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झारखंड के दो सांसदों के नाम वेटिंग लिस्ट में
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कोयला असंतोष को कम करने की कोशिश
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संभावितों को दिये गये हैं रहने के निर्देश
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बंगाल और बिहार चुनाव के समीकरण
संवाददाता
रांचीः अगले सप्ताह होने वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार से झारखंड का प्रतिनिधित्व बढ़
सकता है। अंदरखाने से आयी सूचनाओं के मुताबिक गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे इसमें
सबसे आगे चल रहे हैं। जानकार बताते हैं कि दरअसल एस्सार लॉबी की पैरवी के साथ साथ
कोयला उद्योग में मचने वाली उथल पुथल के बीच कोयला क्षेत्र को केंद्रीय मंत्रिमंडल में
प्रतिनिधित्व देने पर विचार किया गया था। वैसे झारखंड से इस कड़ी में दूसरा नाम धनबाद के
सांसद पीएन सिंह का है। लेकिन इनके बीच तेलेंगना के सहयोगी दल के किसी सदस्य को भी
इसी मंत्रिमंडल विस्तार में स्थान देने की भी कवायद चल रही है।
वैसे इन नामों के चयन के पीछे पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव की झलक भी
दिखाई पड़ रही है। सांसद निशिकांत दुबे गोड्डा के सांसद हैं। उन्हें कुशल मैनेजर के तौर पर
ज्यादा पहचान मिली हुई है। दूसरे सांसद पीएन सिंह धनबाद के सांसद हैं और वहां के कोयला
उद्योग के समीकरणों को समझते हुए शायद केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें इसके लायक समझा होगा।
अंदरखाने की सूचनाओं के मुताबिक संभावित मंत्रिमंडल में योग्यताओं की परख में दो और
नाम इन दोनों से ऊपर थे। पलामू सांसद बीडी राम का प्रशासनिक अनुभव श्रेष्ठ समझा गया
था जबकि चतरा के सांसद सुनील सिंह को एक कुशल संगठनकर्ता के तौर पर जाना जाता है।
लेकिन बंगाल और बिहार के चुनाव के ध्यान में रखते हुए भौगोलिक परिस्थितियों पर भी गौर
किया गया है। गोड्डा और धनबाद से केंद्रीय मंत्री होने की स्थिति में पश्चिम बंगाल और बिहार
दोनों के चुनाव को मैनेज करने में आसानी होगी, शायद इसी सोच की वजह से इन दोनों के नाम
अभी सबसे ऊपर चल रहे हैं।
अगले सप्ताह की ताजपोशी में निशिकांत सबसे आगे
गोड्डा से बिहार के भागलपुर का इलाका करीब है। जबकि पूर्वी छोर पर गंगा पार करते ही
पश्चिम बंगाल के फरक्का का इलाका आ जाता है। चुनावी समर की दृष्टि से गोड्डा में शिविर
लगाना भाजपा को दोनों ही राज्यों में लाभ प्रदान कर सकता है। जहां तक धनबाद की बात है
कि यहां से पश्चिम बंगाल के कोयला क्षेत्रों का सीधा संपर्क है। धनबाद से आसनसोल को
कोयला क्षेत्र सीधे जुड़ते हैं और इस इलाके में मुख्य मार्ग जीटी रोड के अलावा भी अनेक रास्तों
से बंगाल में प्रवेश किया जा सकता है। साथ ही कोयला उद्योग में उभर रहे असंतोष के बीच
कोयला क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति को मंत्री बनाया जाना भी इस असंतोष का कम कर सकता है।
मिली जानकारी के मुताबिक संभावित सूची वाले सांसदों से उनका पूर्ण बॉयोडाटा पहले ही
हासिल कर लिया गया है। दिल्ली से मिल रहे संकेतों को मुताबिक संभावित दावेदारों को खुद
को अगले सप्ताह किसी बाहरी कार्यक्रम में शामिल नहीं होने की भी हिदायत दी जा चुकी है।
अब अंतिम चरण में यह काम चीन के तनाव की वजह से थोड़ा बाधित हुआ है। लेकिन जो
तैयारियां हैं उसके मुताबिक अगले सप्ताह शायद मंत्रिमंडल के विस्तार का यह काम पूरा हो
जाएगा वशर्ते चीन की सीमा पर कोई और बखेड़ा खड़ा न हो।
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