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छह माह का मानदेय खा गयी कमांडो कंपनी
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अनुबंध पर बहाल अन्य लोगों का भी बुरा हाल
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जिला प्रशासन से भी शिकायत का लाभ नहीं मिला
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भुखमरी की स्थिति में हैं जिले के करीब 400 आउट सोर्सिंग कर्मी
प्रतिनिधि
चतरा : काम चाहिए आठ घण्टे और मानदेय आठ रुपया भी नदारद। जी हां यही हाल इन
दिनों स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत आउट सोर्सिंग कर्मियों की है। जिन्हें चार माह से
मानदेय के नाम पर एक फूटी कौड़ी भी नसीब नहीं हुई है। मानदेय नहीं मिलने से इनके
समक्ष भुखमरी की स्थिति उतपन्न हो गयी है। ज्ञात हो कि जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था को
सुचारू रूप से चलाने के लिए आउट सोर्सिंग के तहत करीब 400 से अधिक कर्मियों को
बहाल किया गया था। यह बहाली हजारीबाग की कमांडों कम्पनी के द्वारा अप्रैल मई माह
में ली गई। जब इनकी नियुक्ति हुई तब इन कर्मियों को भी लगा कि अब किसी प्रकार घर
परिवार का रोजी रोटी चल जाएगा। परन्तु हुआ उलटा, इनकी बहाली 2019 में की गई और
इन्हें ड्यूटी पर लगा दिया गया। कर्मियों ने पूरे ईमानदारी से 6 माह तक काम किया,
परन्तु इन छह माह के एवज में इन्हें फूटी कौड़ी भी नसीब नहीं हुई। अगर यह कहें कि
कमांडों कम्पनी ने इनके छह माह के मानदेय की राशि डकार ली तो गलत नहीं होगा।
मानदेय मिलने की आस में आउटसोर्सिंग कर्मी फिर भी काम करते रहे। इस बीच काफी
हंगामा करने के बाद इन्हें अगस्त तक का मानदेय तो दिया गया। परन्तु ज्वाइनिंग लेटर
में दिखाए गए मानदेय से सबों को 2 हजार 3 हजार रुपये काटकर। अब एक बार फिर इन्हें
4 माह से मानदेय नहीं दिया गया है। सभी कर्मी दाने दाने को मोहताज हो रहे हैं। इनके
समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। बावजूद इन्हें कोई देखने वाला नहीं है।
काम चाहिए था तो चुपचाप शोषण सहते चले गये
मिली जानकारी के मुताबिक कुछ ऐसा ही हाल अन्य सरकारी संस्थानों में निजी कंपनियों
के माध्यम से नियोजित कर्मचारियों की भी है। हालात इतने बदतर हैं कि अपने साथ हो
रहे शोषण की वे शिकायत तक करने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। इसके पहले जिन कुछ
लोगों ने इस किस्म के शोषण का विरोध किया था, उन्हें नौकरी से तत्काल निकाल दिये
जाने के बाद प्रशासन ने भी उनकी मदद नहीं की।
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