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पिछले छह महीनों मे लेवी की मांग पर हिंसा
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लेवी की मांग पर सक्रिय हैं ऐसे संगठन
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तमाम विकास कार्यों से हो रही है वसूली
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अधिकांश दबाव सड़क निर्माण कंपनियों पर
संवाददाता
रांचीः चुनाव करीब आते ही झारखंड में नक्सली गतिविधियों के बढ़ने को नये
नजरिए से भी देखा जा सकता है। इस बीच टीएसपीसी नामक एक नये
संगठन की सक्रियता पतरातू और आस-पास के इलाकों में दर्ज की जा रही है।
वीडियो में देखिये कैसे जलाये जाते हैं वाहन
इस तरह अब नक्सली संगठनों की सूची में करीब सोलह संगठन शामिल हो
गये हैं। पहले इस सूची में सिर्फ एमसीसी और पीडब्ल्यूजी ही हुआ करते थे।
इन दोनों संगठनों के विलय के बाद ही भाकपा (माओवादी) का गठन हुआ
था। इस संगठन की पकड़ कमजोर होने के बाद भी हथियारबंद दस्तों की
गतिविधियों में बढ़ोत्तरी हुई है। इन संगठनों की वजह से दूर दराज के
इलाकों में चल रहे विकास कार्यों मे लेवी की वसूली भी बढ़ गयी है। अब
यह देखा जा रहा है कि किन्हीं कारणों से अगर काम करने वाली कंपनियां
समय पर लेवी का भुगतान नहीं करती हैं तो नक्सली हमला कर रहे हैं।
अलग अलग नाम से बन चुके हैं कथित नक्सली संगठन
चुनाव करीब होने की वजह से ऐसी गतिविधियों में ईजाफा होने की स्थिति में
राजनीतिक दलों को भी इन प्रतिबंधित संगठनों के आगे घुटने टेकना पड़ेगा।
इसका मकसद सिर्फ लेवी के लिए कंपनियों और ठेकेदारों को मजबूर करना
है। आंकड़े बताते हैं कि गत डेढ़ सौ दिनों के भीतर राज्य में 46 वाहन जलाये
गये हैं। इनमें कई वारदात काफी घनी आबादी के करीब भी हुए हैं।
नक्सली-उग्रवादी संगठनों द्वारा पिछले 150 दिन के दौरान जिन 46 वाहनों
और मशीनों में आग लगाया गया है, वे सभी सड़क निर्माण और कोल
परियोजना में लगाये गये थे। विकास कार्यों में लगी संबंधित कंपनियों को
भारी नुकसान उठाना पड़ा है। वैसे कोयला ढोने में ट्रांसपोर्टरों से लेवी वसूली के
कई गंभीर मामलों की जांच अब एनआइए के जिम्मे हैं, जिनमें कुछ बड़े नामों
के लिप्त होन की भी चर्चा है। झारखंड के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न
नामों से सक्रिय नक्सली और उग्रवादी संगठन लेवी नहीं मिलने पर सबसे
पहले निर्माण कार्य में जुटी कंपनियों के वाहनों को निशाना बनाते हैं।
चुनाव करीब लेकिन पुलिसी व्यस्तता में नक्सली सक्रिय
पिछले पांच महीने के दौरान राज्य के अलग-अलग हिस्सों में नक्सलियों ने
दर्जनों वाहनों को आग के हवाले कर दिया। वहीं वर्ष 2000 में अलग झारखंड
राज्य गठन के बाद वाहनों को जलाने का आंकड़ा दर्जनों ही नहीं बल्कि हजारों
तक भी पहुंच सकता है। ताजी घटना रांची जिले की है। जहां सोमवार देर रात
पीएलएफआई उग्रवादी संगठन ने तुपुदाना थाना क्षेत्र में एलएडटी कंपनी के
मजदूर पर गोलीबारी की। इसके अलावा एक ट्रैक्टर को भी जला दिया। वहीं
पिछले 29 अक्टूबर को हजारीबाग में 6 वाहनों को आग के हवाले कर दिया
और उसके दो दिन बाद ही रामगढ़ में उग्रवादियों ने एक हाइवा को आग के
हवाले कर दिया। पुलिस मुख्यालय भी इस बात को जानता है कि यह कथित
नक्सली संगठन लेवी के पैसों से ही फल-फूल रहे हैं। वहीं निर्माण कार्य में लगे
कई ठेकेदार नक्सलियों से सांठगांठ कर सफलतापूर्वक निर्माण कार्य करवा
लेते हैं। लेकिन कुछ ठेकेदार उग्रवादियों को रंगदारी देने से इंकार कर देते हैं,
तो उग्रवादी संगठन भी कंपनी के वाहनों को आग के हवाले कर देते हैं। जिससे
निर्माण कार्य में लगी कंपनियों को करोड़ों का नुकसान होता है।
इस नुकसान से बचने के लिए कंपनियों के लिए लेवी का भुगतान करना
मजबूरी हो जाती है क्योंकि समय पर उन्हें पुलिस की सुरक्षा नहीं मिल
पा रही है।
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