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जमीन के एवज में कोयला मंत्रालय ने दिया ढाई सौ करोड़
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सरकार बनाने के बाद से ही हेमंत ने मांग की
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बकाया भुगतान पर पहली बार केंद्र की पहल
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शेष राशि पर विचार के उपरांत होगा फैसला
संवाददाता
रांचीः उन्नीस साल से लटका आ रहा एक मुद्दा अब मुख्यमंत्री ने सुलझा लेने में कामयाबी
पायी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर पिछले 19 वर्षों से लंबित चला आ रहा
कोयला जमीन से संबंधित मुआवजा की समस्या का आज समाधान निकल आया।
वीडियो में देखिये केंद्रीय मंत्रियो के साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुलाकात
इस पहल के तहत कोल इंडिया की तरफ से झारखंड सरकार को पहली किश्त के तौर पर
ढाई सौ करोड़ का चेक भी केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी के द्वारा सौंपा गया। इन
सभी कोयला खनन संबंधित मुद्दों पर मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक बैठक भी हुई। इस
बैठक में केंद्रीय कोयला एवं खनन मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी और अनुसूचित जनजाति
मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के अलावा भारत सरकार के कोयला सचिव, कोल
इंडिया के अध्यक्ष, भारत सरकार के कोयला मंत्रालय के अन्य पदाधिकारी, झारखंड के
मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव, राजस्व एवं निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के
सचिव, खान एवं भूतत्व विभाग के सचिव तथा राज्य सरकार के अन्य पदाधिकारी
उपस्थित थे। इस बैठक में राज्य सरकार द्वारा एक अप्रैल 2009 से 31 मार्च 2020 तक की
अवधि में कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा अधिग्रहित की गई 14296 एकड़ भूमि के एवज में
5439 करोड़ तथा 5298 एकड़ भूमि के एवज में 2787 करोड़ रुपए के भुगतान का मुद्दा
उठाया गया। कोल इंडिया द्वारा आज तक जितनी भी राज्य सरकार की सरकारी भूमि पर
लिया गया है, उसके एवज में जमीन जमीन की कीमत का भुगतान राज्य सरकार को नहीं
किया गया। मुख्यमंत्री द्वारा इस मुद्दे को लगातार भारत सरकार के समक्ष उठाया जा रहा
है।
उन्नीस साल से भुगतान नहीं होने पर हेमंत लगातार मुखर थे
आज भी उनकी पहल से इस मुद्दे का समाधान निकला। केंद्रीय कोयला मंत्री द्वारा
तत्काल 250 करोड़ रुपये का चेक मुख्यमंत्री को सौंपा गया। जिस शेष रकम की मांग की
गयी है, उसकी जांच के उपरांत भुगतान पर भी सहमति बनी। आज की बैठक में एक
अप्रैल 2009 से 31 मार्च 2020 तक अधिग्रहित की गई सरकारी भूमि के एवज में कोल
इंडिया लिमिटेड द्वारा भुगतान की राशि से संबंधित मांग पत्र भेजने का निर्णय लिया
गया। कंपनी के द्वारा विस्थापितों और परिवारों को हो रही विभिन्न समस्याओं की ओर
भारत सरकार का ध्यान आकृष्ट किया गया। सीबीए के अंतर्गत आने वाली भूमि हेतु
उचित मुआवजा एवं पुनर्वास की व्यवस्था के लिए प्रमुखता से केंद्रीय मंत्री के समक्ष रखा
गया। मुख्यमंत्री ने कंपनियों द्वारा धूले हुए कोयले की कीमत के आधार पर रॉयल्टी का
भुगतान नहीं होने के कारण राज्य सरकार को हो रही हानि का मामला भी प्रमुखता से
उठाया। साथ ही बंद पड़े खदानों को पर्यावरण नियम के अनुसार समतल कर उस पर
वृक्षारोपण करने हेतु भी केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट किया।
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