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ओजोन की पर्त पहले से काफी बेहतर हुई
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कोरोना के आतंक के बीच अच्छी खबर
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लॉकडाउन से प्रदूषण की मात्रा कम
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बंद सब कुछ तो सुधर रहा पर्यावरण
प्रतिनिधि
नईदिल्लीः आसमान के ऊपर पृथ्वी के वायुमंडल में बहुत तेजी से बदलाव हो रहा है।
वैज्ञानिक इसे देखकर हैरान है। उनका मानना है कि शायद दुनिया में कोरोना की वजह
से जो लॉकडाउन लगा है, उससे प्रदूषण बहुत घटा चुका है। इसी वजह से अब ओजोन
की पर्त भी तेजी से सुधरती हुई नजर आ रही है। दूसरी तरफ दक्षिणी गोलार्ध में हवा का
रुख बदलना भी वैज्ञानिकों को हैरान कर रहा है। अंटार्कटिका के ऊपर स्थिति सुधरने के
बाद इस दक्षिणी हिस्से मे हवा क्या गुल खिलाने वाली है, यह समझ में नहीं आ रहा है।
पिछले दो दिनों से पर्यावरण वैज्ञानिक लगातार इस पर नजर बनाये हुए हैं। इसके लिए
निरंतर काम करने वाले सैटेलाइटों का भी सहारा लिया जा रहा है।
सैटेलाइटों से साफ नजर आ रहा है यह बदलाव
मालूम हो कि पृथ्वी पर बढ़े प्रदूषण और हानिकारक गैसों की वजह से ही पृथ्वी के
वायुमंडल के इस सतह को नुकसान पहुंचा था। सबसे पहले 1985 में वैज्ञानिकों ने यह
पाया था कि पृथ्वी के ऊपर बने ओजोन की पर्त में एक छेद हो गया है। इस छेद से
हानिकारक विकिरण सीधे पृथ्वी तक पहुंच रहे हैं। बाद में ग्रीन हाउस गैसों की वजह से
यह छेद और विशाल हो गया था। अब वह तेजी से भरता हुआ दिख रहा है। इसे समझने
के लिए वैज्ञानिक सैटेलाइटों का भी सहारा ले रहे हैं।
दूसरी तरफ दक्षिणी गोलार्ध का हाल चाल वैज्ञानिकों को हैरान परेशान कर रहा है। वहां
की हवा के रुख को लेकर जांच कर्ता अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाये हैं। जब
ओजोन की पर्त के क्षतिग्रस्त होने का क्रम जारी था तो इस दक्षिणी हिस्से के आसमान
के ऊपर तेज हवा के झोंके उत्तर की तरफ से आते थे। पहले इस हवा ने इसे और दक्षिण
में धकेल दिया था।
आसमान का माहौल वैज्ञानिकों को हैरान करने वाला
वैज्ञानिक मान रहे थे कि दुनिया भर में बारिश का नियम कानून बदल जाने की एक
वजह यह भी थी। अब दस वर्षों के बाद यह अचानक ही बंद हो गया है। वर्तमान की
अवस्था के दौरान अनेक वैज्ञानिक इसके लिए लॉक डाउन को ही जिम्मेदार मानते हैं,
जिसकी वजह स पृथ्वी का प्रदूषण तेजी से कम हो रहा है। इसे बैज्ञानिक अच्छा संकेत
मानते हैं। अब ऑस्ट्रेलिया में जिस बदलाव की वजह से अकाल जैसे हालात पैदा हुए थे,
वह समाप्त होने वाला है। इन इलाकों में इसी दक्षिणी गोलार्ध की तेज हवाओं ने बारिश
को दूसरी दिशा में धकेल दिया था। जिससे आस्ट्रेलिया के कई इलाकों में अकाल जैसी
स्थिति पैदा हो गयी थी। अब फिर से बारिश अपने पुराने रास्ते पर लौट सकती है। अब
हवा का रुख और दक्षिण की तरफ नहीं होने के बाद सीधे उत्तर की तरफ हो रहा है।
इसलिए दोनों ही ध्रुबों और अकाल पीड़ित इलाकों के लिए यह शायद एक बेहतर स्थिति
हो सकती है।
पिछले तीस वर्षों से धीरे धीरे जो बारिश के माहौल बदला है, अब हवा ठीक उसके उल्टी
दिशा में बह रही है। इससे ऐसा समझा जा रहा है कि प्रकृति ने इसे बदलने का काम
प्रारंभ किया है। लेकिन इसके पीछे दुनिया का लॉकडाउन है अथवा नहीं, इसकी निरंतर
जांच की जा रही है। दुनिया में दफ्तर और वाहन बहुत कम चालू होने से भी हवा का
स्तर सुधर गया है।
चीन के औद्योगिक प्रदूषण से जोड़कर देख रहे लोग
कुछ वैज्ञानिक इस सुधार को चीन की औद्योगिक गतिविधियों से जोड़कर देख रहे हैं।
उनका मानना है कि प्रदूषण संबंधी उल्लंघन सबसे अधिक चीन में ही होता है।
आसमान के ऊपर से भी सैटेलाइट चीन से होने वाले प्रदूषण को लगातार दर्ज करते
रहते हैं। अब अचानक वहां की औद्योगिक गतिविधियों के ठप हो जाने के बाद भी यह
सुधार साफ देखा जा रहा है। शायद चीन की औद्योगिक गतिविधियों से वायुमंडल में
फैलने वाले प्रदूषण के ठहर जाने की वजह से आसमान में सब कुछ बदल रहा है।
इन गतिविधियों पर कोलरडो बोल्डर विश्वविद्यालय के रसायनशास्त्री अंतरा बनर्जी ने
कहा है कि इस एक घटना ने साबित कर दिया कि यह लड़ाई कहां चल है। उनके
मुताबिक यह प्रकृति में सीधे सीधे ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन और ओजोन पर्त के
ठीक होने के बीच का संघर्ष है। अभी प्रदूषण कम होने और गैस नहीं निकलने की वजह
से प्रकृति खुद को फिर से सुधारने में जुटी है। लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि हमें अपने
आप को बचाने के लिए प्रदूषण को हर हाल में कम करना ही होगा।
कोरोना के आतंक से पीड़ित तमाम देशों में भी प्रदूषण और भीड़ समाप्त होने के
उल्लेखनीय प्रमाण दिख रहे हैं। इटली के समुद्र तटों पर डाल्फिन तैर रहे हैं। तमाम
उड़ान बंद होने की वजह से हवाई अड्डों के मैदानों में पर दुर्लभ किस्म के पक्षियों का
मजमा लग रहा है। गर्मी वाले इलाकों में भी लोग शायद इस बंदी की वजह से हवा में
जलन कम महसूस कर रहे हैं।
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