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प्राचीन काल में ऑस्ट्रेलिया इस महाद्वीप का पड़ोसी था
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यह प्राचीन काल का बहुकोषिय जीव था
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एक मीटर लंबाई वाले फॉसिल भी मिले हैं
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मध्यभारत कैसे जुड़ा था, इस पर शोध जारी
राष्ट्रीय खबर
रांचीः फॉसिल के जरिए प्राचीन काल का पता लगाने के क्रम में एक नई और रोचक
जानकारी सामने आयी है। पहली बार यह पता चला है कि दरअसल ऑस्ट्रेलिया का
इलाका भी भारत से सटा हुआ था। करीब 550 मिलियन वर्ष पूर्व की फॉसिल में इसके
प्रमाण मिले हैं। वैसे यह प्राणी फॉसिल चूंकि पहले ही ऑस्ट्रेलिया और रुस में पाये गये हैं,
इसी आधार पर यह माना जा रहा है कि प्राचीन काल में जो प्राणी किसी एक भूखंड के
इलाके में रहते थे, वे आपस में जुड़े हुए थे। जिस प्राणी के फॉसिल भीमबेटका में मिले हैं,
उसका परीक्षण हो चुका है। उस अवशेष के सुरक्षित अवस्था में होने की वजह से उसकी
कार्बन डेटिंग भी की गयी है। जिससे उसके काल का पता चला है। इसके पहले ही इस
प्रजाति के अवशेष अन्य महाद्वीपों में पाये जाने की वजह से यह निष्कर्ष निकाला जा रहा
है कि उस काल में जमीन के यह सारे टुकड़े एक दूसरे से जुड़े हुए ही थे। इस जानकारी के
आधार पर अब नये सिरे से वैज्ञानिक उस काल के भूखंडों और टेक्टोनिक प्लेटों की
संरचना पर भी कंप्यूटर मॉडल तैयार करना चाहते हैं। जाहिर है कि इस नई खोज से
प्राचीन पृथ्वी की अवधारणा के बारे में जो कुछ तथ्य प्रकाश में आ चुके हैं, उनमें नये तथ्य
भी जुड़ने जा रहे हैं। वैसे यह पूर्व प्रमाणित वैज्ञानिक तथ्य है कि प्राचीन पृथ्वी के जमीन
का आकार लगातार बदलता रहा है। यहां तक कि पृथ्वी की जमीन के आंतरिक हिस्से
यानी टेक्टोनिक प्लेटों की स्थिति भी बदलती रही है। इसलिए अब इस एक प्राणी के
फॉसिल से और नई जानकारियां सामने आ सकती हैं। मध्यप्रदेश के भोपाल के पास
स्थित भीमबेटका गुफाओं में प्राचीन काल के अवशेष होने का पता बहुत पहले से हैं।
फॉसिल के जरिए उस दौर की बहुत जानकारी मिलेगी
इसी वजह से यह एक पुरातत्व के स्थान के तौर पर संरक्षित पर्यटन स्थल भी है। वहां इस
जीव के सुरक्षित फॉसिल पहली बार मिले हैं। इस जीव के बारे में भी कहा जाता है कि यह
अत्यंत प्राचीन काल में जीवन का एक हिस्सा रहा है। जो समय के साथ होने वाले क्रमिक
विकास के दौर में विलुप्त हो चुके है। बहुकोषिय जीव के तौर पर यह पृथ्वी पर जीवन के
विकास की प्रारंभिक कड़ियो में से एक है। हम पहले से ही इस बात को जानते है कि इस
पृथ्वी पर सबसे पहले एक कोष का जीव यानी एमिबा आया था। जिसके बाद विवर्तन की
प्रक्रिया के तहत बहुकोषिय जीवों का विकास हुआ है। बहुत छोटे से आकार का यह जीव
बाद में करीब एक मीटर तक लंबा होता था। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि उस जीव
के छोटे और बड़े दोनों ही किस्मों के फॉसिल मिले हैं। अब वहां के जमीन की संरचना का
मिलान ऑस्ट्रेलिया और रुस की मिट्टी से किया जाएगा ताकि उसके आगे की कड़ियों का
पता चल सके। डिकिनसोनिया प्रजाति का यह जीव भी बहुकोषिय जीवन की तरक्की के
पहले चरण का प्राणी है। जिस जीव की फॉसिल भीमबेटका में मिली है, उसी प्रजाति की
फॉसिल दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में भी पायी गयी थी। दोनों का समय भी लगभग एक जैसा ही
है। इसी वजह से ऐसा माना जा रहा है कि प्राचीन पृथ्वी के प्राचीनतम भूखंड के टेक्नोनिक
प्लेट गोंडवाना के इलाके में दायरे में ही यह सभी आते थे। इसी क्रम में ऐसा माना जा रहा
है कि उस काल में जीव का शारीरिक ढांचा भी कुछ ऐसा है जिससे यह भी माना जा सकता
है कि उस दौर में कोई वैसा प्राणी भी मौजूद नहीं था जो दूसरों का शिकार करता हो।
शायद उस प्राचीन काल में शिकारी प्राणी मौजूद नहीं था
वरना क्रमिक विकास के दौर में बाद के काल खंडों में प्राणियों में हमले से बचाव के
प्राकृतिक गुण भी विकसित हुए हैं। लेकिन डिकिनसोनिया प्रजाति का यह जीव जमीन पर
रहता था अथवा पानी का जीव था, इस पर अभी कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है। कुल
मिलाकर इस एक जीव के फॉसिल से सिर्फ यह पता चल पाता है कि उस दौर की पृथ्वी में
भारत महाद्वीप के साथ साथ ऑस्ट्रेलिया और रुस भी जुड़े हुए हैं। अब मध्य भारत का
यह हिस्सा कैसे उन महाद्वीपों के भूखंडों के साथ जुड़ा था, इस पर अभी अनुसंधान जारी
है।
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