हो जाएगा।
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