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सत्ता और विपक्ष ने रखी अपनी बात
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लंबे समय से इसकी मांग की जाती रही
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बहस के बाद ध्वनिमत से मंजूरी दी गयी
राष्ट्रीय खबर
रांची : एकदिवसीय सत्र में झारखंड विधानसभा में जनगणना 2021 में अलग सरना
आदिवासी धर्म कोड का प्रावधान लागू करने के प्रस्ताव को आज पारित कर दिया गया।
प्रस्ताव को पारित करने के बाद उसे मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।
विधानसभा के एकदिवसीय विशेष सत्र में आज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस विशेष सत्र
में वर्ष 2021 की जनगणना में अलग आदिवासी/सरना धर्म कोड की व्यवस्था करने का
प्रस्ताव रखा। पक्ष-विपक्ष के सदस्यों के कई सदस्यों के आग्रह पर प्रस्ताव में संशोधन
करते हुए सरना आदिवासी धर्म संहिता के प्रावधान को लागू करने से संबंधित प्रस्ताव को
एकदिवसीय सत्र में सदन के पटल पर रखने की सहमति हुई। इसके बाद इसे सदन से
ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। भाजपा की ओर से विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने
कहा कि पार्टी सरना धर्म संहिता की मांग का समर्थन करती है लेकिन सरकार की ओर से
विधानसभा में रखे संकल्प के नाम आदिवासी/सरना धर्म पर आपत्ति है। इस नाम से
थोड़ा शक लग रहा है और षड्यंत्र की आशंका उत्पन्न हो रही है इसलिए आदिवासी/सरना
संहिता की जगह इस प्रस्ताव का नाम आदिवासी सरना कोड रखा जाए। वहीं, विधायक
बंधु तिर्की ने भी कहा कि सरना धर्म कोड की लंबे समय से मांग की जा रही है लेकिन इस
प्रस्ताव से आदिवासी शब्द को विलोपित किया जाना चाहिए।
एकदिवसीय सत्र के पहले टीएसी में जाना थाः बंधु तिर्की
उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को विधानसभा में पेश करने के पहले जनजातीय परामर्शदातृ
परिषद की बैठक में चर्चा होनी चाहिए थी। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के दीपक
बिरुआ ने कहा कि सरना धर्म कोड की मांग काफी लंबे समय से हो रही है। उन्होंने कहा कि
टीएसी के अधिकारों का सदुपयोग होना चाहिए। ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू)
पार्टी के लंबोदर महतो ने भी सरना धर्म कोड का समर्थन किया। एकदिवसीय सत्र में
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) के विनोद कुमार सिंह
ने भी कहा कि आदिवासियों की अपनी अलग पहचान रही है। इसलिए अलग धर्म कोड
होना चाहिए। कांग्रेस की ममता देवी ने कहा कि उत्तरी छोटानागपुर और दक्षिणी
छोटानागपुर प्रमंडल की बड़ी आबादी कुरमी-कुरमाली भाषा का प्रयोग करते है इसलिए
जनगणना में भाषा के कॉलम में कुरमी- कुरमाली भाषा को भी शामिल करना चाहिए।
सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के कई सदस्यों के सुझाव के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि
इस मसले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 की जनगणना में
आदिवासियों की संख्या 11 करोड़ थी, जो कुल आबादी का आठ से नौ प्रतिशत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार संवेदनशील है और लाठी-गोली चलाने वाली सरकार
नहीं है। उनके प्रस्ताव पर संशोधन देते हुए आदिवासी/सरना धर्म कोड की जगह सरना
आदिवासी धर्म कोड के प्रस्ताव को पारित करने का आग्रह किया, जिसे विधानसभा ने
ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी।
दोनों नये विधायकों को शपथ दिलायी गयी
विशेष सत्र में दुमका से नवनिर्वाचित विधायक बंसत सोरेन और बेरमो से कुमार
जयमंगल ने विधानसभा की सदस्यता की शपथ ली। सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने
उन्हें संसदीय राजनीति में प्रवेश के लिए शुभकामनाएं दी। अंत में शोक प्रस्ताव में राज्य
सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री हाजी हुसैन अंसारी, पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान,
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सतीश कुमार सिंह और
पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती समेत अन्य दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि देने और
मौन रखने के बाद एकदिवसीय सत्र के सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए
स्थगित कर दी गयी।
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