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महाकाश में फिर एक अनोखी घटना आठ सौ वर्षों के बाद
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गुरु और शनि ग्रह के इतने करीब आने का संयोग
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21 दिसंबर को दोनों सबसे करीब नजर आयेंगे
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इससे पहले 1226 में दोनों इतने करीब थे
राष्ट्रीय खबर
रांचीः गुरु ग्रह और शनि आठ सौ वर्षों के अंतराल के बाद इसी साल फिर से करीब आ रहे
हैं। खगोल विज्ञान और ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक यह अनोखी घटना है। वैज्ञानिक और
ज्योतिषीय स्तर पर इसके परिणामों की अलग अलग व्याख्या भी कर दी गयी है। लेकिन
कुल मिलाकर अच्छी बात यह है कि इस सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह यानी गुरु ग्रह और
अपने वलय के साथ चक्कर काटने वाले शनि का करीब आना लोगों को भी खुली आंखों से
नजर आ सकता है। वैज्ञानिक अनुमान के मुताबिक अगर आसमान साफ रहा तो 21
दिसंबर की रात को लोग इसे एक ही सीध में देख पायेंगे। उस वक्त का नजारा आसमान
पर दोनों को एक साथ देखने का अवसर पैदा कर रहा है।
यह जान लेना जरूरी है कि अपनी अपनी धुरी पर चलने वाले यह दोनों ग्रह इससे पहले 4
मार्च 1226 को इसी तरह करीब आये थे। यह बता देना प्रासंगिक है कि ऐतिहासिक तथ्यों
के मुताबिक उस वक्त भी पूरी दुनिया में कई राजनीतिक उथल पुथल हुए थे। इधर
वैज्ञानिक इन दोनों ग्रहों की धुरी और उनके करीब आने की न्यूनतम दूरी का भी आकलन
कर चुके हैं। दोनों आसमान पर बिल्कुल करीब दो ग्रह की शक्ल में नजर आयेंगे। इस
दौरान दोनो के बीच की दूरी बहुत कम रह जाएगी। जमीन से बिल्कुल करीब नजर आने के
बाद भी दरअसल उनके बीच जो दूरी रहेगी वह पृथ्वी से सूर्य की दूरी की चार गुणा अधिक
होगी। नासा के वैज्ञानिकों ने बताया कि हर पल दोनों के बीच की दूरी कम होती चली जा
रही है। इस अंतर को हर सप्ताह साफ साफ समझा भी जा सकता है।
गुरु ग्रह और शनि की इस स्थिति को खुली आंखों से देख सकेंगे
वैसे खगोल वैज्ञानिक मानते हैं कि अभी भी आसमान पूरी तरह साफ होने की स्थिति में
लोग खुली आंख से पांच ग्रहों को देख सकते हैं। इन दोनों को आसमान पर पश्चिम की
दिशा में देखा जा सकता है। खगोल इतिहास के लिहाज से भी यह एक दुर्लभ क्षण होगा। यूं
तो दोनों ग्रह अपनी अपनी धुरी पर हर बीस साल बाद एक दूसरे के करीब आते हैं लेकिन
इस बार का यह संयोग बिल्कुल अनूठा है। राइस विश्वविद्यालय के खगोल वैज्ञानिक
पैट्रिक हार्टिगन ने कहा कि 4 मार्च 1226 की घटना के वैज्ञानिक आंकड़े उपलब्ध नहीं है।
उस वक्त का विज्ञान भी इतना उन्नत नहीं था। लिहाजा इस पृथ्वी की वर्तमान इंसानी
प्रजाति को पहली बार इसे देखने और अच्छी तरह समझने का अवसर प्राप्त हो रहा है।
वैज्ञानिक गणना के मुताबिक 16 दिसंबर से 25 दिसंबर तक दोनों पृथ्वी से लगभग एक ही
धुरी पर होंगे। इसलिए आसमान पर वे एक चमकीले ग्रह की तरह नजर आयेंगे। दोनों के
बीच की सबसे कम दूरी 21 दिसंबर को होगी। इस घटना के बाद दोनों फिर से 15 मार्च
2080 को एक दूसरे के करीब आयेंगे और उसके बाद का ऐसा संयोग वर्ष 2400 में आने की
उम्मीद है। यह गणना दोनो की चाल और धुरी के आधार पर ही की गयी है।
पृथ्वी से वह दोनों लगभग सटे हुए ही नजर आयेंगे
यह फिर से बता दें कि सारे ग्रह दरअसल सूर्य का ही चक्कर काटते हैं। इस चक्कर काटने
की सबकी धुरी और गति अलग अलग है। आकाश में एक दूसरे के करीब आने की वजह से
दोनों का आकार पृथ्वी से नजर आने वाले चांद का पांचवा हिस्सा होगा लेकिन काफी
चमकदार होने की वजह से उनकी पहचान आसान होगी। दुनिया भर के खगोल वैज्ञानिक
अपने जीवन की यह पहली अनोखी घटना के देखने और समझने के लिए काफी उत्सुक है।
इस दौरान जो भी लोग टेलीस्कोप से आसमान को देखा करते हैं, वे सभी ग्रहों को एक साथ
देख सकेंगे। साथ ही इनमें से कई ग्रहों के साथ ही चक्कर काटने वाले उनके अपने अपने
चांद को भी देखने का अवसर मिलने जा रहा है।
ज्योतिष शास्त्र में गुरु और शनि की युति के कई मायने हैं। लेकिन इतने करीब आने के
पूर्व उदाहरण मौजूद नहीं होने की वजह से सामान्य युति के आधार पर ही गणनाएं बतायी
गयी है। ज्योतिष शास्त्री भी प्राचीन ग्रंथों के आधार पर इस स्थिति को बेहतर व्याख्या
तलाशने में जुटे हुए हैं।
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