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आकार में छोटे पक्षियों के डैने बड़े हो रहे हैं
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ऊंचे भवनों से यूं ही उड़ते वक्त टकराने लगे पक्षी
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सत्तर हजार पक्षी मरे तो वैज्ञानिकों का माथा ठनका
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उनके पैर की टांग छोटी और डैने लंबे होने से गड़बड़ी
प्रतिनिधि
नईदिल्लीः पर्यावरण असंतुलन का असर अब पशु पक्षियों पर भी पड़ने लगा है।
पहली बार वैज्ञानिक शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि कई प्रजातियों की चिड़ियों पर इसके असर पड़ चुके हैं।
इसके तहत इन पक्षियों का आकार छोटा होने के साथ साथ उनके डैनों का विस्तार बढ़ता जा रहा है।
इससे उन्हें उड़ने में संतुलन बनाने में पहले के मुकाबले अधिक कठिनाई हो रही है।
शोधकर्ताओं का इस तरह ध्यान तब गया था जब एक खास किस्म की प्रजाति की पक्षियों के एक बड़े झूंड
की 52 प्रजातियों के करीब 70 हजार पक्षी शिकागो में भवनों से टकराने की वजह से मर गयी थी।
आम तौर पर पक्षियों को निरंतर उड़ने में इस किस्म की परेशानी पहले कभी नहीं आती थी।
वे बड़े आराम से भवनों और सामने के किसी अवरोध से अलग होकर निकल जाया करते थे।
उत्तरी अमेरिका में एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने वाली इन प्रजातियों में पहली बार ऐसा हादसा देखा गया था।
चिड़ियों को उड़ने तथा सामने आने वाली बाधाओं को पार करने में दिक्कत क्या हो रही है, इसी पर शोध प्रारंभ हुआ था।
शोध प्रारंभ होने के बाद विभिन्न प्रजातियों के पूर्व के विवरणों से जांच की प्रक्रिया प्रारंभ की गयी।
अमेरिका में जिन 52 प्रजातियों के सत्तर हजार चिड़ियों के मरने की सूचना आयी थी, उन सभी प्रजातियों के आकार प्रकार को नये सिरे से समझा गया।
पर्यावरण असंतुलन का संदेह पक्षियों के मरने से हुआ था
इस बारे में शोध हुआ तो पता चला कि सभी 52 प्रजातियों के आकार प्रकार में अंतर आया है।
इनमें से 49 के आकार में उल्लेखनीय बदलाव दर्ज किये गये। इसके बाद ही वैज्ञानिकों का माथा ठनका।
जांच को आगे बढ़ाया गया तो इस बात का भी खुलासा हो गया कि 40 प्रजाति के पक्षियों के डैने फैल गये हैं।
इसी वजह से उन्हें पहले के मुकाबले अब उड़ने तथा उड़ते वक्त सामने आने वाली बाधाओं को पार करने में
दिक्कत आ रही है।
इसकी वजह को तलाशने में जुटे शोधकर्ताओं ने पाया कि दरअसल तापमान बढ़ने का प्रभाव इन पक्षियों पर
पड़ा है। इसकी वजह से उनके डैनों का विस्तार अधिक हो गया है।
दूसरी तरफ शायद डैना विस्तार की वजह से ही पक्षियों का शारीरिक आकार छोटा हो गया है।
इसकी वजह से वे प्रकृति के साथ संतुलन बनाये रखने की कोशिश कर रहे हैं।
मिशिगन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने यह शोध प्रारंभ किया था।
अब वह तमाम किस्म के आंकड़ों को मिलाने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे है कि इसका एकमात्र कारण तापमान
बढ़ने के साथ साथ प्रकृति का असंतुलन ही है, जिसकी वजह से अनेक प्रजाति के उड़ने वाली पक्षी इसके
साथ सही तरीके से ताल मेल नहीं बैठा पा रहेहैं।
इस शोध प्रबंध के मुख्य लेकर ब्रायन विक्स ने कहा कि सभी प्रजातियों में एक जैसा कुप्रभाव देखकर पूरा शोध दल हैरान है।
हमें इस बात का भय है कि यदि इस दिशा में कोई ठोस काम नहीं हुआ तो इसी वजह से अनेक प्रजाति के पक्षी यूं ही विलुप्त हो जाएंगे।
शारीरिक बदलाव की वजह से उड़ने में होने लगी है दिक्कत
उड़ने वाले पक्षियों का शारीरिक आकार कम होने तथा डैनों का विस्तार बढ़ने से वे अपनी प्राकृतिक अवस्था में दोनों के बीच संतुलन नहीं बना पा रहे हैं।
इसी वजह से उड़ते वक्त अगर अचानक सामने कोई बाधा आ जाए तो वे इससे अलग हटने के पहले ही
भवनों से टकरा जा रहे हैं।
शोध कर्ताओं ने अपने अनुमान की वैज्ञानिक पुष्टि के लिए इन सभी प्रजातियों के चिड़ियों के शारीरिक ढांचों
का गहन विश्लेषण भी किया।
यह पाया गया कि इनके पिछली टांग की एक हड्डी, जिसे वैज्ञानिक भाषा में टारसूस कहा जाता है, में बदलाव हो रहा है।
इसी तरह उनकी लंबाई और डैनों के विस्तार के आंकड़ों का भी पहले से मौजूद आंकड़ों से मिलान किया गया।
टांग की लंबाई औसतन 2.4 प्रतिशत कम हो गयी है जबकि उनके डैनों का विस्तार 1.3 प्रतिशत पाया गया।
इसी वजह से वैज्ञानिकों को इन पक्षियों के उड़ते वक्त भवनों से टकरा जाने की असली वजह का पता चल पाया है।
इनके शारीरिक बनावट में बदलाव की वजह प्राकृतिक असंतुलन ही है।
जिसकी वजह से यह प्रजातियां खुद को संभाल नहीं पा रही हैं।
वैज्ञानिक इस बारे में अभी और आंकड़ों को दर्ज कर उनका विश्लेषण कर रहे हैं
ताकि इन प्रजातियों के बचाव का कोई कारगर रास्ता खोजा जा सके।
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