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जांच हुई तो एक विरले विषाणु संक्रमण का पता चला
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अधिकांश कुत्तों और बिल्लियों में होता है यह विषाणु
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खुले घाव या गंदे हाथ के जरिए ही अंदर जा सकते हैं
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लेकिन असर का प्रभाव जेनेटिक संरचना की वजह से
प्रतिनिधि
नईदिल्लीः पालतू कुत्ता अनेक घरों में होता है। इनके साथ घर के लोगों का रिश्ता भी बहुत घनिष्ठ और प्यार का होता है। इसी प्यार की वजह से एक 63 वर्षीय व्यक्ति मर गया।
बाद में जब गहन अनुसंधान हुआ तो उसका असली राज पता चला।
शोध वैज्ञानिक सब कुछ जांच लेने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे कि दरअसल अपने घरेलू कुत्ते के चाटने की वजह से ही वह व्यक्ति एक अजीब किस्म के संक्रमण का शिकार हो गया था।
जिस संक्रमण की वजह से वह बीमार पड़ा और शरीर के अंदर पलने वाले विषाणुओं ने धीरे धीरे उसके आंतरिक अंगों को क्षतिग्रस्त कर दिया।
इसी वजह से उसकी मौत हो गयी।
इस बारे में प्रकाशित एक वैज्ञानिक लेख में संक्रमण और उसके लक्षणों के बारे में जानकारी दी गयी है।
वैसे शोधदल ने इस मरीज के नाम पता का खुलासा नहीं किया है।
सिर्फ यह बताया गया है कि इस संक्रमण की चपेट में आने वाला व्यक्ति 63 साल का था।
उसकी मौत के बाद असली वजह का खुलासा नहीं होने के कारण ही वैज्ञानिकों ने इस मौत की गहन जांच की थी।
जैसे जैसे जांच की गाड़ी आगे बढ़ी, संक्रमण और उसके दुष्प्रभावों के बारे में भी जानकारी मिलती चली गयी।
दरअसल ऐसा कुछ हो सकता है, इसका अंदाजा वैज्ञानिकों को उसके शरीर पर बनने वाले फोडों और अजीब किस्म के दागों की वजह से हुई थी।
इन्हीं कारणों से वैज्ञानिकों का यह संदेह हुआ था कि कहीं यह कुत्ते के विषाणुओं का प्रभाव तो नहीं है।
पालतू कुत्ता और बिल्ली में स्वाभाविक तौर पर होता है यह
वैज्ञानिको ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस किस्म के विषाणु अधिकांश कुत्ते और बिल्लियों की लार में मौजूद होता है।
घरों में अक्सर ही कुत्ते प्यार से चाटते भी हैं।
अधिकांश मामलों में यह विषाणु कुछ नहीं करते।
लेकिन कुछ मामलों में जेनेटिक प्रभाव की वजह से यह लार ही शरीर के अंदर विषाणुओं को पहुंचा देता है।
प्रारंभिक अवस्था में विषाणुओं के बारे मे जानकारी नहीं होने की वजह से उनका ईलाज भी नहीं होता।
इससे विषाणु अंदर ही अंदर मजबूत होते चले जाते हैं।
नतीजा होता है कि वे शक्तिशाली होकर इंसानी शरीर के आंतरिक अंगों को नुकसान पहुंचा देते हैं।
वैज्ञानिकों ने बताया है कि कुत्ता और बिल्ली के लार में मौजूद इस विषाणु को कैप्नोसाइटोफागा बैक्टेरिया कहा जाता है।
इसके मौजूद होने के बाद भी आम इंसान को इससे कोई परेशानी नहीं होती
जबकि पालतू कुत्ते और बिल्लियां अक्सर ही घर के लोगो को प्यार जताने
के लिए चाटती रहती है।
अब इस घटना के सामने आने के बाद शोधकर्ताओं ने तमाम लोगों को आगाह किया है कि अपने घर के पालतु कुत्तों अथवा बिल्लियों के सामने भी अपने घाव कभी खुले नहीं रखें।
साथ ही अपने घर के पालतू के साथ खेलने के बाद अपने हाथ अवश्य ही अच्छी तरह धो लिया करें।
लार के साथ आपके शरीर के संपर्क में आने वाले इस लार में मौजूद विषाणु खुले घाव अथवा गंदे हाथ से मुंह होते हुए ही आपके शरीर के अंदर पहुंच सकते हैं।
शरीर के बाहर इनका कोई प्रभाव नहीं होता है।
ऐसे जानवरों की लार से घाव को बचाना चाहिए
पूरे घटनाक्रम का विवरण देते हुए बताया गया है कि अपने कुत्ते से खेलने के बाद अचानक उस व्यक्ति को सर्दी और जुकाम जैसा महसूस होने लगा था।
उसके बाद उसे बुखार भी आ गया और शरीर में भीषण दर्द महसूस हुआ।
इसी अवस्था में उसे सांस लेने में भी दिक्कत होने लगी। शरीर और चेहरे पर अजीब किस्म के दाग उभरने लगे।
अस्पताल में भर्ती होने और एंटीबॉयोटिक दवा दिये जाने के बाद भी उसकी हालत तेजी से बिगड़ती चली गयी।
आंतरिक अंगों ने काम करना बंद कर दिया और अंततः ब्रेन फेल होने की वजह से उसकी मौत हो गयी।
मात्र सोलह दिनों के अंदर यह सारी घटना घटी।
इसके पीछे उस व्यक्ति की जेनेटिक संरचना थी, जिसकी वजह से
ऐसे विषाणु उस पर प्राणघातक हमला करने मे कामयाब रहे।
वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि इस किस्म के विषाणुओं में मात्र 25 प्रतिशत ही घातक होते हैं।
लेकिन घाव अथवा हाथ के जरिए शऱीर के अंदर नहीं पहुंचने की स्थिति में उससे कोई नुकसान नहीं हो सकता।
वैज्ञानिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि इस प्रजाति के जानवरों में से करीब 74 फीसद की लार में ऐसा होता है।
लेकिन वह हमेशा ही खतरनाक नही होते।
दूसरी तरफ इन जानवरों के प्यार जताने का तरीका ही चाटना होता है।
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