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अपनी निगरानी की बात कहकर फंसा दिया कोर्ट ने
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अदालत के फैसले के बाद सकते में बिहार सरकार
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मुंगेर से हटने के बाद अब लिपि सिंह सहरसा में
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प्रारंभ से लिपि सिंह के बचाने की पुरजोर कोशिश
दीपक नौरंगी
भागलपुरः दोष नहीं होने के बाद भी मुंगेर के वर्तमान एसपी मानवजीत सिंह ढिल्लों लपेटे
में आ गये। इससे यह कहावत सच साबित हो गयी कि कई बार गेंहू के साथ साथ घुन भी
पिस जाता है। उस अधिकारी का बहुचर्चित मुंगेर गोली कांड से कोई लेना देना नहीं था।
लेकिन जब चुनाव आयोग ने लिपि सिंह को वहां से तत्काल हटाने का निर्देश दिया तो
सरकार ने ढिल्लों को वहां पदस्थापित किया था। मुंगेर में दुर्गा पूजा विसर्जन जुलूस के
समय हुए गोली चालन से एक युवक की मौत के बाद से ही यह स्थिति लगभग स्पष्ट हो
चली थी कि सरकार लिपि सिंह को बचाने का भरसक प्रयास कर रही है।
वीडियो में समझ लीजिए पूरा माजरा
इसकी खास वजह हर किसी को पता है। सत्ता के काफी करीबी होने की वजह से ही मुंगेर
से हटाये जाने के तुरंत बाद उन्हें सहरसा का एसपी बना दिया गया था। वैसे लोगों का
आकलन था कि अगर चुनाव में नीतीश कुमार के बदले गठबंधन की सरकार बनती तो
पूरा माजरा ही उल्टा हो जाता। नीतीश कुमार और लिपि सिंह के पिता घनिष्ठ मित्र है।
इधर मामला इधर उधर कर निपटाने की पुरजोर कोशिश भी हुई। यह सारा ताम झाम उस
वक्त विफल हो गया जबकि मारे गये युवक के पिता इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट चले
गये। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाई कोर्ट ने न सिर्फ इस मामले की सुनवाई की बल्कि अब
अपना फैसला सुनाते हुए जांच से जुड़े सभी अधिकारियों को वहां से हटाने का भी निर्देश
दिया है।
दोष तो नहीं था लेकिन सब लोग नप गये हैं
लेकिन ढिल्लों को हटाये जाने के आदेश पर लोग मानते हैं कि दरअसल कसूर किसी और
का है और सजा किसी और को मिल रही है। इसके बाद भी अदालत ने जो आदेश जारी
किया है, उसके तहत अब अदालत की निगरानी में ही मामले की जांच होगी और जाहिर
सी बात है कि जिन तथ्यों को छिपाने और दबाने में पूरी सरकार जुटी हुई है, वह शायद
अदालत की निगरानी की वजह से कामयाब नहीं हो पायेगी। दोष नहीं होने के बाद भी
तबादला झेलने वाले ढिल्लों से लोगों को सहानुभूति है लेकिन लोग यह भी मान रहे हैं कि
सरकार में लिपि सिंह को बचाने का जो खेल खेला गया था, वह शायद अब कामयाब नहीं
हो पायेगा।
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