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दर्द और उसके भय को दूर करने की विधि
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इस्तेमाल में टूटे नहीं उसका खास इंतजाम
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पशुओं पर सफल प्रयोग और पेटेंट का आवेदन
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आइआइटी खड़गपुर के वैज्ञानिकों ने खोजी विधि
प्रतिनिधि
नयीदिल्लीः इंजेक्शन का दर्द सभी को होता है। कई लोगो को इस इंजेक्शन के दर्द से
ज्यादा उस दर्द का एहसास ही कष्ट देता है। अनेक लोग अधिक उम्र में भी इंजेक्शन के
नाम से ही घबड़ा जाते हैं। इन तमाम कष्टों का निवारण करने आइआइटी खड़गपुर के
शोधकर्ताओं ने नई विधि विकसित कर ली है। इन शोधकर्ताओं ने एक माइक्रोनीडल तैयार
करने में सफलता पायी है, जिससे जरिए इंजेक्शन के दर्द को खत्म किया जा सकेगा। बीते
कल यानी शनिवार को आइआइटी खड़गपुर ने इस सफलता की जानकारी आधिकारिक
तौर पर जारी अपनी विज्ञप्ति के माध्यम से दी है।
आइआइटी खड़गपुर के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग
विभाग ने इंजेक्शन के काम आने वाली सूई की मोटाई को ही कम कर दिया है। लेकिन
इसके और पतला बनाने के साथ साथ उसे मजबूत भी बनाया गया है। इसे मजबूत बनाने
का मकसद अत्यंत पतले इंजेक्शन से दवा देते वक्त वह कहीं टूट न जाए। विज्ञप्ति में यह
दावा किया गया है कि इस माइक्रोनीडल का इस्तेमाल अब कोविड 19 के वैक्सिन
कार्यक्रम में भी किया जा सकता है। भविष्य में इसके जरिए खास तौर पर मधुमेह के उन
मरीजों को भी फायदा होगा, जिन्हें हर रोज इंस्यूलिन लेने के दौरान इंजेक्शन लेने के दर्द
से गुजरना पड़ता है।
हम जानते हैं कि खास तौर पर बच्चों के लिए टीकाकरण अभियान में भी इसी इंजेक्शन
का दर्द भी एक बाधक है। अनेक बच्चे और उनके माता पिता भी इस इंजेक्शन के दर्द से
घबड़ाते है। इसी भय की वजह से वे इंजेक्शन से भागते हैं और टीकाकरण के अभियान में
इससे रुकावट आती है।
इंजेक्शन का दर्द टीकाकरण को भी प्रभावित करता है
इसे बनाने वालों का दावा है कि कैंसर की दवा के इंजेक्शन में भी यह माइक्रोनीडल काम
आयेगा। इस शोध दल के नेता प्रोफसर तरुण कांति भट्टाचार्य ने बताया कि इसे बनाने में
अत्यंत पतली नली की शक्ति को बढाया गया है। इसके लिए ग्रास कार्बन का इस्तेमाल
किया गया है। जो अधिक दबाव झेल सकता है। इसमें एक माइक्रोपंप की विधि भी जोड़ दी
गयी है। इस माइक्रोपंप की विधि से दवा को नियंत्रित तरीके से लेकिन तेज गति से रोगी
की चमड़ी के अंदर पहुंचना संभव हो पाया है। इसे इस्तेमाल करने वाले के नियंत्रण में
रखने की विधि विकसित की गयी है ताकि आवश्यकतानुसार इसके जरिए दवा देने को
नियंत्रित भी किया जा सके।
शोधकर्ताओं का दावा है कि इसके परीक्षण में यह साबित हो गया है कि यह किसी भी
किस्म के दवा देने के काम में इस्तेमाल की जा सकती है। वर्तमान में इंजेक्शन का दर्द ही
अधिकांश लोगों के लिए परेशनी का कारण बनता है। उसी मुख्य कारण को ही यह
माइक्रोनीडल पूरी तरह दूर कर देगा। वैसे शोध दल इंजेक्शन के तमाम तौर तरीकों का
और गहन अध्ययन कर रहा है। इसका मकसद हर किस्म के इंजेक्शन के लायर
माइक्रोनीडल तैयार करना है। ताकि हर प्रकार के इंजेक्शन देने के काम में इसका
इस्तेमाल किया जा सके।
इस विधि को और विकसित करने का काम जारी है
इस शोध से जुड़े लोगों का मानना है कि इसे तैयार करने का असली मकसद को इंजेक्शन
के दर्द को दूर करना था। लेकिन यह काम पूरा होने के बाद अब आवश्यकतानुसार इसे और
विकसित करने का काम चल रहा है। शोध के दौरान पशुओं पर इसका सफलतापूर्वक
इस्तेमाल कर लिया गया है। सामान्य तौर पर चिकित्सा के काम आने के पहले जिस
प्रकार के क्लीनिकल ट्रायल की जरूरत पड़ती है, उसमें पशुओं पर सफल प्रयोग पहला
चरण है। इसके आगे के चरणों का ट्रायल भी शीघ्र ही किया जाएगा। इस बीच इस तकनीक
के पेटेंट का आवेदन भी दिया गया है। भारत सरकार के संबंधित विभाग ने इस परियोजना
के लिए धन उपलब्ध कराया था। इसलिए अब इसके सफल होने की जानकारी विस्तार
सहित कई पत्रिकाओं में प्रकाशित की गयी है।
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