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चुनाव में आंग सान सू की पार्टी को पूर्ण बहुमत
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उत्तर पूर्व के विद्रोहियों पर काबू करने में आसानी
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भारतीय परियोजनाओं को भी इससे मदद मिलेगी
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अगले साल म्यांमार की यात्रा पर आयेंगे नरेंद्र मोदी
म्यांमार सीमा से भूपेन गोस्वामी
म्यांमार में भी नरेंद्र मोदी की कूटनीति सफल हुई है। इसकी वजह से अपनी तमाम
कोशिशों के बाद भी चीन अपने कूटनीतिक लक्ष्य को हासिल करने में विफल रहा है। वहां
हुए आम चुनाव में चीन के विरोध के बाद भी आंग सान सू की पार्टी को पूर्ण बहुमत प्राप्त
हो गया है। भारत के लिए अब बड़ी खुशी का बात है कि म्यामांर में आंग सान सू की की
‘नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी’ (एनएलडी) पार्टी ने दूसरी बार सत्ता में वापस आने के लिए
संसद में पर्याप्त सीटें जीत ली हैं । भारत ने म्यांमार के लिए जो उम्मीद की थी वह अभी
पूरी हुई है। चीन को चुनौती देने के लिए भारत को सबसे बड़ी सुविधा मिली है। शायद चीन
इसको लेकर चिंतित रहा है। चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए आधिकारिक परिणामों
के अनुसार यह जानकारी सामने आई है । संघीय चुनाव आयोग ने टेलीविजन और सोशल
मीडिया पर घोषणा की कि एनएलडी ने संसद के दोनों सदनों में 346 सीटें जीती हैं, जो
सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत के आंकड़े 322 से अधिक है, जबकि कई सीटों के
नतीजे अभी तक घोषित नहीं किए गए हैं। सेना द्वारा समर्थित मुख्य विपक्षी दल
‘यूनियन सॉलिडैरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी’ ने 25 सीटें जीती हैं और अल्पसंख्यक समुदाय
शान का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘शान नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी’ ने 15 सीटें जीती हैं।
पूर्वी म्यांमार का शान समुदाय देश का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय
पूर्वी म्यामांर में रहने वाला शान समुदाय देश का सबसे बड़ा जातीय अल्पसंख्यक समुदाय
है । स्वतंत्र मतगणना सेवा ‘यवे माल’ द्वारा की गई एक अनौपचारिक गणना के
मुताबिक, एनएलडी को 397 सीटें मिली हैं, जबकि विपक्षी यूएसडीपी को 28 और अन्य
दलों को 44 सीटें मिली हैं । भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यामांर के आम चुनाव में
‘नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी’ पार्टी को मिली जीत पर बृहस्पतिवार को आंग सान सू की
को बधाई दी और कहा कि वह दोनों देशों के बीच मित्रता के पारंपरिक संबंध को और
मजबूत बनाने के लिए उनके साथ मिलकर काम करने को लेकर आशान्वित हैं। भारत के
प्रधान मंत्री ने आंग सान सू की को एक पत्र लिखा और कहा कि ‘दोनों देशों के बीच मित्रता
के पारंपरिक संबंध को और मजबूत बनाने के लिए आपके साथ मिलकर काम करने को
लेकर आशान्वित हूं।
यह जान लें कि कि म्यांमार के चुनावों के बाद म्यांमार – चीन के संबंध खराब हो गए हैं।
बांग्लादेश और नेपाल ने चुप्पी के साथ सीमा संघर्ष का जवाब दिया है। म्यांमार में, जहां
लड़ाई हुई थी, उससे 4000 किलोमीटर पूर्व में, पिछले दो हफ्तों ने भारत को कुछ अच्छी
खबरें प्रदान की हैं। जब थाईलैंड में चीनी निर्मित हथियारों का एक बड़ा कैश जब्त किया
गया था। हथियार म्यांमार की सेना पर युद्ध करने वाले कुछ जातीय अलगाववादी सेनाओं
के लिए किस्मत में थे। म्यांमार की नई सरकार भारत के लिए आशान्वित हो सकती है ।
म्यांमार में भी मोदी की कूटनीतिक पहल काम आयी
रोहिंग्या संकट के मामले पर आंग सान सू की सरकार पर मानवाधिकार उल्लंघन के जो
आरोप लगाए गए, उनके प्रति म्यांमार की सरकार कितनी संवेदनशील है और क्या अब
रोहिंग्या समस्या का कोई स्थायी समाधान बांग्लादेश और भारत सहित अन्य देशों के
साथ मिलकर म्यांमार का नेतृत्व ढूंढेगा। म्यांमार में नई सरकार को भारत के उत्तर पूर्वी
राज्यों की सुरक्षा और विकास से जुड़ा हुआ भी देखा जाता है। चीन ने जिस पार्टी पर ध्यान
दिया और चुनाव में सहायता की, वह अभी हार गई है। म्यांमार और चीन के बीच संबंध
ठीक नहीं होने से भारत बहुत खुश है। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाने और विदेश
सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला द्वारा म्यांमार की यात्रा बहुत विशेष थी। चीन से सहायता मांगने
वाले भारत के पूर्वोत्तर विद्रोही संगठनों को खत्म करने के लिए म्यांमार सरकार की
सहायता आवश्यक है। विदेश मंत्रालय के उत्तर पूर्व सचिव ने बताया कि आगामी नए
साल मंे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी,विदेश मंत्री राजनाथ सिंह म्यांमार की यात्रा पर जा सकते
हैं। सूत्रों ने बताया कि,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार में आंग सान सू की से मुलाकात
करने की संभावना है। इस यात्रा में, दोनों देशों के बीच यातायात प्रणाली, सीमा मुद्दों सहित
सभी महत्वपूर्ण मामलों के बारे में चर्चा की जाएगी ताकि चीन म्यांमार के अंदर इस
मामले में हस्तक्षेप न कर सके।
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