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पहली बार चीन ने भारतीय हमले की शिकायत की
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सैन्य कमांडरों की बैठक फिर बेनतीजा रही
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चीन ने तैनात किये अपने जे 20 विमान
विशेष प्रतिनिधि
नईदिल्लीः भारत और चीन के सैनिक फिर से सीमा पर टकरा गये हैं। इस बार यह टकराव
गलवान के बदले प्योंगोंग झील के करीब हुई है। किसी तरह से औपचारिक तौर पर इस
टकराव के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी है। लेकिन खबर आयी है कि इस बार भी
हाथापायी हुई है लेकिन गलवान घाटी जैसा यह संघर्ष खूनी नहीं हुआ है। इस टकराव के
बाद सैन्य कमांडरों के बीच आपात बैठक भी हुई है लेकिन उस बैठक का कोई सार्थक
नतीजा नहीं निकल पाया है।
वीडियो में देख लीजिए वह झील जहां झड़प हुई है
अनौपचारिक तौर पर मिली जानकारी के पूर्वी लद्दाख के इलाके में इस झील पर चीन की
सीमा की मौजूदगी को लेकर पहले से ही तनाव की स्थिति थी। आज इस मुद्दे पर संघर्ष की
नौबत तब आयी जब चीनी सैनिक भारतीय सीमा में अंदर चले आये थे। दूसरी तरफ चीन
का आरोप है कि दरअसल भारतीय सेना ने ही चीन की सीमा में अनधिकृत तौर पर प्रवेश
किया था, जिसे चीन की सेना ने विफल कर दिया। लेकिन चीन के साथ सीमा पर इस
तनाव का देश के कारोबार पर भी फिर से असर पड़ गया है। कल रात से ही इस बारे में
तनाव होने के संकेत मिलने लगे थे। इस दौरान वहां सीमा की तरफ जाने वाले हर रास्ते
को आम जनता के चलने के लिए रोक दिया गया था। याद रहे कि इससे पूर्व गत 15 जून
को भी गलवान घाटी में दोनों सेना की भिड़ंत में बीस भारतीय सैनिक मारे गये थे। इस
संघर्ष में चीनी सैनिकों की भी मौत हुई थी लेकिन चीन ने अब तक इस बारे में औपचारिक
तौर पर कुछ नहीं कहा है।
भारत और चीन के सैनिक इस इलाके में आमने सामने हैं
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इस झील के इलाके में चीनी सैनिक भारत के विरोध के बाद
भी मौजूद हैं। ताजी सूचना के मुताबिक वहां चीन ने अपनी रक्षा पंक्ति और मजबूत कर
ली है। इस कारण भारत को भी अपने सैन्य संतुलन में बदलाव करना पड़ा है। इस बीच
लगातार दोनों देशों के सैन्य कमांडरों की बैठक के बाद भी इस इलाके की स्थिति को लेकर
कोई नतीजा नहीं निकला है। आज भी सैन्य कमांडरों की बैठक में कोई निष्कर्ष नहीं
निकलने की सूचना आयी है।
आज के टकराव के संबंध में पहली बार चीन की तरफ से भी टकराव होने की औपचारिक
जानकारी दिये जाने का निष्कर्ष है कि चीन को भारतीय सेना के बल प्रयोग का सामना
करना पड़ा है। लेकिन शायद यह टकराव गलवान घाटी जैसा खतरनाक नहीं रहा है।
लेकिन वहां दोनों तरफ से भारी हथियारों की मौजूदगी से यह स्पष्ट हो गया है कि
फिलहाल दोनों ही सेनाएं अपने अपने इलाके से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं।
दूसरी तरफ अंदरखाने से यह सूचना भी आयी है कि चीन ने इस इलाके की देखभाल के
लिए अपनी तरफ से अपने जे 20 युद्धक विमान भी तैनात कर दिये हैं। समझा जाता है कि
अंबाला में राफेल की तैनाती की वजह से चीन को हवाई स्तर पर इस सैन्य नियंत्रण को
कायम रखने की बड़ी चुनौती मिली हुई है। वैसे इसके अलावा भी अरुणाचल प्रदेश तक
दोनों देशों की सेना गलवान घाटी की घटना के बाद से ही पूर्ण सतर्क मुद्रा में हैं।
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