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अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर सब्जी उगा रहे हैं
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मूली उगाकर जांच रहे हैं वहां मौजूद वैज्ञानिक
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कैट रूबिंस बनी पहली अंतरिक्ष महिला किसान
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भावी अंतरिक्ष यात्रा के लिए भोजन की तैयारियां
राष्ट्रीय खबर
रांचीः नासा को शून्य गुरुत्वाकर्षण में जीवन को आगे बढ़ाने के प्रयोग में एक और
सफलता हाथ लगी है। अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर मौजूद अंतरिक्ष यात्री इस अनुसंधान
पर काम कर रहे हैं। मूली प्रजाति की फसल की खेती को बढ़ते देख अंतरिक्ष यात्री भी
प्रसन्न है। नासा की अंतरिक्ष यात्री केट रूबिंस ने इस खेती का काम किया है। इस लिहाज
से यह भी कहा जा सकता है कि वह प्रथम महिला अंतरिक्ष यात्री हैं, जो शून्य गुरुत्वाकर्षण
में खुद को किसान साबित कर चुकी हैं। वहां जो मूली उगायी गयी है, उन्हें अब सुरक्षित
अवस्था में रखा गया है। साथ ही मूली के पौधों को भी सुरक्षित रखा गया है जो अगले वर्ष
की वापसी के वक्त उनके साथ पृथ्वी पर वापस लौटेंगे। यहां लौटने के बाद उस उपज की
फिर से जांच की जाएगी। नासा के शून्य गुरुत्वाकर्षण के इस प्रयोग को प्लांट हैविटैट 02
का नाम दिया गया था। यह पहला अवसर है जब अंतरिक्ष में मूली उगाये गये हैं। इसके
पूर्व भी फूल पत्ती पर यह प्रयोग हुआ था। इस बारे के प्रयोग में मूली का चयन भी
वैज्ञानिकों ने काफी सोच समझकर लिया था। दरअसल इसकी पूरी संरचना उतनी जटिल
नहीं है तथा यह महज 27 दिनों में ही उग जाता है। अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर जो मूली
उगायी गयी है वह पौष्टिक है तथा खाने योग्य भी है। अब दोबारा पृथ्वी पर लौट आने के
बाद भी उनकी गुणवत्ता की एकबार फिर से जांच की जाएगी। इसमें यह देखा जाएगा कि
शून्य गुरुत्वाकर्षण में उनमें क्या कुछ बदलाव आया है। अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर
इससे पहले भी सब्जी उगाने का प्रयोग किया गया है। इसके अलावा वहां गेंहू भी उगाया
गया है। लेकिन मूली की विशेषताओं की वजह से इस बार के नासा का शून्य गुरुत्वाकर्षण
की खेती इसी पर आधारित थी।
नासा को मिली सफलता के पहले भी काफी काम हुआ है
माइक्रोग्रैविटी पर ऐसा शोध पहले से ही चल रहा है। इस किस्म के प्रयोग का एक मकसद
भविष्य की अंतरिक्ष यात्रा में अंतरिक्ष यात्रियों के साथ ही भोजन का इंतजाम देना है।
प्रयोग के दौरान जो कुछ भी सफल और सही गुणवत्ता का पाया जाएगा, भावी अभियानों
के अंतरिक्ष यान में उनकी खेती होती रहेगी और अंतरिक्ष यात्रियों को स्वादिष्ट और
पौष्टिक आहार ताजा ताजा मिलता रहेगा। नाका के इस प्रयोग के प्रोग्राम मैनेजर निकोले
डूफोर ने कहा कि अनेक किस्म की फसलों पर क्रमिक प्रयोग से यह तय कर पाना संभव
होगा कि शून्य गुरुत्वाकर्षण में कौन सी प्रजाति बेहतर तरीके से काम कर पाती है। साथ
ही अंतरिक्ष में उपजाये जाने के बाद किसकी गुणवत्ता और स्वाद कैसा रहता है, इसकी भी
जांच हो जाएगी। मूली को उपजाने में भी अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर मौजूद वैज्ञानिकों
को कम ध्यान देना पड़ा है। जबकि कुछ मामलों में उन्हें निरंतर फसल की निगरानी करनी
पड़ी थी। वैसे इस अनुसंधान के दौरान उपजाये जाने वाले पौधों पर लाल, नीला और हरे
रंग का प्रकाश भी डासला गया था। इससे पौधों के विकसित होने पर इन रंगों का असर का
भी पता चल पायेगा क्योंकि वहां के हर घटनाक्रम के आंकड़े अलग से दर्ज किये जा रहे हैं।
मूली उगाने के इलाके में लगे थे कैमरे और 180 सेंसर
जिस कक्ष में यह सब्जी उगायी जा रही थी, उसके आस पास कैमरा और 180 किस्म के
सेंसर लगे हुए थे। इनकी मदद से उपलब्ध सारे आंकड़ों का विश्लेषण नासा के केनेडी स्पेस
सेंटर में किया जा रहा था। इस शोध के मुख्य वैज्ञानिक कार्ल हासेनस्टेइन ने कहा कि
नासा वर्ष 1995 से ही इस पर काम करता आ रहा है। वह खुद भी यूनिवर्सिटी ऑफ
लुइसिनिया में प्रोफसर हैं और पौधों के विशेषज्ञ हैं। उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर उपजने वाले
तथा अंतरिक्ष में उपजाये गये पौधों और फसलों के बीच गुणवत्ता के अंतर को भी अभी
समझना है। मूली की उपज से वहां कार्बन डॉईऑक्साइड के प्रभाव को भी समझने में मदद
मिलेगी तथा वहां पर पौधों में खनिजों के आहरण और वितरण को बेहतर तरीके से समझा
जा सकेगा।
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