-
कैलाश विजयवर्गीय
(लेखक भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं सामाजिक कार्यकर्ता हैं)
कांग्रेस और कम्युनिस्टों की कारगुजारियों की वजह से अब पड़ोसी देश नेपाल भी हमें
आंखे दिखा रहा है। भारत के कम्युनिस्टों के दवाब में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए
सरकार की नेपाल में की गई भूलों का खामियाजा अब भुगतना पड़ रहा है। 2004 से 2014
तक कांग्रेस अपनी अगुवाई में सरकार चलाने और बचाने के लिए कम्युनिस्टों का सहारा
लेना पड़ा। 2004 में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बेदखल करने के लिए मार्क्सवादी
कम्युनिस्ट पार्टी ने कांग्रेस को समर्थन दिया और उसके एवज में लोकसभा अध्यक्ष पद
पर सोमनाथ चटर्जी को बैठाया था। उस चुनाव में माकपा के 43 सदस्य जीते थे और
भाजपा की कांग्रेस से केवल सात सीटें कम थी। भारत के वामदलों ने भी कांग्रेसनीत यूपीए
सरकार को दवाब में लेकर मनमानियां भी की। कम्युनिस्टों की मनमानियां और कांग्रेस
की गलतियों का ही नतीजा है कि एक तरफ लद्दाख में सालभर पहले कठिन हालातों में
बनाई गई सड़क को लेकर चीन विवाद खड़ा कर रहा है तो दूसरी तरफ नेपाल भारत के
हिस्से को अपना बता रहा है। कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों की
सुविधा के लिए भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा पिछले दिनों लिपुलेख पास के
किए गए उद्घाटन पर नेपाल की तरफ से विरोध किया गया। नेपाल के विरोध को खारिज
करते हुए भारत सरकार ने साफ-साफ बताया कि यह सड़क हमारी सीमा में पड़ती है।
हमारे विरोध के बावजूद नेपाल ने एक नया नक्शाो जारी किया। इस नक्शे में लिपुलेख,
कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल की सीमा में दिखाया गया। ये इलाके अभी तक
नेपाल के नक्शे में थे भी नहीं।
कांग्रेस और कम्युनिस्टों ने गलत फैसले लिया
उसके बाद भारत के दवाब में नेपाल में नए नक्शे को मंजूरी देने को संविधान में संशोधन
करने लिए बुलाई गई संसद की बैठक फिलहाल टाल दी गई है। भारतीय सेना प्रमुख
जनरल मुकुंद नरवाणे ने नेपाल के विरोध पर कहा था कि हमे मालूम है कि किसके कहने
पर विरोध किया जा रहा है। नरवाणे ने चीन का नाम नहीं लिया पर नेपाल के रक्षा मंत्री
ईश्वर पोखरेल ने नरवाणे के बयान को गोरखा सैनिकों का अपमान बता दिया। जाहिर है
कि चीन का बिना नाम लिए जनरल नरवाणे के बयान से नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार
को बुरा लगा।नेपाल में पिछले कई वर्षों से जारी राजनीतिक अस्थिरता का चीन लगातार
फायदा उठा रहा है। चीन के कारण ही नेपाल बार-बार भारत विरोधी हरकरतें करता रहा है।
नेपाल में 20 वर्ष पूर्व राजपरिवार के नौ सदस्यों की हत्या कर दी गई। इसके बाद राजा
ज्ञानेन्द्र शाह ने सात साल तक सत्ता संभाली। 2008 राजशाही खत्म करके नेपाल को
लोकतांत्रिक देश घोषित कर दिया गया। इसके लिए लंबे समय तक चीन की शह पर
आंदोलन किए गए। भारत के कम्युनिस्टों ने भी आंदोलन को समर्थन दिया। राजा ज्ञानेंद्र
पर राज परिवार की हत्या करने का शक भी जताया गया। माना जाता रहा है कि चीन की
साजिश के तहत राज परिवार के सदस्यों की हत्या कराई गई।
[subscribe2]
[…] कांग्रेस के सुखेन्दू शेखर राय, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी […]