लापुंगः बगूलों से अचानक पूरा पेड़ भर जाने की स्थिति बड़ी अजीब है। शाम के वक्त जब
अचानक बगूले एक खास पेड़ पर एकत्रित होने लगे तो उनकी भीड़ ने बरबस ही ग्रामीणों
का ध्यान आकृष्ट किया। ऐसा माना जा रहा है कि लगातार जारी लॉक डाउन की वजह से
ही यह पर्यावरण परिवर्तन अब इंसानों को अच्छी तरह महसूस होने लगा है। इस क्रम में
अक्सर ही ग्रामीण और शहरी इलाकों में तितलियों को भी उड़ते देखा जा रहा है। इससे
मौसम के बदलने के भी संकेत मिल रहे है। दूसरी तरफ कुछ लोगों का मानना है कि इस
तरीके से तितलियों का उड़ना दरअसल अकाल आने की निशानी भी है। लेकिन इन दोनों
ही बातों के कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं हैं। लापुंग प्रखंड के तपकरा समेत विभिन्न गांवों में
प्रकृति का अनूठा देखने को मिल रहा है। लॉक डाउन के दौरान हुई पर्यावरण में परिवर्तन
के कारण बगुलों की संख्या में आशातीत वृद्धि हो गयी है। वहीं दूसरी ओर जंगलों में जीव
जंतुओं की संख्या बढ़ गई है। तितलियों के लगातार वृद्धि का लापुंग का हर शख्स गवाह
बन गया है। पिछले 1 महीने से लाखों की संख्या में पीली तितलियां लगातार उड़ती हुई
दक्षिण दिशा की ओर बढ़ रही है। जलवायु में परिवर्तन का संकेत भी मिलने लगा है। बूढ़े
बुजुर्गों का कहना है कि अप्रैल और मई में कभी बारिश नहीं होती थी। लेकिन इस तरह की
मौसमी परिवर्तनों से भविष्य में जलवायु परिवर्तन के भी संकेत मिलने लगे हैं।
बगूलों के अलावा तितलियों से भी हो रही हैरानी
इलाके में पहले से ही हाथियों का आतंक हुआ करता था। इनदिनों लॉक डाउन के सन्नाटे
की वजह से अन्य जंगली जानवरों को भी गांवों के करीब आते देखा जा रहा है। ग्रामीण
अक्सर ही सुबह जब निकलते हैं तो उन्हें जंगली जानवरों के पदचिह्न भी अपने गांव के
नजदीकी इलाकों में नजर आने लगे हैं। इसका अर्थ है कि रात के सन्नाटे में भी जंगली
जानवर अक्सर ही गांव के करीब आने लगे हैं।
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