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दुनिया के लिए फिर आयी कोरोना से राहत की दूसरी अच्छी खबर
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दो चरणों को मिलाकर औसतन सत्तर फीसदी कामयाबी मिली
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आधा डोज से रोगियों में से 90 फीसद को हुआ था लाभ
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शोधकर्ताओं के दलनेता को भी इससे काफी उम्मीद
रांचीः ऑक्सफोर्ड का वैक्सिन भी सही तरीके से काम कर रहा है। इस शोध से जुड़े
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बताया है कि अब तक की रिपोर्ट के मुताबिक
उनकी वैक्सिन एस्ट्राजेनेका 70 प्रतिशत तक सफल मानी गयी है। दुनिया भर के अन्य
वैज्ञानिकों को भी ऑक्सफोर्ड का वैक्सिन ही सबसे पहले से ज्यादा भरोसेमंद लग रहा है।
इस वैक्सिन का क्लीनिकल ट्रायल का तीसरा दौर अभी चल रहा है। इसके तहत बताया
गया है कि दवा की आधा डोज दिये जाने पर कोरोना पर नियंत्रण में 90 प्रतिशत सफलता
मिली है। पहला डोज दिये जाने के एक महीने के बाद दूसरा डोज दिया गया है। दोनों को
मिलाकर अब तक 70 प्रतिशत सफलता के आंकड़े सामने आये हैं। आगे के दिनों में
सफलता का यह प्रतिशत और भी बढ़ने की पूरी उम्मीद है।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका मिलकर इस पर काम कर
रहे हैं। तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल की अंतरिम रिपोर्ट जारी करते हुए इस प्रगति की
जानकारी दी गयी है। एक महीने के अंतराल में दी गयी दवा का औसत कारगर क्षमता अब
तक 70 प्रतिशत है। लेकिन वैज्ञानिकों ने यह साफ कर दिया है कि यह प्रारंभिक आकलन
है और आगे के दिनों में इस दवा के असर के आधार पर सफलता का प्रतिशत और भी ऊपर
जाने की पूरी उम्मीद है।
ऑक्सफोर्ड की वैक्सिन के अलावा दो कंपनियों का बेहतर रिजल्ट
इस बीच यह सूचना भी आयी है कि फाईजर और मॉर्डना की वैक्सिन का परिणाम भी
अत्यंत उत्साहजनक है। इन वैक्सिनों पर ही कोरोना के आंतक की समाप्ति का दारोमदार
है। वरना कोरोना और लॉकडाउन की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था तबाह हो चुकी
है और तमाम कोशिशों के बाद भी वह अबतक पटरी पर नहीं लौट पायी है। भारत की बात
करें तो नई फसल के बाजार में आने के बाद स्थिति में थोड़ी सुधार की उम्मीद है और इसी
आधार पर यह आकलन किया गया है कि अगले वर्ष के मार्च माह तक स्थिति फिर से पूर्व
की भांति पटरी पर लौट आयेगी लेकिन जो नुकसान हो चुका है, उसकी भरपाई में अभी
काफी वक्त लगेगा। लेकिन साथ ही आर्थिक विशेषज्ञ यह चेतावनी भी दे रहे हैं कि अगर
दोबारा से कोरोना वापस लौटा तो इस बार के आर्थिक नुकसान की भरपाई करना काफी
कठिन होगा और उसमें काफी वक्त भी लग जाएगा। एस्ट्राजेनेका कंपनी की तरफ से
बताया गया है कि ऑक्सफोर्ड की वैक्सिन का दो स्तरों पर परीक्षण किया जा रहा है। इसके
तहत जिन मरीजों को सिर्फ आधा डोज दिया गया, उनमें कोरना रोकथाम की सक्रियता 90
प्रतिशत तक पायी गयी। लेकिन जब उन्हें एक माह के बाद दूसरा और पूरा डोज दिया गया
तो यह कार्यक्षमता घटकर 62 प्रतिशत हो गयी।
दो चरणों का औसत मिलाकर भी साइड एफेक्ट की शिकायत नहीं
उसी आधार पर औसतन 70 प्रतिशत सफलता की जानकारी दी गयी है। अच्छी बात यह
भी है कि इस वैक्सिन की वजह से अब तक किसी को भी किसी किस्म की परेशानी नहीं
आयी है और किसो को अस्पताल में भी भर्ती नहीं कराना पड़ा है। इससे माना जा रहा है कि
ऑक्सफोर्ड की यह वैक्सिन साइड एफेक्ट से पूरी तरह मुक्त है।
अनेक लोगों की जान बचा पायेगा यह वैक्सिनः पोलार्ड
एस्ट्राजेनेका के सीइओ पॉस्कल सोरायट ने कहा कि यह पूरी दुनिया के लिए कोरोना के
खिलाफ जारी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उनके मुताबिक इसके इस्तेमाल से
जनता की सेहत पर इसका त्वरित प्रभाव पड़ेगा और इससे कोरोना की महामारी को काफी
हद तक नियंत्रित करने में कामयाबी भी मिलेगी। कंपनी और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय
ने वैक्सिन पर काम प्रारंभ करने के पहले ही यह एलान कर दिया था कि यह कोई मुनाफा
कमाने की परियोजना नहीं है। यह सिर्फ दुनिया के लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने की
कोशिश है। इसलिए यह भी तय माना जा रहा है कि इस वैक्सिन की कीमत भी कम होगी
क्योंकि इससे मुनाफा नहीं कमाना है। इस वैक्सिन के विश्वव्यापी इस्तेमाल केलिए अलग
अलग देशों में इसके इस्तेमाल की अनुमति के लिए भी विधिवत तैयारियां कर ली गयी हैं।
ऐसा इसलिए किया गया है ताकि एक बार शोध के स्तर पर इसे सफल घोषित किये जाते
ही इसके उत्पादन में फिर कोई और विलंब नहीं हो। याद रहे कि भारत में भी इस वैक्सिन
के उत्पादन की पूर्व तैयारियां की गयी है। भारत में वैक्सिन उत्पादन की सबसे अधिक
क्षमता है। लिहाजा दुनिया के अन्य देशों को भी भारत के कारखानों में तैयार वैक्सिन से ही
लाभ दिलाने की योजना है। इस शोध दल के नेता प्रोफसर एंड्रूयू पोलार्ड ने कहा कि अब
तक के परिणामों से यह माना जा सकता है कि यह वैक्सिन दुनिया में अनेक लोगों की
जान बचाने में कामयाब होगी।
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