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पुलिस के लोग आबकारी विभाग को जिम्मेदार मानते हैं
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अब तक इस विभाग के लोगों पर नहीं हुई है कार्रवाई
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शराब तस्करी और अवैध कारोबार रोकना जिम्मेदारी
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शराबबंदी के लागू होने के बाद नपे हैं पुलिस वाले
ब्यूरो प्रमुख
भागलपुरः बिहार में शराब तस्करी रोकने पर खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सक्रिय हैं।
कुछ दिन पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डीजीपी एसके सिंघल के साथ शराब
वाले मामले में समीक्षा की थी। बिहार के मुख्यमंत्री की समीक्षा के बाद पुलिस विभाग
के अधिकारियों में एक बात आम तौर पर सुर्खियों में देखी जा रही है कि एक्साइज विभाग
के कितने अधिकारियों और कर्मी पर शराबबंदी के बाद कार्रवाई की गई है और पुलिस
विभाग के कितने थानेदार और पुलिसकर्मी पर कार्रवाई की गई है।
वीडियो में समझ लीजिए क्या है वास्तविकता
जानकार मानते हैं कि अब संपूर्ण परिपेक्ष्य में इस पूरे मामले की समीक्षा करने की
आवश्यकता है। यह सवाल बिहार की आम जनता के जेहन में भी है कि शराब के मामले में
संबंधित विभाग के अधिकारियों पर अभी तक कितनी कार्रवाई की गई है। शराब तस्करी
का मामला उजागर होने पर आम तौर पर संबंधित इलाके के थानेदार और पुलिसवालों के
खिलाफ कार्रवाई होती है। लेकिन इस काम को मुख्य तौर पर रोकना तो आबकारी विभाग
की जिम्मेदारी है। जानकार मानते हैं कि पुलिस विभाग के पास शराब की तस्करी रोकने
के अलावा भी दूसरे कई काम होते हैं। दूसरी तरफ आबकारी विभाग सिर्फ इसी काम के
लिए बना हुआ है। ऐसे में शराब की तस्करी का मामला सामने आने की स्थिति में संबंधित
इलाके के आबकारी विभाग के अधिकारियों का बच निकलना कहीं ने कहीं जिम्मेदारी से
बचने जैसी बात है।
बिहार में शराब तस्करी पर इस विभाग की जिम्मेदारी
लोग मानते हैं कि अब इस मामले की समीक्षा करने की आवश्यकता है। देखा गया है कि
शराबबंदी के बाद पुलिस विभाग के सिपाही जमादार और थानेदार पुलिस इंस्पेक्टर पर
अधिक कार्रवाई की गई है लेकिन एक्साइज विभाग के द्वारा शराबबंदी के मामले में
कितनी लापरवाही की गई है और एक्साइज विभाग के कितने कर्मी और अधिकारियों पर
कार्रवाई की गई है, इस बिंदु पर बिहार के मुख्यमंत्री को एक्साइज विभाग के कमिश्नर के
साथ समीक्षा बैठक कर कई बिंदुओं पर गहन विमर्श करने की आवश्यकता है। बिहार के
हर जिले में एक्साइज विभाग के द्वारा कितनी देशी और विदेशी शराब पकड़ी गई और
किस जिले में एक्साइज विभाग के द्वारा शराब के कम मामले पकड़ में आ रहे हैं, इसकी
भी जानकारी अब सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेनी चाहिए। सवाल है कि क्या ऐसे
मामले में एक्साइज विभाग के अधिकारी अपनी मूल जिम्मेदारी का पालन नहीं करने की
वजह से बार बार क्यों बच निकल रहे हैं। विभाग के पास यही मुख्य काम है और अगर इस
मुख्य जिम्मेदारी का सही तरीके से पालन नहीं हो रहा है तो विभागीय अधिकारियों को भी
सरकारी दंड का भागी बनना चाहिए, जो अब तक दुर्भाग्य से नहीं हो पाया है।
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