रांचीः किसानों के आंदोलन के तीन दिन बाद भी सरकार के तरफ से पहल नहीं होने की
निंदा होने लगी है। झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमिटी की प्रवक्ता आभा सिन्हा ने कहा है कि
कृषि कानून के विरोध में किसान आंदोलन का आज तीसरा दिन है और सिंघु बॉर्डर के
हाईवे पर किसान अपनी मांग पर डटे है, लेकिन मोदी सरकार सोई हुई है, उसके कान में जूं
तक नही रेंग रही है, जो देश के किसानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नही तो और क्या है।
उन्होंने कहा कि देश के किसान मोदी सरकार द्वारा किसान विरोधी कृषि कानून को
वापस लेने की मांग पर अड़े हुवे है ताकि उनका भविष्य अंधकारमय होने से बच सके।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के 3 नए कृषि कानून किसानों के हितकर नही है। इन
कानूनों से किसानों को नुकसान और निजी खरीदारों व बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा
होगा। किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म हो जाएगा। उन्होने कहा कि
देश के विभिन्न राज्यों के कई किसान और किसान संगठन लगातार तीनों कृषि कानूनों
को विरोध कर रहे हैं, खासकर पंजाब-हरियाणा के किसान तो विरोध में लगातार आंदोलन
छेड़े हुए हैं। किसानों के अलावा केन्द्र सरकार के अंदर भी इन बिलों पर समर्थन हासिल
नहीं हुआ और राजग के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने भी विरोध में खुद
को राजग से अलग कर लिया।
किसानों के आंदोलन से पहले हरसिमरत कौर बादल ने पद छोड़ा
नतीजा यह रहा कि केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।
उन्होंने कहा कि किसान विरोधी इन बिल्लों के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस कमिटी भी
आन्दोलनरत है और जब तक ये बिल मोदी सरकार वापस नही लेगी तब तक आंदोलन
जारी रहेगा।
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[…] आन्दोलन को मजबूती प्रदान करे एवं उक्त धरना को सफल बनाने में अपना पूर्ण सहयोग […]