रांचीः राज्य सरकार का बजट निराशाजनक है और उद्योग-व्यापार जगत की इसमें
उपेक्षा की गयी है। राज्यसभा सांसद श्री महेश पोद्दार ने बुधवार को विधानसभा में पेश
राज्य सरकार के बजट को निराशाजनक बताया है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के
उत्तरार्द्ध में राज्य की सबसे बड़ी जरुरत खाली हाथों को काम देना है, लेकिन जो लघु व
मध्यम उद्यमी समुदाय तथा व्यापार जगत इस उद्देश्य की पूर्ति में सक्षम है, उसे समर्थन
अथवा राहत देने का कोई प्रावधान इस बजट में नहीं है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में
राज्य का किसी न किसी विधा में कुशल श्रम अपने घर लौटा था और उन्हें राज्य में ही
रोके रखने की क्षमता केवल लघु-मध्यम उद्योगों और व्यापार जगत के पास ही है। पर
इन्हें राहत देना तो दूर, इनके शोषण और प्रताड़ना के लिए ही सारे प्रावधान किये जा रहे
हैं। श्री पोद्दार ने कहा कि राज्य सरकार का बजट रोजगार बढ़ाने के नाम पर नॉन मेजरेबल
योजनाओं भरा पड़ा है। ऐसी योजनाओं के अधिक महत्व दिया गया है, जिसका वास्तविक
आकलन करना कठिन है। स्पष्ट है कि राज्य में ठेकेदारी-कमीशनखोरी-कालाबाजारी को
बढ़ावा देने और लूट की खुली छूट देने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार
और राज्य के वित्त मंत्री इस आशंका को खारिज करना चाहते हैं तो उन्हें सभी प्रकार के
लाभुकों को सभी योजनाओं का लाभ डीबीटी के माध्यम से देने की घोषणा करनी चाहिए।
शिक्षा, स्वास्थ्य, शहरी विकास, कौशल विकास आदि की उपेक्षा की गयी है।
झारखंड का बजट औद्योगिक विकास बढ़ाने का संकेत नहीं देता
औद्योगिक क्षेत्रों की सुविधायें बढ़ाने का कोई संकल्प नहीं दिखता है। बिजली के क्षेत्र में
सुधार की प्रतिबद्धता बजट में नदारद है। झारखंड का बजट इस संदर्भ में कोई उत्साह पैदा
करने वाला नजर नहीं है। भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद श्री पोद्दार समय समय पर
ऐसे सभी ज्वलंत विषयों पर अपनी प्रतिक्रिया देने के अलावा सरकारों को अपनी राय भी
देते हैं। पूर्व में रघुवर दास के राज में भी श्री पोद्दार ने कई गंभीर मुद्दों की तरफ सरकार का
ध्यान आकृष्ट किया था। उस वक्त भी सरकार ने उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया
था। अब झारखंड का बजट विधानसभा में पेश होने के बाद वह पहले नेता हैं, जिन्होंने
उद्योग जगत की आवश्यकताओं को समझते हुए इस बजट से निराशा जतायी है।
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