बोकारो/कसमार: बेटी ने बेटे का फर्ज निभाया और यह काम उसने पूरी शिद्दत के साथ ही
किया। बेटे नहीं तो क्या बेटियां भी हर जिम्मेदारी को पूरे साहस के साथ निभा सकती हैं।
जी हां! यह वाक्या कसमार प्रखंड के मधुकरपुर पंचायत के चंडीपुर गांव की है। यहां रामा
महतो (50)की मौत बीमारी से हो गयी। हिंदू धर्म में अनुसार पिता की मौत के बाद बेटे
द्वारा अर्थी को कंधा देने व मुखाग्नि देने की परंपरा है, लेकिन राम को बेटे नही रहने व
सिर्फ एक ही बेटी होने के कारण शव को कंधा देने राम की बेटी काजल कुमारी सामने
आयी और श्मशान तक ले गयी। बता दें कि कसमार प्रखंड अंतर्गत मधुकरपुर पंचायत के
चंडीपुर निवासी रामा महतो का सुबह आठ बजे निधन हो गया। मालूम हो कि रामा महतो
पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे और इसी क्रम में बुधवार सुबह रामा महतो की
मृत्यु हो गई। राम महतो का कोई पुत्र नहीं है एक पुत्री है काजल कुमारी जो एक दिन पहले
ही अपने पिता से मिलने चंडीपुर आई हुई थी, किंतु राम महतो के मृत्यु के बाद उनका
मुखाग्नि उनकी पुत्री काजल कुमारी ने किया। सिर्फ मुखाग्नी ही नहीं बल्कि उनके अर्थी
को भी कंधा देकर नारी शक्ति का प्रबल उदाहरण पेश की।
बेटी ने कहा माता पिता की सेवा में क्यों पीछे रहें
इस विषय पर काजल कुमारी से बात करने पर उन्होंने कहा कि आज देश में बेटियां किसी
भी कार्य में पीछे नहीं है, तो फिर माता-पिता की सेवा में हम पीछे क्यों रहें बढ़-चढ़कर क्यों
ना माता-पिता का सेवा करें और अगर मेरे पिता का कोई पुत्र नहीं है तो मेरा कर्म और धर्म
दोनों यह कहता है, कि मृतक पिता का मुखाग्नि ससम्मान उनके अंश उनकी पुत्री द्वारा
कर समाज को संदेश दिया जाए कि महिला व पुरुष में कोई भेदभाव ना हो।
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