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घृणा की राजनीति से देश का नुकसान
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संस्कृत तो हमारे लिए क्लासिक है
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अधिक जुबान आना फर्ख की बात
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नीतीश कुमार तो फेल हो चुके हैं
दीपक नौरंगी
पटनाः हमारा काम है मोहब्बत जहां तक फैले, यह टिप्पणी की कांग्रेस के विधायक डॉ
शकील अहमद खान की। उन्होंने संस्कृत में शपथ ग्रहण कर अनेक लोगों को चौंका दिया
था। लेकिन इस बारे में उन्होंने कहा कि किसी जुबान से परेशानी होना किसी और संकुचित
राजनीतिक विचारधारा की निशानी है।
वीडियो में देखिये उन्होंने क्या कुछ कहा
डॉ खान ने कहा कि इसी विधानसभी में जब एक बार पूरी प्रोसिडिंग उर्दू में चली थी तो
भाजपा वालों और उनकी विचारधारा वालों को इससे परेशानी हो गयी थी। उन्होंने साफ
किया कि उन्हें कभी किसी जुबान से परेशानी नहीं रही। वह तो मानते हैं कि अधिक
भाषाओँ को ज्ञान होना अपने आप में गर्व करने की बात है। इसी बात चीत के क्रम में
उन्होंनें मोहब्बत का पैगाम देने की चर्चा करते हुए कहा कि प्रेम की गंगा बहाने की जरूरत
है वरना बहुत दुष्ट लोग घृणा की राजनीति कर रहे हैं। यह बता देना प्रासंगिक होगा कि
वह भी छात्र जीवन की राजनीति से यहां तक पहुंचे हैं। वह पूर्व में जेएनयू के अध्यक्ष भी रह
चुके हैं। लिहाजा बौद्धिक स्तर पर अन्य लोगों के मुकाबले उनका कद काफी ऊंचा है।
अल्पसंख्यक परिवार से आने के सवाल पर उन्होंने साफ कर दिया कि वह इन बातों पर
यकीन ही नहीं करते हैं। हमारा काम ही यह बताता है कि हम हिंदुस्तानी परिवार से आते
हैं। दरअसल इसी घृणा की राजनीति ने लोगों को इतना भ्रमित कर दिया है कि इससे बहुत
नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि पिछले छह सालों से यही घृणा की राजनीति देश को
तबाह कर चुकी है।
हमारा काम हमारे इलाके में सूचीबद्ध टंगा है
कटिहार के कदुआ से दूसरी बार विधायक चुने गये खान ने कहा कि उनके इलाके में हर
प्रखंड मे क्या कुछ काम किया गया है, उसकी सूची टंगी हुई है। वह इसी अंदाज में काम
करते हैं और सरकारी योजनाओं के माध्यम से जनता को कितना फायदा पहुंचाया जा
सके, इस पर लगातार प्रयासरत रहते हैं।
डॉ खान ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि डीजल की कीमतें पेट्रोल से अधिक हो चुकी
है। हर स्तर पर आम जनता की परेशानियां बढ़ती ही जा रही है। तो यह भी समझ लेना
चाहिए कि हिंदुस्तान का दिल बहुत बड़ा है।
वह ऐसा सब कुछ देखती समझती और झेलती भी है। इसलिए यकीन रखिये कि जनता ही
घृणा की राजनीति करने वालों को सबक भी सीखा देगी।
नीतीश कुमार के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार बनाना और सरकार चलाना दोनों में
फर्क होता है। वर्तमान परिस्थिति में तो वह यही कह सकते हैं कि नीतीश कुमार सरकार
चलाने में फेल हो चुके हैं। प्रशासन पर अब उनकी कोई पकड़ नहीं रह गयी है। शराबबंदी के
सवाल पर मुस्कुराते हुए उन्होंने कहा कि सच्चाई क्या है, सभी जानते हैं। इसीलिए यह
स्पष्ट है कि नियम बनाने के बाद भी अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से उसे
लागू नहीं कराना ही नीतीश कुमार की विफलता का प्रमाण है।
नीतीश कुमार की सरकार पांच साल पूरे करेगी के सवाल पर उन्होंने टिप्पणी करने से
इंकार करते हुए कहा कि इस प्रश्न का उत्तर तो भविष्य के गर्भ में हैं और जहां तक चिराग
का स्टैंड है तो यह भी राजग के आंतरिक कलह का दर्शाता है, जिसमें वह टिप्पणी करना
नहीं चाहते।
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