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इजरायल के वैज्ञानिकों ने इस उथल पुथल का पता लगाया
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दिमागी बीमारियों का स्थायी ईलाज का रास्ता
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मिरगी के रोगियों पर भी अनुसंधान हुआ है
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न्यूरॉन नियंत्रण के जरिए सुधार संभव है
प्रतिनिधि
नईदिल्लीः दिमाग के अंदर असफलता का प्रभाव ज्यादा होता है। इसके मुकाबले सफलता
का असर मस्तिष्क के अंदर कम नजर आता है। इस बारे में हम बहुत पहले से सुनते तो
आये थे लेकिन पहली बार इजरायल के वैज्ञानिकों ने इस गुत्थी को सुलझाने का दावा
किया है। इंसानी ब्रेन के अंदर की गतिविधियों पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों ने यह राज
खोला है। इसका निष्कर्ष यह है कि औसत इंसानी दिमाग के भीतर असफलता का प्रभाव
ज्यादा होता है जबकि सफलता का असर कम नजर आता है। इस एक खोज से वैज्ञानिक
दिमाग स्थिति के बेहतर संतुलन के लिए एक कदम आगे बढ़ा चुके हैं। साथ ही यह भी
साबित हो गया है कि असफलताओं से नहीं घबड़ाने वाले ज्यादा परिश्रमी और सफल भी
होते हैं। क्योंकि असफलता का दिमागी बोझ उठाने की क्षमता भी इंसानों में अलग अलग
होती है। इस शोध के निष्कर्षों को नेचर कम्युनिकेशन पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
इस काम में जुटे वैज्ञानिक यह उम्मीद भी कर रहे हैं कि शोध के इसी रास्ते से आगे बढ़ते
हुए दिमाग के न्यूरॉन जनित बीमारियों का ईलाज भी आगे खोजा जा सकता है।
दूसरी तरफ दिमाग के इस हिस्से की गुत्थी को सुलझाने में एक कदम आगे बढ़ने की वजह
से ऐसी उम्मीद भी की जा रही है कि भविष्य में इ सके जरिए दिमाग संबंधी ढेर सारी
परेशानियों का हल तलाश लेना संभव होगा। मस्तिष्क के अंदर सफलता और असफलता
के प्रभाव के बीच फासला कम करने से दिमागी शक्ति को विकसित किया जा सकेगा।
दिमाग के अंदर नियंत्रण कायम हुआ तो कई काम आसान होंगे
सारा काम दिमाग को विभिन्न तरीकों से सक्रिय करने वाले न्यूरॉनों के नियंत्रण से संभव
हो पायेगा। दूसरी तरफ अकारण भय की बीमारी से पीड़ित लोगों का ईलाज भी इससे
संभव होगा। आज भी हम जानते हैं कि अनेक लोगों को अकारण ही अनेक किस्म के भय
होता है। इसका स्थायी ईलाज भी दिमाग के इसी हिस्से की गड़बडी को सुधारकर किया जा
सकेगा।
तेल अबीब विश्वविद्यालय और तेल अबीब सौरास्की मेडिकल सेंटर के संयुक्त अध्ययन
में इसकी जानकारी दी गयी है। इनलोगों ने इंसानी ब्रेन के अंदर की स्थितिओं का उनके
बाहरी अनुभव के आधार पर विश्लेषण किया है। यह देखा गया है कि असमंजस अथवा
अनिश्चित की स्थिति का भी दिमाग के अंदर क्या कुछ प्रभाव पड़ता है। दूसरी तरफ
बेहतरी के अवसर और सफलता के संकेतों की भी पहचान की गयी है। दोनों के बीच के
अंतर को समझने के बाद ही वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि असफलता का दिमाग
पर अधिक प्रभाव पड़ता है जबकि सफलता का असर कम होता है। इस अंतर को कम
रखने वाले बेहतर तरीके से काम करने में हमेशा सफल होते हैं।
इलेक्ट्रॉड लगाकर अंदर की हलचल को रिकार्ड किया गया
शोधकर्ताओं ने इसके लिए मिरगी के रोगियों की दिमागी स्थिति का भी अध्ययन किया
है। इससे रोग के प्रभाव में होने के दौरान उनके दिमाग की अंदर की स्थिति का पता चल
पाया है। इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने ऐसे मरीजों के दिमाग पर पहले से ही इलेक्ट्रॉड
लगा रखे थे, जिससे रोग के असर के दौरान मस्तिष्क के अंदर की गतिविधियों को रिकार्ड
कर उनका विश्लेषण करने में आसानी हुई है। मिरगी के दौरे के दौरान दिमाग के अंदर
क्या कुछ बदलाव होता है, उसे दर्ज किया गया है। अब उसका क्रमवार तरीके से वैज्ञानिक
विश्लेषण किया जा रहा है। उम्मीद है कि इस विश्लेषण की वजह से भविष्य में मिरगी के
रोगियों को स्थायी ईलाज में भी कोई रास्ता निकल आये।
अपने इस शोध को ठोस नतीजे तक पहुंचाने के लिए वैज्ञानिकों ने शोध के दायरे में आये
लोगों पर अनूठे प्रयोग भी किये हैं। इनलोगों को कंप्यूटर पर खेलने का अवसर दिया गया
था। इस दौरान भी उनके दिमाग के अंदर की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी। इस
परीक्षण के दौरान भी यह बार बार पाया गया कि जब कभी इस किस्म के खेल में कोई
जीतता था तो उसका दिमाग कम प्रभावित होता था लेकिन जब वह इस खेल में हार जाता
था तो उसके दिमाग पर इसका अधिक असर पड़ता था। इसे समझने के लिए दिमाग के
अंदर पैदा होने वाले विद्युतीय तरंगों के गतिविधियों को लगातार दर्ज किया गया ता। यह
सारा कुछ दिमाग के प्री फ्रंटल कोरटैक्स के इलाके में होता है और वहां के न्यूरान ही इन्हें
नियंत्रित करते हैं।
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