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सुप्रीम कोर्ट को समर्पित कर दी अपनी रिपोर्ट
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सीलबंद लिफाफे में सौंपी है अपनी रिपोर्ट
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रिपोर्ट पर चर्चा से इंकार करते हैं सदस्य
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अदालत ने बनायी थी यह विशेष कमेटी
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः कृषि कानूनों के अध्ययन के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। यह रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सौंपी गयी है। इसलिए
कमेटी के सदस्य भी यह अदालत के विचाराधीन मामला होने की वजह से इस पर कोई
टिप्पणी नहीं करने की बात करते हैं। रिपोर्ट के बारे मे यह बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट
ने चार सदस्यों की कमेटी का गठन किया था। इनमें से एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने
खुद को इस कमेटी से अलग कर लिया था। उसके बाद इस कमेटी में तीन सदस्य अनिल
घनावत, अशोक गुलाटी और प्रमोद जोशी रह गये थे। इन तीनों ने अपनी रिपोर्ट सौंपने से
पहले 85 किसान संगठनों से बात करने की जानकारी दी है। इस रिपोर्ट में क्या सिफारिश
की गयी है, उस बारे में कमेटी के सदस्य चर्चा करने से इंकार कर रहे हैं। उनके मुताबिक
यह सुप्रीम कोर्ट का गोपनीय मामला है। इसलिए इसके आगे की जानकारी सिर्फ सुप्रीम
कोर्ट ही दे सकता है।
कृषि कानूनों के लिए ही भाजपा के खिलाफ हैं किसान
कृषि कानूनों के अध्ययन के लिए गठिन इस कमेटी को आंदोलनकारी किसानों ने मानने
से इंकार कर दिया था। उनका तर्क था कि इस कमेटी में जो सदस्य रखे गये हैं, वे पहले ही
केंद्र के तीनों कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके हैं। ऐसे में उनसे बेहतर न्याय की उम्मीद
नहीं की जा सकती है। किसान संगठन अब भी दिल्ली की सीमा से परे अपने आंदोलन को
और फैलाने में जुटे हैं। दिल्ली की सीमा पर सीमित स्थिति में आंदोलन के जारी होने के
साथ साथ जहां जहां विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, वहां भी किसान आंदोलन से जुड़े नेता
भाजपा के खिलाफ मतदान करने की अपील करने पहुंच रहे हैं। इन किसानों ने आगामी
दिनों में उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनावों में भी भाजपा को सबक सीखाने का
एलान पहले से ही कर रखा है।
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