रांचीः कॉमर्शियल माइनिंग को लेकर मचे राजनीतिक घमासान के बीच कोल इंडिया को
भी अपनी तरफ से सफाई देने की नौबत आयी है। कोल इंडिया के भविष्या पर सभी संशय
और संदेह को दूर करते हुये कोल इंडिया महारत्ना के अध्य क्ष श्री प्रमोद अग्रवाल ने सभी
को आश्व स्त किया कि कॉमर्शियल माइनिंग के अंतर्गत कोल इंडिया का कोई भी ब्लॉक
देने का प्रस्ताव नहीं है और कंपनी का भविष्य सुरक्षित और उज्जवल है। कंपनी के पास
प्रर्याप्त कोयला भंडार वाले सैकड़ों ब्लॉेक हैं जिससे इस प्रतिस्पार्धात्म क युग में कोल
इंडिया व्यावसायिक रूप से मजबूत बनी रहेगी। कोल इंडिया के 447 कोल ब्लॉक हैं,
जिसमें सुचारू रूप से खनन कार्य किया जाता है। इसके अतिरिक्त कोल इंडिया को 16
और कोल माइंस आंवटित किये गये हैं जिसमें कोल माइंस (विशेष प्रावधान) अधिनियम
के अंतर्गत 10 खान एवं खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम के तहत 6 ब्लॉक
आवंटित किए गए। सभी 463 ब्लॉकों की संयुक्त क्षमता 170 बिलियन टन (बीटी) के
करीब है। वर्तमान में आवंटित 16 ब्लॉक में से अधिकांश की उत्पातदन क्षमता 10
मिलियन टन (एमटी) वार्षिक से अधिक है और कुल क्षमता 264 एमटी के लगभग है।
कंपनी की जरूरतों के लिहाज से पर्याप्त कोल ब्लॉक हैं
उत्पादन की वर्तमान दर और भविष्य के वर्षों में अनुमानित वृद्धि को सुनिश्चित करने के
बाद भी कोल इंडिया देश की बढ़ती कोयला आवश्यदकता को पूर्ण करने में सक्षम है ।
वित्तीचय वर्ष 2023-24 तक कोल इंडिया को 1 बिलियन टन कोयले का उत्पादन और
आपूर्ति करने का लक्ष्य है और इसी प्रकार आगे भी सतत अग्रसर रहेगा। एक कंस्ल टेंसी
कंपनी के रूप में सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिज़ाइन इंस्टीट्यूट (सीएमपीडीआई), कोल
इंडिया का महत्व पूर्ण अंग है, जिसे चार दशक से अधिक का विशाल अनुभव है और यह
अपनी विशेषज्ञता के साथ प्रतिस्पर्धी परिदृश्य में कोल इंडिया को निश्चित रूप अग्रणी
करता है। अन्वेषण, माइन प्लापनिंग, डिजाइन, इन्फ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग, पर्यावरण
प्रबंधन आदि में सीएमपीडीआई कार्य करते हुये कोल इंडिया को बाकि कोयला सेक्टर की
बाकि खनन कंपनियों से आगे करती है। कोल इंडिया के पास विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ
की टीम भी है।
कॉमर्शियल माइनिंग अपनी जगह है कंपनी के ब्लॉक अपनी जगह हैं
कंपनी के एक अधिकारी का कहना है कि “कोयले की घरेलू मांग देश में हो रहे कोयला
उत्पाहदन से ज्या्दा है, जिसके परिणामस्वेरूप देश में कोयले का आयात किया जाता है।
इस कारण देश को अपनी विदेशी मुद्रा भंडार से एक अच्छी-खासी राशि का भुगतान
करना पड़ता है। कॉमर्शियल माइनिंग से आयात कम किया जा सकता है पर इससे कोल
इंडिया का अस्तित्वस को कोई खतरा नहीं है क्योंककि हम एक मजबूत कंपनी होने के
साथ अपने विस्ता र पर कार्य कर रहे हैं। देश में वित्तींय वर्ष 2019-20 में 247 मिलियन
टन कोयले का आयात किया गया था, जिसमें से 52 मिलियन टन कोकिंग कोल था और
शेष 195 मिलियन टन नॉन-कोकिंग कोल था।
कोल इंडिया अपनी क्षमता और परिसंचालन को कुशल बनाने की दिशा में निरंतर कार्य
कर रहा है। कंपनी राज्य एवं केन्द्रो सरकार के साथ कार्य करते हुये न सिर्फ विभिन्नम
समस्या ओं एवं चुनौतियों पर सकारात्मचक पहल से निरंतर निपटारा कर रहा है बल्कि
अपना उत्पारदन और आपूर्ति को गति दे रहा है।
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