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मां के गर्भ से ही यह काम चालू होता है
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दिमागी भूख के लिए परिष्कृत ऊर्जा जरूरी
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अंडों से विकसित जीवों पर यह शर्त लागू नहीं
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दुनिया भर में हुए अनुसंधान के बाद का वैज्ञानिक नतीजा
प्रतिनिधि
नईदिल्लीः भूख भी प्रत्यक्ष तौर पर परेशानी खड़ी करने के अलावा परोक्ष
और दीर्घकालीन असर छोड़ जाता है। पहली बार वैज्ञानिकों ने इस बात का
खुलासा किया है कि दरअसल इस भूख की अवस्था में लगातार होने
से बच्चों का मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है।
इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए शोधकर्ताओं ने दुनिया भर के मानसिक
विकास के आंकड़ों और घटनाक्रमों का गहन विश्लेषण किया है।
इसी के आधार पर भूख के साथ मानसिक विकास के इस रिश्ते की
पुष्टि हुई है। वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि मानसिक विकास अवरुद्ध
होने की खास वजह भूख के दौरान दिमाग तक पर्याप्त पौष्टिक आहार
का नहीं पहुंचना ही है।
इसी वजह से दिमाग भी अपनी पौष्टिकता के अभाव में कमजोर पड़ता
जाता है। दरअसल इंसान सहित किसी भी प्राणी के दिमाग में ऊर्जा
एक परिष्कृत स्वरुप में खर्च होती है।
इंसानी दिमाग में इस परिष्कृत ऊर्जा की खपत अन्य प्राणियों के
मुकाबले अधिक होती है।
हरेक को यह ऊर्जा उसके भोजन के माध्यम से ही प्राप्त होती है।
शोधकर्ताओं ने इसके लिए अपने सर्वेक्षण में जन्म से पहले की स्थितियों
का अध्ययन किया है।
इसके आधार पर जन्म से पहले मानसिक विकास के विकार से पीड़ित
अधिकांश बच्चों में भूख की कमी गर्भ में होने के दौरान ही पायी गयी है।
इस तथ्य के हासिल होने के बाद और अधिक शोध किया गया था।
इस अनुसंधान से जुड़े वैज्ञानिकों ने इसकी एक एक कड़ी को क्रमवार
तरीके से जोड़ा है।
भूख भी गर्भ तक में अपना असर कैसे डालता है
कोशिका के स्तर पर हर प्राणी का विकास कमोबेशी इसी पुष्टि पर
आधारित है। लेकिन यह शर्त उन बच्चों पर लागू नहीं होती, जो मां के
गर्भ के बाहर प्राकृतिक परिवेश में विकसित होते हैं।
इनमें मेंढक के बच्चों को लिया जा सकता है। इसी तरह कई अन्य प्राणी
भी पानी अथवा जमीन पर अंडों से
विकसित होने की वजह से मां के गर्भ की पुष्टि पर निर्भर नहीं रहते हैं।
दिमागी संरचना के काम काज समझा है वैज्ञानिकों ने
इंसानी शोध में यह देखा गया है कि जब पर्याप्त पुष्टि शरीर को नहीं मिलती
तो दिमाग को शक्ति प्रदान करने वाली कोशिकाएं अपना काम घटा देती हैं।
इनके काम करने की गति और क्षमता के कम होने की वजह से दिमाग
का विकास भी ठहरने लगता है।
गहन शोध का नतीजा है कि दिमाग तक पहुंचने वाली पुष्टि जब
कम होती है तो उन न्यूरॉनों का विखंडन हो जाता है।
इस विखंडन से दिमाग के हर भाग को कुछ न कुछ हिस्सा मिलता
जाता है लेकिन सभी को पर्याप्त शक्ति नहीं मिल पाती और वे
सही तरीके से विकसित नहीं हो पाते हैं।
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