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सैकड़ों युवकों को मिल गया है नये किस्म का रोजगार
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सीमा पर मोबाइल लेकर तैनात रहते हैं जासूस
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जहां गश्ती नहीं वहीं से डीजल लाया जाता है
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हरेक की कमाई हर दिन करीब हजार रुपये
राष्ट्रीय खबर
शिलिगुड़ीः नेपाल और भूटान की सीमा से बिहार और पश्चिम बंगाल में हर रोज हजारों
गैलन पेट्रोल और डीजल आने लगे हैं। देश में जैसे जैसे इनकी कीमतों में बढ़ोत्तरी हो रही ,
सीमावर्ती इलाकों के लोगों ने इसकी काट के लिए जुगाड़ साफ्टवेयर का इस्तेमाल कर
लिया है। इन दोनों ही देशों में ईंधन की कीमतें भारत के मुकाबले बहुत कम है। ऐसे में
सस्ता पेट्रोल और डीजल के खरीददार भी भारत के इन इलाकों में पहले से तैयार मिलते
हैं। प्रति लीटर अगर दस रुपये भी बचते हैं तो यह बड़ी बचत होती है। इसी वजह से भारत
में ईंधन की कीमतों में बढ़ोत्तरी से इन इलाकों के भारतीय पेट्रोल पंपों में ईंधन की बिक्री
तेजी से कम होती जा रही है। मजेदार बात यह भी है कि नेपाल और भूटान इन दोनों ही
देशों में पेट्रोल और डीजल भारत के रास्ते से ही होकर पहुंचता है। फिर भी वहां इनपर
टैक्स कम होने की वजह से वे सस्ते दर पर बिक रहे हैं।
नेपाल से खास तौर पर बिहार के इलाको में और भूटान से पश्चिम बंगाल के इलाकों में
पेट्रोल सबसे ज्यादा लाया जा रहा है। पहले तो लोग बड़े बड़े पीपों में भरकर इसे लाया करते
थे। इनदिनों एसएसबी की गश्ती तेज होने के बाद वाहनों में भरकर इसे लाने का नया
कारोबार चल निकला है। इन इलाकों के सैकड़ों युवकों के लिए यह अतिरिक्त रोजगार का
नया साधन है। इलाकों का दौर करने वालों ने यह भी पाया है कि गश्ती दल की पकड़ में
नहीं आने के बाद इन कारोबारियों ने सीमा पर अपने जासूस भी छोड़ रखे हैं। मोबाइल
लेकर बैठे युवक गश्ती दल के आने जाने की खबर देते रहते है। इन सूचनाओं के आधार
पर जहां गश्ती दल नहीं है, उस रास्ते से पेट्रोल डीजल लाया जाता है।
नेपाल और भूटान की सीमा पर होते हैं तस्करों के जासूस
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक डीजल अब भी बड़े टैकों में लाये जाते हैं लेकिन इसके लिए
अतिरिक्त सावधानी बरती जाती है। मोबाइल लेकर बैठे युवक गश्ती दल के होने अथवा
नहीं होने की सूचना गिरोह के अन्य लोगों के देते हैं। जहां पकड़े जाने का खतरा नहीं है,
उस रास्ते से डीजल के बड़े बड़े पीपे लाये जा रहे हैं। औसत की बात करें तो इन इलाकों में
पेट्रोल और डीजल बीस रुपये सस्ता मिल रहा है।
एसएसबी की गश्ती तेज होने के बाद बिना वीजा आने जाने की छूट की वजह से अपनी
अपनी मोटरसाइकिलों में पंप तक पहुंचने भर का पेट्रोल लेकर युवक नेपाल या भूटान चले
जा रहे हैं। वहां से टंकी भर लेने के बाद वे फिर से भारत में लौटते हैं। यहां उनके द्वारा लाये
गये पेट्रोल का खरीददार पहले से ही इंतजार कर रहा होता है। उन्हें सस्ते में पेट्रोल देकर
वह अगली खेप का पेट्रोल लाने चले जाते हैं। एक युवक दिन भर में सात से आठ खेप माल
ले आता है। इससे हरेक को औसतन एक हजार रुपये से अधिक की कमाई हो जाती है।
डीजल के मामले में अब साइकल के दोनों तरफ बड़े बड़े गैलन बांधकर तस्कर सूचना का
इंतजार करते हैं। जिस रास्ते के करीब गश्ती दल नहीं होता, उसी रास्ते से यह डीजल भी
बिहार अथवा पश्चिम बंगाल के इलाकों में प्रवेश कर रहा है। भारतीय सीमा में गश्ती होन
के बाद भी इन ईंधन तस्करों को नेपाल अथवा भूटान की पुलिस का समर्थन होता है।
दोनों देशों के सुरक्षा बलों को इससे कोई एतराज भी नहीं
उनके लिए यह देश की कमाई का नया अवसर है, इसलिए वे इस पर कोई रोक भी नहीं
लगाते। इस स्थिति से तंग आ चुके बिहार और पश्चिम बंगाल के पेट्रोल पंपों के संचालकों
ने इसी माध्यम से पेट्रोल और डीजल खरीदना प्रारंभ कर दिया है। सरकार द्वारा निर्धारित
दर से कम काम पर ईंधन बेचने से उनके ग्राहक भी खुश हैं जबकि स्थानीय बेरोजगारों को
साथ रखने से उन्हें कम कीमत पर पेट्रोल और डीजल भी मिल रहे हैं।
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