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पिछले हफ्ते गायब हो गया था एक स्थानीय मछुआरा
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69 साल का एंड्रयू हियर्ड लापता बताया गया था
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हिनचिनब्रूक द्वीप के पास क्षतिग्रस्त नाव मिली
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सात मीटर तक लंबा होते हैं ऐसे शिकारी प्राणी
राष्ट्रीय खबर
रांचीः विशालाकार मगरमच्छ को पकड़ा गया तो यह बात समझ में आयी कि ऑस्ट्रेलिया
का मछुआरा आखिर लापता कैसे हो गया था। वहां के उत्तरी क्वींसलैंड के द्वीप की यह
घटना है। समझा जाता है कि गत 11 फरवरी को लापता मछुआरा भी मगरमच्छ के हमले
का शिकार हो गया था। 69 वर्षीय एंड्रूयू हियर्ड लापता बताये जा रहे थे। स्थानीय
अधिकारियों ने उनकी तलाश तेज कर दी थी। इसी क्रम में एक 14 फीट लंबे मगरमच्छ को
जब पकड़ा गया तो उसके पेट से इंसानी शरीर के टुकड़े मिले और मछुआरा के लापता होने
का राज समझ में आ गया। किसी कारण से यह मछुआरा मगरमच्छ के हमले को भांप
नहीं पाया था। इतने बड़े आकार का होने की वजह से यह मगरमच्छ उसे खा गया था।
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अपनी याचेट (छोटे आकार के नाव) में हिनचिनब्रूक द्वीप की तरफ यह मछुआरा मछली
मारने के मकसद से निकला था। दोपहर को घर से निकलने के बाद वह रात को घर नहीं
लौटा। इस दौरान उसका रेडियो काम कर रहा था। घर से उसकी पत्नी ने भी कई बार
रेडियो पर संपर्क करने की कोशिश में असफल होने के बाद स्थानीय प्रशासन को उसके
लापता होने की सूचना दी थी। इसी सूचना के आधार पर सरकारी स्तर पर उसकी खोज का
अभियान प्रारंभ किया गया था। तलाशी अभियान में 12 फरवरी को उसकी नाव का पता
चल गया। देखने पर मालूम पड़ा कि यह नाव डूबी हुई थी। नाव को नजदीक से देखने पर
यह भी स्पष्ट हो गया था कि उस नाव पर भी मगरमच्छ की दांत के निशान पड़े थे।
विशालाकार मगरमच्छ के दांतों के निशान नाव पर भी मिले
उसके बाद से ही यह माना जा रहा था कि किसी मगरमच्छ ने उसके नाव पर ही हमला कर
दिया था। लेकिन नाव के आकार की वजह से खोज करने वाले किसी बड़े आकार के
मगरमच्छ की तलाश कर रहे थे। ऐसा इसलिए किया जा रहा था क्योंकि औसत आकार के
मगरमच्छ का ऐसा कर पाना संभव नहीं था। बीती रात यानी शुक्रवार की रात को खोज
करने वालों ने पानी से उसके कुछ अंश बरामद किये। उसके बाद से किसी विशालाकार
मगरमच्छ की तलाश होने लगी थी। ऐसे एक मगरमच्छ को पास में भी छिपा देखा गया।
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प्रशासनिक अनुमति के आधार पर इस मगरमच्छ को मार डाला गया। उस विशालाकार
मगरमच्छ के पेट से ही इंसानी शरीर के टुकड़े मिले। तब जाकर यह नतीजा निकाला गया
कि इसी बहुत बड़े आकार के मगरमच्छ ने मछुआरा के नाव पर हमला कर उसे डूबा दिया
था और नाव पर सवार व्यक्ति को अपना भोजन बना लिया था।
इस घटना के बाद वन्य प्राणी संरक्षण के वर्तमान नियमों पर फिर से बहस होने लगी है।
दरअसल क्वींसलैंड का यह इलाका पृथ्वी के सबसे बड़े आकार के मगरमच्छों के लिए
जाना जाता रहा है। लेकिन हाल के कई दशकों में इनका भी काफी शिकार होने की वजह से
उनकी आबादी तेजी से कम हुई है। इस इलाके में पूर्व में भी करीब 23 फीट लंबा
विशालाकार मगरमच्छ देखा गया था। क्वींसलैंड के म्युजियम में ऐसे विशालाकार
मगरमच्छ की प्रतिकृतियां रखी हुई हैं। वैसे इस प्रजाति के मगरमच्छ आम तौर पर बड़ा
होन के बाद करीब 16 फीट के हो जाते हैं। खारे पानी का इस श्रेणी के मगरमच्छ को भी
विलुप्त प्राय प्राणी की सूची में रखा गया है।
हाल में दिनों में इंसानों पर हमले की वजह से कई मगरमच्छ मारे गये
यह वैज्ञानिक तथ्य है कि इस प्रजाति के विशालाकार मगरमच्छ पहले भी इंसानों पर
हमला कर चुके हैं। दो सप्ताह पूर्व भी इसी द्वीप के करीब 160 किलोमीटर की दूरी पर
स्थित लेक प्लासिड में एक चालीस साल के व्यक्ति पर ऐसे ही किसी विशालाकार
मगरमच्छ ने हमला कर दिया था। इस हमले में उसके सर पर चोट तो आयी थी लेकिन
वह बच गया था। खुद उस घायल व्यक्ति ने बताया कि हमला होने के बाद भी वह अपने
दोनों हाथों से मगरमच्छ का जबड़ा अलग रखने में कामयाब रहा था। इसी वजह से घायल
होने के बाद भी वह बच निकला। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी इलाके के समुद्र में
भी एक 22 साल का युवक 12 फीट लंबे विशालाकार मगरमच्छ के हमले में घायल हो गया
था। उसके हाथ में गंभीर चोटें आयीं थी जबकि हमले के लिए जिम्मेदार पहचाने गये
मगरमच्छ को मार डाला गया था। इस प्रजाति के और विशालाकार मगरमच्छों के मारे
जाने से भी उनकी आबादी तेजी से कम होने की वजह से पर्यावरण प्रेमी नये सिरे से इस
विलुप्त प्राय प्रजाति के टिके रहने की संभावनाओं पर नये सिरे से बात करने लगे हैं।
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