अयोध्याः पद्मश्री सम्मान से सम्मानित शरीफ चाचा ने नेक
इंसान बनने की सलाह दी है। पांच हजार से अधिक लावारिस शवों का
अंतिम संस्कार करने वाले पद्मश्री मोहम्मद शरीफ का मानना है कि
देश का हर नागरिक हिन्दू मुस्लिम की बजाय नेक इंसान बनने पर
तवज्जो दे तो वह खुद के साथ साथ मुल्क के विकास में भी बड़ा
मददगार बन सकता है। गणतंत्र दिवस के मौके पर अयोध्या निवासी
मोहम्मद शरीफ को पद्मश्री सम्मान देने का ऐलान किया गया था।
उन्हे जब पता चला कि केन्द्र सरकार ने पद्मश्री सम्मान देने का ऐलान
किया है तो खुशी के मारे उनके आंसू रूकने का नाम ही नहीं ले रहे थे।
श्री शरीफ ने कहा ‘‘ यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है और मैं
इसके लिये अभिभूत हूँ। मोदी सरकार ने मेरी सेवाओं का कद्र कर मुझे
सम्मान दिया है। इस देश में कोई हिन्दू या मुसलमान नहीं है बल्कि
सभी इंसान हैं और हर भारतीय का कर्तव्य बनता है कि वह हिन्दू
मुसलमान बनने के बजाय अच्छा इंसान बनने का प्रयास करे,इसी से
उसका और देश का भला है। ’’ महिला चिकित्सालय के निकट खिड़की
अली बेग मोहल्ले के निवासी शरीफ अब तक तीन हजार हिन्दू और
कि वह ढाई हजार मुस्लिमों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं।
शरीफ चाचा के नाम से मशहूर अयोध्या के बुजुर्ग को फिल्म स्टार
आमिर खान सम्मानित कर चुके हैं। उन्होने बताया कि 27 साल पहले
सुलतानपुर कोतवाली के तत्कालीन इंस्पेक्टर की ओर से एक तफ्तीश
उनके घर पर पहुंची तो उनका सारा संसार ही उजड़ गया था। दरअसल
दवा लेने एक माह पहले गया उनका पुत्र रेलवे ट्रैक पर लावारिश हालत
में मृत मिला था। पुलिस ने पहने हुए कपड़ों से उसकी पहचान पुत्र
मोहम्मद रईस खान के रूप में की थी।
पद्मश्री सम्मान तक पहुंचे बेटे की लाश की वजह से
इस हृदय विदारक घटना ने उन्हें इस कदर तोड़ दिया कि उन्होंने
लावारिश शवों के अंतिम संस्कार का मन बना लिया जो सिलसिला
अब भी बदस्तूर जारी है। अस्सी वर्षीय बुजुर्ग कहते हैं कि कोई भी हो
इस दुनिया में लावारिश नहीं होना चाहिए। यही वजह है कि खुद ही
शव को अपने ही ठेले पर लादकर उसके अंतिम संस्कार के लिये
निकल पड़ते हैं। सबसे बड़ी खास बात तो यह है कि हिन्दू शव को हिन्दू
परम्परा से मुखाग्नि देते हैं तो मुस्लिम को इस्लाम के अनुसार ही
दफनाते हैं। मोहम्मद शरीफ ने बताया कि लावारिश शवों के अंतिम
संस्कार के लिए नगर निगम अयोध्या से आर्थिक सहायता मिलती
है जबकि बहुत कम है। इसके अलावा मानिंद शख्सियतों के आर्थिक
सहयोग से पूरी हो जाती हैं। श्री शरीफ के चार पुत्र थे। एक पुत्र
मोहम्मद शरीफ सुलतानपुर में खो चुके हैं।
दूसरे पुत्र नियाज की हृदय गति रुकने से मृत्यु हो चुकी है। पूरे परिवार
की देखभाल शरीफ ही करते हैं। पद्मश्री मिलने के बाद जिलाधिकारी
अनुज कुमार झा सहित शहर के तमाम लोग उनको मुबारकबाद देने
उनके घर पर पहुंचे।
[…] इंसान यह मानता था कि वह अपनी इंसानी प्रजाति […]